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भाटला विवाद सुप्रीम कोर्ट ने यूपी के दो पूर्व डीजीपी को सौंपी जांच

दो जातियों के बीच झगड़े और सामाजिक बहिष्कार की घटनाओं की होगी निष्पक्ष जांच

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चंडीगढ़, 23 अक्तूबर (ट्रिन्यू)

सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सरकार की सहमति से हांसी के गांव भाटला में दो जातियों के बीच झगड़े की निष्पक्ष जांच का जिम्मा उत्तर प्रदेश के दो पूर्व डीजीपी विक्रम चंद गोयल और कमलेंद्र प्रसाद को सौंपा है। जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस अरविंद कुमार की पीठ ने आदेश दिया है कि जांच तीन महीने के भीतर पूरी की जाए और स्टेटस रिपोर्ट अदालत में प्रस्तुत की जाए।

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याचिका में 2017 में दलित व्यक्तियों के सामाजिक बहिष्कार के आरोप लगाए गए थे। सुनवाई के दौरान, प्रतिवादी पक्ष ने कहा कि हाल के दिनों में कोई अप्रिय घटना नहीं हुई है, जबकि याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि चार्जशीट दायर करने के बाद भी गिरफ्तारी नहीं हुई। चार्जशीट में 7 में से 6 आरोपियों को क्लीन चिट दी गई थी। याचिकाकर्ता ने बताया कि पुलिस को की गई शिकायत पर 28 पीड़ितों ने हस्ताक्षर किए, लेकिन पुलिस ने केवल एक व्यक्ति को गवाह बनाया, जिसने सामाजिक बहिष्कार का उल्लेख नहीं किया। इसके अलावा, प्रमुख समुदाय के चार सदस्यों को गवाह बनाया गया था। यह विवाद जून 2017 में शुरू हुआ जब गांव के दबंग लोगों ने दलित लड़कों के एक समूह पर पानी भरने के लिए हैंडपंप के इस्तेमाल को लेकर हमला किया। हमले में 6 लोग घायल हुए और एफआईआर दर्ज की गई। दलित व्यक्तियों ने जब अपनी शिकायत वापस लेने से इंकार किया, तो उनके सामाजिक बहिष्कार का आह्वान किया गया।

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अधिकारियों की कार्यशैली पर उठाया था सवाल

जय भगवान व अन्य ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर सीबीआई जांच और आरोपियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की मांग की। याचिका में कहा गया कि दलित समुदाय के 500 घरों का इतना गंभीर सामाजिक बहिष्कार पहले कभी नहीं हुआ। मई में हरियाणा सरकार ने भी इस मामले की जांच के लिए पूर्व डीजीपी की सहमति जताई थी।

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