इन्द्री, 24 जुलाई (निस)
सरकार ने शामलात देह जुमला मालकान व आबादीदेह की जमीनों को किसानों से वापस लेने को करनाल सहित अनेक जगहों पर किसानों को नोटिस भेजे हैं। इसको लेकर भारतीय किसान यूनियन के तत्वावधान में इस मुद्दे को लेकर रविवार को स्थानीय अनाज मंडी में किसान महापंचायत का आयोजन कर रोष व्यक्त किया।
किसान पंचायत में इंद्री हलका के दो दर्जनभर गांव के सैंकड़ों किसानों ने भाग लिया। पंचायत की अध्यक्षता हलका अध्यक्ष दिलावर सिंह डबकौली ने की।
पंचायत में मुख्य अतिथि के रूप में भाकियू के प्रदेश अध्यक्ष रतनमान ने शिरकत की। किसानों ने महापंचायत में सरकार की किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ जोरदार रोष प्रदर्शन किया गया। पंचायत में किसानों ने ऐलान किया गया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय की आड़ में सरकार शामलात देह पर बसे लोगों को उजाड़ने का दुस्साहस न करे। यदि सरकार ने इस तरह का कदम उठाया तो किसान इसका मुंहतोड़ जवाब देने के लिए तैयार हैं।
भाकियू नेता रतनमान ने महापंचायत को सम्बोधित करते हुए कहा कि आने वाली 5 अगस्त को प्रदेशभर में जिला मुख्यालयों पर विरोध प्रदर्शन कर उपायुक्त को ज्ञापन सौंपे जाएंगे।
भाकियू के प्रदेश अध्यक्ष रतनमान ने कहा कि हरियाणा में बहुत सारे गांव शामलात देह की जमीन पर बसे हुए हैं। सुप्रीम कोर्ट के एक निर्णय के बाद सरकार इन गांव को उक्त भूमि से बेदखल करना चाह रही है, जो सरासर गलत है।
इन लोगों ने खून पसीने की कमाई से मकान बनाए हैं उनको उजाड़ना सरकार का काम नहीं है। सरकार का काम है कि जनता को बसाने व समृद्ध बनाने तथा उनके भविष्य की सुरक्षा करना है। रतनमान ने कहा कि इस मसले को लेकर प्रदेश भर में किसान पंचायतों का आयोजन करके किसान मजदूरों को लामबंद किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि इस सरकार के फरमान के बाद किसान मजदूरों में रोष पनप रहा है। सरकार के इस कदम के विरोध में प्रदेश भर में आने वाली 5 अगस्त को जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन कर सभी जिला उपायुक्त को ज्ञापन सौंपे जाएंगे।
इस अवसर पर युवा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह धुमसी,, दिलावर सिंह, उपप्रधान संजय काम्बोज हिनौरी, सुरेंद्र शर्मा, पूर्व जिलाध्यक्ष सुरेंद्र सिंह घुम्मन, शबी हैदर, जिला कुरूक्षेत्र प्रभारी नेकी राम मढ़ान, कुरुक्षेत्र जिला पूर्व अध्यक्ष रामकुमार खैहरा, नाथीराम कांबोज, सतीश चौगामा, सतबीर गढ़ीबीरबल, जसबीर जैनपुर, मदनपाल बपदा, श्याम लाल धनौरा, धनेतर राणा सहित काफी संख्या में किसान मौजूद थे।