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सामाजिक समरसता की रीढ़ थे भगत धन्ना : सुनीता दुग्गल

सिरसा, 10 मई (हप्र) सिरसा की पूर्व सांसद सुनीता दुग्गल ने कहा कि धन्ना भगत भारत में सामाजिक समरसता की रीढ़ थे, जिनकी शिक्षाएं पाकर भारतीयों को धार्मिक व आध्यात्मिक राह पर आगे बढ़ने का अवसर मिला है। वे शनिवार...
सिरसा में भगत धन्ना के जीवन पर लिखी पुस्तक का विमोचन करती पूर्व सांसद सुनीता दुग्गल व ट्रस्ट के पदाधिकारी। -हप्र
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सिरसा, 10 मई (हप्र)

सिरसा की पूर्व सांसद सुनीता दुग्गल ने कहा कि धन्ना भगत भारत में सामाजिक समरसता की रीढ़ थे, जिनकी शिक्षाएं पाकर भारतीयों को धार्मिक व आध्यात्मिक राह पर आगे बढ़ने का अवसर मिला है। वे शनिवार को भगत धन्ना जी ट्रस्ट के बैनर तले जाट धर्मशाला में उनके जन्मोत्सव पर आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्यातिथि संबोधित कर रही थी।

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उन्होंने कहा कि भारत सदैव ऋषि, मुनियों, पीर, पैगंबरों का देश रहा है और उनकी शिक्षाओं ने सदैव भारतीयों में संस्कारों की बेल को पोषित किया है, जो प्रत्येक भारतीयों में नजर आती है। इससे पूर्व सांसद सुनीता दुग्गल के अलावा नगरपरिषद सिरसा के चेयरमैन वीर शांतिस्वरूप भट्टी, युवा नेता कर्ण प्रताप सिंह बेदी, ट्रस्ट की महिला विंग की राष्ट्रीय अध्यक्ष रीटा कासनिया, ट्रस्ट के अध्यक्ष अमरीक सिंह राही, संरक्षक डॉ. राजेंद्र कड़वासरा, वरिष्ठ पदाधिकारी महेंद्र घणघस व हनुमान गोदारा ने संयुक्त रूप से भगत धन्नाजी पर आधारित पुस्तक का विमोचन भी किया। इसका उद्देश्य था कि ज्यादा से ज्यादा संख्या में लोग भगत धन्नाजी के जीवन को जानकर उनसे प्रेरणा ले सकें।

ट्रस्ट के अध्यक्ष अमरीक सिंह राही ने आए हुए सभी अतिथियों का स्वागत किया, वहीं संरक्षक डॉ. राजेंद्र कड़वासरा ने ट्र्स्ट की ओर से भविष्य में की जाने वाली कार्य गतिविधियों के सिलसिले में विस्तारपूर्वक जानकारी दी। मंच संचालन वरिष्ठ पदाधिकारी महेंद्र घनघस व अंग्रेज सिंह औलख ने संयुक्त रूप से किया।

कार्यक्रम के दौरान ट्रस्ट की महिला विंग की राष्ट्रीय अध्यक्ष रीटा कासनिया ने अपने गांव में भगत धन्नाजी के मंदिर और गुरुद्वारा साहिब बनाने के लिए भूमि देने की घोषणा की, जिसे सभी ने सराहा।

ट्रस्ट पदाधिकारियों ने कहा कि इस भूमि पर मंदिर व गुरुद्वारा एक साथ बनेगा। कार्यक्रम में रामकिशन खोथ, इंद्रपाल कसवां, शिंगारा सिंह, राजीव बागड़ी, मुकेश लाखलान, विनोद सहारण, गुरभेज सिंह ढिल्लों, कमलदीप शर्मा आदि मौजूद थे।

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