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बेरी माता मंदिर अब सरकार के अधीन, श्राइन बोर्ड करेगा संचालन

राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद सरकार ने जारी किया नोटिफिकेशन

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बेरी स्थित मां भीमेश्वरी देवी मंदिर।
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 हरियाणा सरकार ने ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व वाले श्रीमाता भीमेश्वरी देवी मंदिर (बेरी) को अब एक सुदृढ़ संस्थागत प्रशासनिक ढांचे के तहत लाने का बड़ा निर्णय लिया है। कानून एवं विधायी विभाग की सचिव रितू गर्ग की ओर से राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद इस संदर्भ में नोटफिकेशन जारी किया है। नोटिफिकेशन के अनुसार, मंदिर और उससे जुड़ी सभी चल-अचल संपत्तियों का स्वामित्व और संचालन अब आधिकारिक रूप से बनाए गए श्राइन बोर्ड के पास होगा।

यहां बता दें कि 4 दिसंबर को दैनिक ट्रिब्यून ने ‘हर साल घट रही श्रद्धालुओं संख्या, सुविधाओं पर सवाल’ शीर्षक के साथ शृाइन बोर्ड के गठन में हो रही देरी का मुद्दा उठाया था। अब सरकार ने नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। यह बोर्ड मंदिर की आय, दान, धार्मिक गतिविधियों, पुजारियों की नियुक्ति, नियमों के क्रियान्वयन और तीर्थयात्रियों की सुविधाओं का प्रबंधन करेगा। नोटिफिकेशन में स्पष्ट किया है कि अब पुजारियों के पारंपरिक अधिकार समाप्त होंगे।

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उनके लिए मुआवजे या बोर्ड में समायोजन का विकल्प रखा गया है। मंदिर की सभी दुकानें, दान पेटियां, भूमि, भवन और आभूषण श्राइन फंड में दर्ज होंगे। बोर्ड हर वर्ष बजट तैयार करेगा और पूरे मंदिर प्रबंधन का ऑडिट अनिवार्य होगा। अब तक लागू अन्य कानून इस मंदिर पर प्रभावी नहीं रहेंगे, बल्कि यह अधिनियम सर्वोपरि माना जाएगा। इसके साथ बेरी माता मंदिर हरियाणा में वह तीसरा धार्मिक स्थल बन गया है, जिसे अब सरकार श्राइन बोर्ड मॉडल पर संचालित करेगी।

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भीम द्वारा स्थापना की मान्यता

माता भीमेश्वरी देवी मंदिर का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व बेहद पुराना है। स्थानीय मान्यता है कि इसका संबंध महाभारतकाल से है। ऐसा कहा जाता है कि पांडवों के शक्ति स्वरूप भीम ने पूजा के दौरान यहां माता की स्थापना की थी और उसी वजह से इस मंदिर का नाम भीमेश्वरी देवी पड़ा। सदियों से यहां लाखों श्रद्धालु नवरात्रों और विशेष अवसरों पर दर्शन के लिए पहुंचते हैं। प्रशासनिक ढांचे के आधिकारिक रूप से लागू होने के बाद उम्मीद है कि धार्मिक पर्यटन और श्रद्धालुओं की सुविधाओं में और वृद्धि होगी।

मुख्यमंत्री रहेंगे बोर्ड के चेयरमैन

सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार शृाइन बोर्ड उसी पैटर्न पर बनेगा जिस तरह पंचकूला में माता मनसा देवी और गुरुग्राम में श्रीशीतला माता शृाइन बोर्ड पहले से कार्यरत हैं। नये बोर्ड के चेयरमैन मुख्यमंत्री होंगे। वहीं शहरी स्थानीय निकाय विभाग के मंत्री बोर्ड के वाइस-चेयरमैन व झज्जर डीसी इसके सदस्य सचिव होंगे। सरकार की ओर से बोर्ड में सरकारी व गैर-सरकारी सदस्यों की नियुक्ति भी की जाएगी। इस संरचना के बाद मंदिर के फैसले व्यक्तिगत पसंद-नापसंद के बजाय प्रशासनिक प्रक्रिया के तहत लिए जाएंगे।

मंदिर की संपत्तियां और आय पर बोर्ड का हक

नोटिफिकेशन में यह स्पष्ट किया गया है कि मंदिर की भूमि, दुकानें और किराए, भवन, दान राशि, ज्वेलरी, सोना-चांदी और पूजा सामग्री तथा धार्मिक आयोजन से प्राप्त आय अब शृाइन फंड में शामिल होगी और इसका उपयोग केवल मंदिर, धार्मिक गतिविधियों और श्रद्धालु सुविधाओं पर किया जाएगा।

पुजारियों को मुआवजा या नौकरी

सबसे बड़ा बदलाव पुजारियों के पारंपरिक अधिकारों को लेकर आया है। यहां बता दें कि अभी तक पुजारी व अन्य स्टॉफ मौजूदा ट्रस्ट के वेतन-भत्तों पर काम कर रहा था, अब उसे शृाइन बोर्ड के अधीन माना जाएगा। नोटिफिकेशन में उनके लिए सुरक्षा प्रावधान भी किए गए हैं। उन्हें मुआवजा देने के लिए ट्रिब्यूनल का गठन किया जाएगा यदि कोई पुजारी नौकरी करना चाहता है तो योग्यता और चयन प्रक्रिया के बाद उसे पद दिया जा सकता है यह पहली बार है जब मंदिर व्यवस्था में पारंपरिक अधिकारों के साथ आधुनिक प्रशासनिक ढांचा समानांतर लाया गया है।

श्रद्धालुओं के लिए सुविधाएं बढ़ाने पर जोर

शृाइन बोर्ड का गठन होने के बाद मंदिर परिसर में सफाई व्यवस्था, पार्किंग, धार्मिक आवास (धर्मशाला), मेडिकल सहायता, महिला सुरक्षा तथा कैशलेस दान व्यवस्था आदि का प्रबंध आसानी से किया जा सकेगा। यह भी प्रावधान है कि मंदिर फंड का उपयोग राष्ट्रीय आपदा की स्थिति में भी किया जा सकता है। नोटिफिकेशन में यह भी प्रावधान है कि कोई भी व्यक्ति मंदिर की संपत्ति, भूमि या दस्तावेज़ अपने कब्जे में नहीं रख सकता। यदि किसी ने ऐसा किया तो उस पर जुर्माना, दंड, संपत्ति जब्ती की कार्रवाई होगी। यहां तक कि कारावास का प्रावधान भी लागू होगा।

इसलिए पड़ी बोर्ड की जरूरत

सूत्रों के अनुसार लंबे समय से मंदिर प्रबंधन को लेकर पारदर्शिता, संपत्ति संरक्षण, आय उपयोग, अव्यवस्था और नियुक्तियों को लेकर शिकायतें और चर्चाएं होती रही थीं। सरकार का मानना है कि इस कदम के बाद मंदिर न केवल बेहतर तरीके से संचालित होगा बल्कि धार्मिक पर्यटन और राज्य की विरासत संरक्षण में भी वृद्धि होगी। पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के कार्यकाल में ही विधेयक पास हो गया था लेकिन इसका नोटिफिकेशन जारी नहीं हुआ था। मंदिरों में श्रद्धालुओं की घट रही संख्या व प्र्रबंधन सही नहीं होने की वजह से मौजूदा मैनेजमेंट व पुजारी भी शृाइन बोर्ड के गठन की मांग उठा रहे थे।

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