Tribune
PT
About the Dainik Tribune Code Of Ethics Advertise with us Classifieds Download App
search-icon-img
Advertisement

बेरी माता भीमेश्वरी धाम: हर साल घट रही श्रद्धालुओं की संख्या, श्राइन बोर्ड गठन पर अटका प्रबंधन

नवरात्रों में नहीं उमड़ी भीड़, श्रद्धालुओं की सुविधाओं पर उठे सवाल

  • fb
  • twitter
  • whatsapp
  • whatsapp
Advertisement

झज्जर के बेरी कस्बे में स्थित माता भीमेश्वरी देवी मंदिर, जिसे ‘छोटी काशी’ के नाम से भी जाना जाता है, प्रदेश ही नहीं बल्कि उत्तर भारत के प्रमुख शक्ति पीठों में से एक माना जाता है। हर साल नवरात्रों में यहां लाखों श्रद्धालु पहुंचते थे, लेकिन इस बार स्थिति अलग रही। श्रद्धालुओं की संख्या पिछले वर्षों की तुलना में काफी कम रही और इसका सबसे बड़ा कारण उन्हें होने वाली असुविधाएं बताई जा रही हैं।

बेरी स्थित माता भीमेश्वरी धाम का महत्व पौराणिक काल से जुड़ा है। मान्यता है कि पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान यहां माता की साधना की थी और उनके आशीर्वाद से महाभारत युद्ध में विजय पाई थी। मंदिर में स्थापित मां भीमेश्वरी की मूर्ति अत्यंत प्राचीन है और श्रद्धालु मानते हैं कि यहां की गई प्रार्थना शीघ्र फलदायी होती है। यही कारण है कि नवरात्रों में यह धाम एक बड़े मेले का रूप ले लेता है। लेकिन पिछले कुछ वर्षों से यहां की व्यवस्थाओं को लेकर लगातार सवाल उठ रहे हैं।

Advertisement

पूर्व सीएम खट्टर ने की थी श्राइन  बोर्ड की घोषणा

बेरी मंदिर की महत्ता और बढ़ती श्रद्धालुओं की संख्या को देखते हुए पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर सरकार ने मंदिर प्रबंधन के लिए शृाइन बोर्ड बनाने का फैसला लिया था। पंचकूला स्थित श्री मनसा देवी और गुरुग्राम स्थित श्री शीतला माता मंदिर की तर्ज पर बेरी धाम को भी व्यवस्थित करने का खाका तैयार किया गया। इसके लिए विधानसभा में विधेयक भी पारित हुआ, लेकिन आज तक इस फैसले को लागू नहीं किया गया।

Advertisement

धार्मिक संगठनों का विरोध से समर्थन तक का सफर

मंदिर का प्रबंधन दशकों से स्थानीय ट्रस्ट और पुजारियों के हाथों में रहा है। शुरुआत में पुजारियों और पदाधिकारियों ने शृाइन बोर्ड गठन का विरोध किया था। उनका मानना था कि इससे मंदिर की परंपरागत व्यवस्थाएं प्रभावित होंगी। लेकिन समय के साथ परिस्थितियां बदलीं और अब भक्तों की सुविधा तथा मंदिर के विकास को देखते हुए पुजारी और पदाधिकारी भी शृाइन बोर्ड गठन के पक्ष में हैं। उनका कहना है कि अगर सरकार मंदिर को बोर्ड के अधीन कर दे तो श्रद्धालुओं की सुविधाओं में बड़ा सुधार हो सकता है।

फिलहाल न सरकार का फैसला लागू, न पुरानी व्यवस्था बहाल

वर्तमान स्थिति बेहद असमंजस भरी है। न तो सरकार ने शृाइन बोर्ड गठन का निर्णय लागू किया है और न ही पुजारियों की पुरानी व्यवस्था को पूरी तरह बहाल किया गया है। झज्जर जिला प्रशासन की ओर से नवरात्रों में कुछ अस्थायी इंतजाम जरूर किए जाते हैं, लेकिन ये भीड़ और जरूरतों के मुकाबले बेहद नाकाफी साबित हो रहे हैं।

श्रद्धालुओं की नाराजगी की वजह

  • नवरात्रों के दौरान मंदिर आने वाले भक्तों को कई तरह की परेशानियों से जूझना पड़ता है।
  • दर्शन व्यवस्था में अव्यवस्था
  • पार्किंग की कमी और जाम की समस्या
  • मेला ग्राउंड में सफाई और शेड की कमी
  • पीने के पानी और शौचालय की अपर्याप्त व्यवस्था
  • सुरक्षा और मेडिकल सुविधाओं का अभाव
  • इन समस्याओं के कारण श्रद्धालु अन्य धार्मिक स्थलों की ओर रुख कर रहे हैं।

श्रद्धालुओं की संख्या में गिरावट

जहां पहले नवरात्रों में लाखों श्रद्धालु यहां पहुंचते थे, वहीं अब भीड़ में लगातार कमी दर्ज की जा रही है। स्थानीय लोगों का कहना है कि ‘जब सुविधाएं नहीं मिलेंगी और दर्शन में अव्यवस्था होगी, तो लोग औपचारिकता तो पूरी करेंगे, लेकिन धार्मिक पर्यटन हेतु दूसरे धार्मिक स्थलों पर जाएंगे।’

माता भीमेश्वरी देवी मंदिर बेरी, आस्था और विश्वास का बड़ा केंद्र है, लेकिन सरकारी लापरवाही और प्रबंधन की खामियों की वजह से श्रद्धालुओं की संख्या हर साल घट रही है। सवाल यह है कि क्या सरकार शृाइन बोर्ड गठन के फैसले को लागू कर इस धाम को उसका उचित सम्मान दिला पाएगी या फिर यह मंदिर अपनी महत्ता खो देगा।

Advertisement
×