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जिलाध्यक्ष से पहले कांग्रेस को मिलेंगे प्रधान और सीएलपी लीडर!

दोनों पदों पर इसी माह हो सकता है फैसला
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दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू

चंडीगढ़, 7 जून

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हरियाणा कांग्रेस में अब बड़े बदलाव की तैयारी है। ‘संगठन सृजन प्रक्रिया’ के तहत शुरूआत में सभी 22 जिलों के जिलाध्यक्षों के चयन की कवायद शुरू हुई है। लेकिन जिलाध्यक्ष की नियुक्ति से पहले हरियाणा में कांग्रेस को नया प्रदेशाध्यक्ष और कांग्रेस विधायक दल का नेता मिल सकता है। मोटे तौर पर केंद्रीय नेतृत्व द्वारा पूरा खाका तैयार किया जा चुका है। दिल्ली से जुड़े सूत्रों की मानें तो इसी माह इन दोनों पदों - प्रदेशाध्यक्ष व विधायक दल के नेता पर फैसला हो सकता है।

ये दोनों पद आपस में जुड़े हुए हैं, इसी वजह से विधायक दल के नेता के चयन में देरी हो रही है। पिछले साल 8 अक्तूबर को विधानसभा चुनावों के नतीजे घोषित हो गए थे, लेकिन कांग्रेस अभी तक सीएलपी नहीं चुन पाई है। प्रदेश में विधायकों की संख्या के हिसाब से विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद भी कांग्रेस को ही मिलना है, लेकिन बिना सीएलपी के यह भी संभव नहीं है। प्रदेश सरकार की ओर से भी सीएलपी लीडर के फैसले को लेकर पार्टी को लिखा जा चुका है।

दरअसल, हरियाणा में संवैधानिक नियुक्तियों में विपक्ष के नेता का होना अनिवार्य है। संवैधानिक पदों पर नियुक्ति के लिए मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में बनाई गई चयन समिति में विपक्ष के नेता बतौर सदस्य शामिल होते हैं। मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी द्वारा लिखी गई चिट्ठी व चार बार के रिमाइंडर के बाद कांग्रेस नेतृत्व ने संवैधानिक नियुक्तियों से जुड़ी बैठकों में भाग लेने के लिए पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा को अधिकृत किया हुआ है। सूत्रों का कहना है कि जिलाध्यक्ष चयन की प्रक्रिया को अंतिम रूप देने के बाद भी उनके नामों की घोषणा इसलिए नहीं होगी क्योंकि पार्टी पहले प्रदेशाध्यक्ष का फैसला करेगी। बाद में प्रदेशाध्यक्ष के हाथों ही जिलाध्यक्षों के नामों की सूची जारी करवाई जाएगी। केंद्रीय व प्रदेश पर्यवेक्षक 10 जून से जिलों में जाना शुरू करेंगे। वे जिलों से आए आवेदनों की छंटनी करने के बाद पैनल बनाएंगे। पैनल में छह नेताओं के नाम होंगे।

हाईकमान करेगा छंटनी

केंद्रीय पर्यवेक्षकों को इस माह के आखिर तक पैनल बनाकर भेजने को कहा गया है। वे दो बार जिलों का दौरा करेंगे। सभी जिलों से छह-छह नेताओं के नाम के पैनल आने के बाद केंद्रीय नेतृत्व उनकी छंटनी करेगा। छंटनी के बाद तीन-तीन के नाम के पैनल बनाए जाएंगे। जब सभी फाइनल पैनल बन जाएंगे तो इसके बाद इनमें से ही किसी एक को जिलाध्यक्ष की कुर्सी मिलेगी। जिलाध्यक्ष के साथ दो कार्यकारी अध्यक्ष भी नियुक्त किए जाने की चर्चा पार्टी में अंदरखाने चल रही है।

साधे जाएंगे जातिगत समीकरण

दोनों ही पदों यानी प्रदेशाध्यक्ष व सीएलपी पर नियुक्ति को लेकर पार्टी हाईकमान द्वारा जातिगत समीकरण साधने की कोशिश की जा रही है। अगर प्रदेशाध्यक्ष पद पर किसी जाट चेहरे की तैनाती होती है तो फिर सीएलपी का पद गैर-जाट कोटे में जाएगा। अगर सीएलपी जाट को बनाया गया तो फिर गैर-जाट का प्रधान बनना तय हो जाएगा। बताते हैं कि पार्टी के हरियाणा मामलों के प्रभारी बीके हरिप्रसाद इन दोनों पदों को लेकर अंदरखाने अपनी एक्सरसाइज कर चुके हैं। वे राहुल गांधी को इस बाबत रिपोर्ट भी सौंप चुके हैं।

राहुल फिर से लेंगे बैठक

दिल्ली से जुड़े सूत्रों का कहना है कि जब प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं से विचार-विमर्श व ग्राउंड के फीडबैक के हिसाब से तीन-तीन नेताओं के नाम के पैनल बन जाएंगे तो फिर राहुल गांधी एक बार फिर बैठक ले सकते हैं। इस बैठक में राष्ट्रीय महासचिव केसी वेणुगोपाल, हरियाणा मामलों के प्रभारी बीके हरिप्रसाद, सह-प्रभारी जितेंद्र बघेल व प्रफूल्ला बुडहे के अलावा हरियाणा के नये प्रदेशाध्यक्ष व विधायक दल के नेता मौजूद रहेंगे। यह फाइनल बैठक होगी और इसमें जिलाध्यक्षों के नामों को हरी झंडी दे

दी जाएगी।

प्रदेश में बनेंगे 33 जिलाध्यक्ष

हरियाणा में कांग्रेस कुल 33 जिलाध्यक्ष बनाएगी। पूर्व में इनकी संख्या में बढ़ोतरी की चर्चाएं भी हुई थी लेकिन ऐसा होगा या नहीं, यह पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट के बाद ही स्पष्ट होगा। अंबाला जिला में तीन जिलाध्यक्ष बनेंगे। इनमें अंबाला सिटी, अंबाला ग्रामीण व अंबाला कैंट शामिल हैं। भिवानी, गुरुग्राम, हिसार, करनाल, पानीपत, रेवाड़ी, रोहतक, सोनीपत व यमुनानगर में दो-दो जिलाध्यक्ष बनाए जाएंगे। फरीदाबाद, फतेहाबाद, जींद, झज्जर, कैथल, कुरुक्षेत्र, महेंद्रगढ़ मेवात, पंचकूला, पलवल, चरखी दादरी व सिरसा में एक ही जिलाध्यक्ष बनाया जाएगा।

इसलिए पहले बनेगा प्रधान

कांग्रेस नेतृत्व ने जिलाध्यक्षों से पहले प्रदेशाध्यक्ष चयन का फैसला इसीलिए लिया है ताकि प्रदेश में गलत संदेश न जाए। अगर पहले जिलाध्यक्षों की घोषणा होती है और उसके बाद प्रदेशाध्यक्ष बनाया जाता है तो यह पार्टी के संविधान का भी उल्लंघन होगा। आमतौर पर यही प्रचलन रहा है कि प्रदेशाध्यक्ष ही जिलाध्यक्षों की लिस्ट जारी करते रहे हैं। बेशक, यह लिस्ट भी पार्टी नेतृत्व द्वारा मंजूर की जाती हो।

चुनावी नतीजों के बाद से ही चर्चा

अक्तूबर-2014 के विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद से ही प्रदेशाध्यक्ष को बदले जाने की चर्चाएं चल रही हैं। प्रदेश के कई वरिष्ठ नेता नैतिक आधार पर उदयभान से इस्तीफा भी मांग चुके हैं। बेशक, पार्टी नेतृत्व भी नये प्रधान को लेकर पहले ही बन मन बना चुका है, लेकिन सीएलपी लीडर का निर्णय नहीं होने की वजह से दोनों पदों पर असमंजस बना रहा। सीएलपी लीडर को लेकर प्रदेश सरकार की ओर से भी पार्टी को पत्र लिखा जा चुका है। ऐसे में नेतृत्व अब दोनों पदों पर जल्द निर्णय लेने के मूड़ में है।

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