पुरुषोत्तम शर्मा/हप्र
सोनीपत, 23 अप्रैल
प्रशासन के तमाम दावों और प्रयासों के बीच कोरोना के मरीजों को भर्ती करने को लेकर निजी अस्पतालों की मनमानी जारी है। अस्पताल प्रबंधकों का कहना है कि खाली बेड नहीं हैं तो मरीजों को कहां से भर्ती करें। अभी तक यह सूची नहीं मिली है कि किस अस्पताल में कितने मरीज भर्ती हैं और यह कहां के निवासी हैं। इस बीच प्रशासन ने 50 प्रतिशत बेड रिजर्व करने व 20 प्रतिशत को सीएमओ के होल्ड पर करने के आदेश दिए हैं।
दरअसल, कोरोना संक्रमण के जानलेवा होते देख प्रशासन ने शहर के प्रमुख निजी अस्पतालों को कोरोना इलाज करने के लिए अधिकृत कर दिया था। हाल यह हुआ कि सोमवार की रात को यह फैसला लिया गया और मंगलवार को एक भी बिस्तर किसी अस्पताल में खाली नहीं मिला। आखिर रातोंरात सोनीपत में इतने मरीज कहां से गंभीर हो गए, यह सवाल स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन के सामने खड़ा हो गया है। जांच में पता चला कि अधिकतर अस्पतालों में या तो दिल्ली के मरीज भर्ती हैं या अन्य बड़े शहरों के मरीज हैं। ऐसे में सोनीपत में गंभीर स्थिति वाले मरीज मारे-मारे फिर रहे हैं।
शुक्रवार को भी कई मरीज ऐसे सामने आए, जिनके तिमारदार पूरा दिन निजी अस्पतालों में बेड के लिए चक्कर लगाते रहे और जवाब एक ही था कि बेड नहीं है। तिमारदारों का कहना है कि अस्पताल यहां तक कह रहे हैं कि या तो कोई मरेगा या फिर ठीक होगा, तब ही उन्हें बेड मिल सकता है। वजह यह बताई गई है कि यहां जो भी मरीज भर्ती है, वह बेहद गंभीर स्थिति वाले हैं। सामान्य स्थिति में तो कोई मरीज पहुंच ही नहीं रहा है।
नोडल अधिकारी किये नियुक्त
निजी अस्पतालों की मनमानी की शिकायतों के चलते प्रशासन ने नोडल अधिकारी नियुक्त कर दिए हैं। जिलाधीश एवं जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के चेयरमैन अशोक कुमार बंसल ने निजी अस्पतालों में 50 प्रतिशत बेड कोरोना संक्रमितों के लिए आरक्षित रखने के आदेश दिए हैं। साथ ही उन्होंने आदेश दिए हैं कि इन सोनीपत के नागरिकों की प्राथमिकता के लिए 50 फीसदी बैड में से 20 प्रतिशत बेड का प्रयोग सिविल सर्जन सोनीपत की सिफारिश से किया जाए।