भिवानी, 5 फरवरी (हप्र)
बंसत महोत्सव के दौरान राष्ट्रीय जन उद्योग व्यापार संगठन के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष अशोक बुवानीवाला ने कहा कि बसंत पंचमी प्रकृति से प्रेरणा लेने और अपने पुराने विचारों को त्यागकर नये विचारों, नई सोच और नई ऊर्जा के साथ जीवन को आनंदित कर जीवन में आगे बढ़ने का त्यौहार है। कार्यक्रम की शुरूआत शिक्षा की देवी मां सरस्वती के चित्र के सम्मुख पुष्प अर्पित कर की गई। इस अवसर पर अशाेक बुवानीवाला ने कहा कि बसंत तो सारे विश्व में आता है पर भारत का बसंत कुछ विशेष है। भारत में बसंत गुलाल और अबीर के उमड़ते बादल, खेतों में दूर-दूर तक लहलहाते सरसों के पीले-पीले फूल, केसरिया पुष्पों से लदे टेसू की झाड़ियां, होली की उमंग भरी मस्ती, प्रकृति की मस्त बयार, भारत और केवल भारत में ही बहती है। उन्होंने कहा कि बसंत पंचमी प्रकृति के अद्भुत सौन्दर्य, श्रृंगार और संगीत की मनमोहक ऋतु यानी ऋतुराज के आगमन की सन्देश वाहक है। बसंत पंचमी के दिन से शरद ऋतु की विदाई के साथ पेड़-पौधों और प्राणियों में नवजीवन का संचार होने लगता है। बसंती रंग पीले रंग का होता है। पीला रंग खुशी, समृद्धि, ऊर्जा और रोशनी का प्रतीक है। इस अवसर पर जिलाध्यक्ष प्रेम धमीजा, हरिश हलवासिया, अमन गुप्ता, अमित महता, हरिश ठुकराल, दीपक जांगड़ा और सुदर्शन बंसल मौजूद थे।
हिसार में 9 रामायण के साथ निकाली शोभा यात्रा
हिसार (हप्र) : परमहंस श्रीयोग दरबार ब्रह्मज्ञान मंदिर कुटिया, शांति नगर में शनिवार को बसंत पंचमी पर्व बड़े धूमधाम से मनाया गया। ब्रह्मदर्शी संत उपरामानंद महाराज के आशीर्वाद से भजन-कीर्तन व सत्संग का आयोजन किया गया। इससे पहले सुबह डोगरान मोहल्ला स्थित कुटिया मोक्षद्वार से ब्रह्मपुरी तीर्थ स्थल तक नौ रामायणों के साथ शोभा यात्रा निकाली गई।
शोभायात्रा में सैंकड़ों श्रद्धालुओं ने भाग लिया। यात्रा में शामिल हुए श्रद्धालु रामायणों को सिर पर उठाए हुए व रथ को अपने हाथों से खींचते हुए चल रहे थे। असंख्य लोग बसंत के अनुरुप पीले वस्त्र अथवा पीली टोपियां धारण किए हुए थे।
रामायण के पाठ 3 फरवरी को रखे गये थे। शोभा यात्रा का ब्रह्मपुरी तीर्थस्थल पहुंचने पर हवन किया गया जिसमें श्रद्धालुओं ने आहुति डाली। ध्वजारोहण किया गया एवं रामायण के पाठ का भोग डाला गया।