जितेंद्र अग्रवाल/हप्र
अम्बाला शहर 18 अप्रैल
गेहूं के सीजन का विवादों से चोली दामन का साथ छूटा नहीं है। कभी आढ़तियों की हड़ताल तो कभी बेमौसम बरसात।। कभी लिफ्टिंग की समस्या तो अब बारदाना समाप्त होने से गेहूं खरीद को लेकर बड़ी समस्या आ रही है। जानकारी के अनुसार नोडल एजेंसी खाद्य आपूर्ति विभाग के पास गेहूं भरने के लिए प्लास्टिक का बारदाना भी समाप्त हो चुका है।
इसी बीच लगातार 2 दिन मंडियों में गेहूं की खरीद नहीं किए जाने के बावजूद मंडियां गेहूं की बोरियों से अटी पड़ी हैं। मंडी के जानकारों की मानें तो लिफ्टिंग न करवाने के पीछे एक बड़ा षड्यंत्र है और बाहरी गेहूं का खेल खेला जाता है। मंडियों से उठान नहीं होने की स्थिति में न तो बाहर से आने वाली गेहूं पर किसी की निगाह जाती है और सभी का ध्यान केवल लिफ्टिंग करवाने की ओर ही रहता है लेकिन इसके पीछे के खेल को आसानी से कोई समझ ही नहीं पाता। कई आढ़तियों ने अपना नाम नहीं प्रकाशित करने की शर्त पर बताया कि गेहूं का खेल खेलने वाले यह खेल खेल भी चुके हैं। ऐसे में वे आढ़ती स्वयं को ठगा महसूस कर रहे हैं जो नंबर एक का ही कारोबार करते हैं।
पिछले दो दिन में कोई आवक नहीं होने के बावजूद लिफ्टिंग उतनी नहीं हो पाई जितनी कि उम्मीद की जा रही थी।
जिला में गेहूं खरीद कार्य के तहत 16 अप्रैल तक 203831.2 मीट्रिक टन गेहूं एजेंसियों द्वारा खरीदी जा चुकी है। इसमें से खाद्य एवं आपूर्ति विभाग द्वारा 77949.5 मीट्रिक टन, हैफेड द्वारा 113465 मीट्रिक टन व हरियाणा वेयर हाउसिंग द्वारा 12416.7 मीट्रिक टन गेहूं खरीदी गई है। वर्ष 2019-20 में जहां जिला में 30.47 लाख क्विंटल गेहूं की आवक हुई थी वहीं कोरोना वर्ष 2020-21 में 23.74 लाख क्विंटल गेहूं ही आवक हुई थी। ऐसे में अभी तो पिछले सीजन के आंकड़ों के हिसाब से करीब 10 प्रतिशत गेहूं की आवक ही हुई है। इसी आवक में खरीद एजेंसियों के पास बारदाना समाप्त हो गया और लिफ्ट्रिंग कमजोर होने से मंडियां गेहूं आवक से अट चुकी हैं। ऐसे में आने वाले पीक सीजन में क्या हाल होगा यह अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है।
जिले में सबसे ज्यादा गेहूं की आवक अम्बाला शहर मंडी में होती है जो 60 प्रतिशत से ज्यादा पड़ोसी पंजाब पर निर्भर करती है लेकिन गत वर्ष मुलाना मंडी गेहूं खरीद में अव्वल रही थी। गत वर्ष अम्बाला शहर मंडी में 6.1 लाख क्विंटल गेहूं खरीद हुई थी जबकि मुलाना मंडी में यह आंकड़ा 6.15 लाख क्विंटल रहा था।
बारदाने की समस्या तो आ रही है। प्लास्टिक के बैग समाप्त हो चुके हैं और नया बारदाना आन द रोड यानी रास्ते में है। अब जूट वाला बारदाना आ रहा है। मुख्यालय को सारी परिस्थितियों से अवगत पहले ही करवाया जा चुका है। -राजेश्वर मुदगिल, डीएफएससी, अम्बाला।