कैथल, 15 अप्रैल (हप्र)
बार परिसर में लंबे समय से बंद पड़ी कैंटीन को प्रयोग में लेने के मसले पर उपायुक्त, तहसीलदार और नायब तहसीलदार द्वारा वकीलों के साथ कथित दुर्व्यवहार करने के विरोध में जिला बार एसोसिएशन ने सभी राजस्व अदालतों के बहिष्कार का फैसला किया है।
जिला बार एसोसिएशन के प्रधान बलजिंदर सिंह मलिक ने बताया कि बार परिसर में बनी कैंटीन काफी समय से बंद पड़ी है, जिसमें
गंदगी फैल गई है और पक्षियों ने अपने घोंसले बना लिए हैं। इस बारे में जिला बार एसोसिएशन की कार्यकारिणी व अन्य वकील डीसी प्रशांत पंवार के पास गए और कहा कि हम कैंटीन के हाल का इस्तेमाल करना चाहते हैं, क्योंकि वहां वकीलों के बैठने के लिए स्थान कम है।
वकीलों ने यह भी कहा कि वे चाहें तो इस बारे में एफिडेविट ले लें कि जब वे चाहेंगे वकील कैंटीन का हाल खाली कर देंगे। प्रधान ने बताया कि इस पर डीसी ने मौखिक रूप से हां कर दी और एसोसिएशन ने कैंटीन की अच्छी तरह से साफ-सफाई करवा कर वहां पर वकीलों के बैठने की व्यवस्था कर दी। इसके बाद 9 अप्रैल को अचानक तहसीलदार और नायब तहसीलदार पुलिस बल के साथ वहां आए और कैंटीन को ताला लगा कर चले गए। जब इस बारे में एसोसिएशन के सचिव गौरव वधवा ने उन्हें कहा कि कैंटीन को ताला मत लगाओ और प्रधान के आने की इंतजार करें, हम बैठकर बात कर लेंगे तो दोनों अधिकारियों ने सचिव के साथ बदतमीजी की। प्रधान के अनुसार इसके बाद जब वकीलों का डेलिगेशन कार्यकारिणी के सदस्यों के साथ डीसी से मिलने गया तो वे इस बात से साफ मुकर गए और कहा कि उन्होंने वकीलों को कैंटीन इस्तेमाल करने के लिए नहीं दी थी। प्रधान का आरोप है कि डीसी ने उनके साथ अच्छा बर्ताव नहीं किया। हालांकि वे डीसी से परमिशन लेकर कैंटीन में बैठने की व्यवस्था कर रहे थे, लेकिन आज डीसी अपनी बात से मुकर गए।
इसके बाद वकीलों ने एक बैठक की और डीसी, एसडीएम, तहसीलदार और नायब तहसीलदार की अदालतों के बहिष्कार का फैसला कर दिया। मीडिया से बात करते हुए प्रधान ने कहा कि कोई भी वकील इनकी अदालतों में नहीं जाएगा।
मलिक ने कहा कि यह डीसी का तानाशाही रवैया है जिसके बारे में वे राज्य के राज्यपाल, मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव को शिकायत करेंगे।
डीसी का कहना है
डीसी प्रशांत पंवार ने कहा कि न्यायिक परिसर में जो लिटिगेट कैंटीन के हॉल पर कुछ अधिवक्ताओं ने अपना व्यक्तिगत कार्यालय बना लिया था। इसी बात को देखते हुए इस स्थान से कब्जा हटवा दिया गया था। इस बात को लेकर अधिवक्ताओं का एक शिष्टमंडल 10 अप्रैल को मिलने आया था। उन सभी को कार्यालय में बुलाकर सम्मान सहित उनकी बात सुनी गई। वार्तालाप करते हुए जैसे ही उनसे बताइए भाई क्या मसला है कहा गया तो भाई जैसे सम्मानजनक एवं आदरसूचक शब्द से उन्हें आपत्ति हुई। संज्ञान में आया है कि इस बात को लेकर कुछ अधिवक्ताओं ने एतराज जताते हुए कहा है कि उनका अनादर किया गया है।