दलेर सिंह/हप्र
जींद, 26 अक्तूबर
पूर्व उप प्रधानमंत्री स्व. देवीलाल और पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला को सत्ता के शिखर पर पहुंचाने में बांगर और बागड़ के इलाकों की विशेष भूमिका रही है। देशभर में ताऊ के नाम से मशहूर हुए चौधरी देवीलाल ने बागड़ के इलाके हिसार में वर्ष 1986 में बड़ी रैली करके तत्कालीन मुख्यमंत्री बंसीलाल के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के खिलाफ आंदोलन का बिगुल फूंकते हुए बुढ़ापा पेंशन देने की घोषणा की थी। उसके बाद प्योर बांगर के इलाके जींद में 1987 समस्त हरियाणा सम्मेलन आयोजित कर एक बड़ी रैली की, जिसके बाद हुए चुनाव में देवीलाल ने अपने सहयोगी दलों के साथ मिलकर हरियाणा की 90 में से 85 सीटें जीती थी। यदि 20 साल पहले की बात की जाए तो वर्ष 2000 के चुनाव में जींद की पांच विधानसभा सीटों में से तीन सीटें उचाना, नरवाना और सफीदों इनेलो ने जीती।
नरवाना से विधायक निर्वाचित हुए इनेलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला मुख्यमंत्री बने और पांच वर्ष तक बिना किसी दबाव के अपनी सरकार चलाई, लेकिन वर्ष 2005 के चुनाव में जींद जिला के पांचों सीटों पर इनेलो को करारी हार का सामना करना पड़ा। चार सीटें कांग्रेस व सफीदों की सीट कांग्रेस के बागी बचन सिंह आर्य ने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर जीत अर्जित की थी। बांगर के लोगों ने इनेलो का सफाया करने के बाद वर्ष 2009 के चुनाव में एक बार फिर से अपनी सिर आंखों पर बैठाया। पांचों सीटें इनेलो की झोली में डाल दी। इसमें उचाना से खुद इनेलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला, जींद से डॉक्टर हरीचंद मिड्ढा, जुलाना से परमिंद्र सिंह ढुल, नरवाना से पृथी सिंह व सफीदों से कलीराम पटवारी विधायक निर्वाचित हुए। 2014 के चुनाव में भी बांगर के लोगों ने इनेलो को निराश नहीं किया, बल्कि 5 में 3 सीटें नरवाना, जींद व जुलाना से इनेलो उम्मीदवारों को जीतकर विधानसभा में भेजा। ऐलनाबाद सीट नये परिसीमन से पहले व बाद में भी एकाध अपवाद को छोड़कर इनेलो की ही झोली में रही है। वर्ष 2009 में इनेलो सूप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला उचाना व ऐलनाबाद दोनों सीटों से विजय हुए थे। इसके बाद उन्होंने ऐलनाबाद से इस्तीफा दिया और वर्ष 2010 में हुए उपचुनाव में यहां से अभय चौटाला पहली बार विधायक बने। वर्ष 2014 व 2019 में भी अभय चौटाला ही विजयी हुए। अब फिर यहां से अपनों के चक्रव्यूह में फंसे अभय चौटाला जीत का चौका लगाने के लिए जोर लगा रहे हैं।
2019 में इनेलो हुआ दोफाड़
वर्ष 2019 के चुनाव में इनेलो दोफाड़ हो चुकी थी। इस चुनाव में इनेलो को प्रभावशाली उम्मीदवार ही नहीं मिल पाये और बांगर में इनेलो का फिर से सफाया हो गया, लेकिन, इनेलो से निकली जजपा जींद जिले की नरवाना, उचाना, व जुलाना सीट जीतने में कामयाब रही। उचाना से विधायक दुष्यंत चौटाला आज प्रदेश के उप मुख्यमंत्री हैं। अब किसान आंदोलन के बाद प्रदेश की राजनीति में आंशिक रूप से कुछ बदलाव नजर आया तो इनेलो ने गत 25 सिंतबर को जींद में रैली करके ताऊ देवीलाल का जन्मदिन मनाया। रैली की सफलता में बागड़ के लोगों की खास भूमिका रही। अब 30 अक्तूबर को होने जा रहे उपचुनाव में इनेलो को अपना अस्तित्व बचाने के लिए बागड़ इलाके की सीट ऐलनाबाद के लोगों से बड़ी उम्मीद है। यदि ऐलनाबाद के मतदाताओं ने ‘अभय’ से मुंह मोड़ लिया तो फिर इनेलो के अस्तित्व पर ही सवालिया निशान लग जाएगा।