यमुनानगर, 22 फरवरी (हप्र)
हरियाणा बिजली वितरण निगम के यमुनानगर, जगाधरी व बिलासपुर के कार्यालयों में लाखों रुपए की हेराफेरी के मामले में विभाग की ऑडिट टीमों ने जांच शुरू कर दी है। जांच में पता चला है कि बिजली निगम के कर्मचारी पिछले 8 वर्षों से निगम की राशि को फर्जी वाउचर के सहारे अपने जानकार लोगों के खाते में डलवाकर लाखों की हेराफेरी कर रहे थे। बिजली निगम के कार्यकारी अभियंता नीरज कुमार व एक अन्य कर्मचारी योगेश लांबा समालखा पुलिस की गिरफ्त में है, उनको पुलिस ने 4 दिन के रिमांड पर लिया है। जिनसे पूछताछ जारी है। विभाग ने 2 कर्मचारियों को निलंबित कर दिया है। बिजली निगम के जिन 4 कर्मचारियों पर हेराफेरी में शामिल होने का आरोप है उनमें से दो कर्मचारी बिलासपुर के अलावा यमुनानगर, जगाधरी डिवीजन में भी कार्यरत रहे हैं। इसलिए बिलासपुर के अलावा यमुनानगर, जगाधरी सबडिवीजन में भी ऑडिट टीम जांच कर रही है। अभी तक कई संदिग्ध वाउचर मिले हैं, जिन का मिलान किया जा रहा है।
गौर हाे कि समालखा निवासी अनिल शर्मा ने समालखा में दर्ज करवाई रिपोर्ट में लिखवाया कि उसके एक जानकार ने उससे लोन दिलवाने के लिए उसके दस्तावेज लिए थे। उसके बाद उसके अकाउंट में लाखों रुपए की राशि डाली गई। वह आदमी उसके पास आया और गलती से उसके खाते में रकम डाले जाने की बात कह कर पैसे निकलवा कर ले गया। अनिल शर्मा को शक हुआ तो उसने बैंक में जाकर पता करवाया कि यह राशि कैसे और कहां से आई थी तो उसे पता चला कि यह राशि बिजली निगम कार्यालय, यमुनानगर, जगाधरी से ट्रांसफर की गई थी। इसके बाद उसने इस मामले की सूचना पुलिस में दी। मामले के प्रकाश में आने के बाद बिलासपुर के एक्सईएन नीरज कुमार ने अपने कार्यालय में जांच शुरू की। जांच में पता चला कि इस कार्यालय से 63 लाख की फर्जी ट्रांजेक्शन की गई है। उन्होंने बिलासपुर थाने में अपने कार्यालय के डिप्टी सुपरिंटेंडेंट राकेश नंदा, एलडीसी राघव वधावन, चक्रवर्ती शर्मा व योगेश लांबा के खिलाफ शिकायत देकर मामला दर्ज करवाया।
बिलासपुर थाना प्रभारी बलबीर सिंह ने बताया कि चारों के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज करके जांच शुरू कर दी गई है। कितने की हेराफेरी हुई इसकी बिजली निगम की ऑडिट टीम द्वारा जांच की जा रही है।
ऑडिट के बाद पूरी हेराफेरी का लगेगा पता
बिजली निगम के सुपरिंटेंडेंट इंजीनियर राजेंद्र कुमार का कहना है कि निगम के दो कर्मचारियों को निलंबित किया गया है। विभाग को पूरी रिपोर्ट भेजी जा रही है। कितनी राशि की हेराफेरी हुई यह सारा ऑडिट पूरा होने के बाद पता चल पाएगा।