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गांव पोलड़ को खाली करने के लिए पुरातत्व विभाग ने फिर दिया नोटिस

ग्रामीणों में मचा हड़कंप... बोले- भारत-पाक विभाजन से यहां रह रहे, मर जायेंगे पर खाली नहीं करेंगे
सीवन के गांव पोलड़ में स्थित ऐतिहासिक मां सरस्वती का मंदिर।  -निस
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206 घरों को थमाया नोटिस, विभाग का तर्क - यहां अति प्राचीन व दुर्लभ वस्तुएं मिल सकती हैं, संरक्षित करना जरूरी

बहादुर सैनी/निस
सीवन, 18 मई

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा एक बार फिर से जिले के ऐतिहासिक गांव पोलड़ को खाली करने के नोटिस देने के बाद गांव में तनाव का माहौल बन गया है। विभाग ने गांव के 206 घरों को नोटिस भेजकर जल्द खाली करने के निर्देश दिए हैं, लेकिन गांव के लोगों ने नोटिस लेने से मना कर दिया। इस तनाव में गांव की एक आंगनवाड़ी वर्कर महिला की मौत भी हो गई। मृतक की पहचान गुरमीत कौर के रूप में हुई है। परिजनों के अनुसार जब उन्हें मकान खाली करने के नोटिस का पता चला तो वह काफी परेशान हो गई थी और उसे हार्ट अटैक आ गया। ग्रामीणों का कहना है कि वे भारत-पाकिस्तान विभाजन के समय से यहां बसे थे और तभी से गांव में रह रहे हैं। अब तक गांव में पुरातत्व विभाग द्वारा 3 बार खुदाई की जा चुकी है, पर कोई ऐतिहासिक अवशेष नहीं मिले। इसके बावजूद उन्हें बेघर करने के प्रयास किए जा रहे हैं, जिसे वे अन्यायपूर्ण मानते हैं।

गांववासियों ने रविवार को गुहला से कांग्रेस विधायक देवेंद्र हंस को ज्ञापन सौंपते हुए आग्रह किया कि गांव को खाली कराने के आदेशों को रद्द करवाया जाए। ग्रामीणों ने स्पष्ट किया कि वे अपने घर किसी भी हालत में नहीं छोड़ेंगे। यह हमारी पूर्वजों की धरोहर है। हम यहां से नहीं हटेंगे, चाहे कुछ भी हो जाए। गांववासियों ने चेतावनी दी कि यदि उनकी मांग नहीं मानी गई तो वे कानूनी और लोकतांत्रिक तरीके से संघर्ष करेंगे। प्रदर्शन, धरना और न्यायालय तक जाने से भी पीछे नहीं हटेंगे। ग्रामीणों का कहना है कि सरकार यदि वाकई संरक्षण चाहती है तो पहले उन्हें बसाने की योजना पेश करे।

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पुरातत्व विभाग करवा चुका खुदाई, कोर्ट में दायर की थी याचिका

पोलड़ की जमीन को ऐतिहासिक घोषित करते हुए पुरातत्व विभाग ने पूर्व में कई बार खुदाई करवाई है। विभाग का कहना है कि यहां अति प्राचीन व दुर्लभ वस्तुएं मिल सकती हैं, इसलिए संरक्षित किया जाना जरूरी है। कोर्ट में विभाग की याचिका के बाद ही गांव को खाली करने की प्रक्रिया शुरू की गई है।

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