दिनेश भारद्वाज / ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 28 अप्रैल
हरियाणा में बिजली संकट से थोड़ी राहत मिल सकती है। हरियाणा राज्य बिजली नियामक आयोग (एचईआरसी) ने सरकार को 500 मैगावाट पावर परचेज करने की मंजूरी दी है। सरकार को फटकार के साथ यह अनुमति सशर्त मिली है। दरअसल, समय रहते सरकार ने पावर प्रबंध नहीं किया और अचानक ने खरीद के लिए आयोग का दरवाजा खटखटाया। इससे नाराज़ आयोग ने दो-टूक कहा, भविष्य में एडवांस में सूचित करना होगा। आयोग ने 500 मैगावाट बिजली खरीद की मंजूरी भी सरकार की याचिका को विशेष केस ट्रीट करते हुए जनहित में दी है। साथ ही, सरकार को निर्देश दिए हैं कि तुरंत उपभोक्ताओं को इसकी सप्लाई सुनिश्चित की जाए। सरकार मध्य प्रदेश की प्राइवेट कंपनी एमबी पावर से 150 और छत्तीसगढ़ की आरकेएम पावर प्राइवेट लिमिटेड से 350 मैगावाट बिजली खरीदेगी। एमबी पावर से 5.70 रुपये और आरकेएम से 5.75 रुपये प्रति यूनिट के हिसाब से खरीद होगी।
सरकार के पास खुद के पावर प्लांट हैं लेकिन खेदड़ की एक यूनिट तकनीकी खराबी की वजह से बंद पड़ी है। पानीपत के तीन से अधिक यूनिट सरकार बंद कर चुकी है। इस बीच सरकार ने यमुनानगर प्लांट में 750 मैगावाट की एक और यूनिट स्थापित करने का निर्णय लिया है। अडानी पावर के साथ हुड्डा सरकार के समय ही 1450 मैगावाट से अधिक बिजली के लिए 25 सालों का एग्रीमेंट हुआ था। इंडोनिशया का कोयला इस्तेमाल होने के चलते अडानी पावर ने दरों में बढ़ोतरी की मांग की। बहरहाल, सरकार को 500 मैगावाट बिजली खरीदने की मंजूरी मिल गई है। आयोग ने इलेक्िट्रसिटी एक्ट-2003 के सेक्शन 63 और 86(1)बी के तहत सुनवाई करते हुए इस केस का निपटारा किया है।
आयोग के चेयरमैन आरके पचनंदा व सदस्य नरेश सरदाना ने यह फैसला सुनाया। इस सारे मामले को लेकर एक पेच फंस गया है। सरकार ने मध्य प्रदेश की एमबी पावर मध्य प्रदेश लिमिटेड से 150 मेगावाट और आरकेएम पावर जेन प्राइवेट लिमिटेड, छत्तीसगढ़ से 350 मेगावाट बिजली नियमित खरीद का समझौता कर रखा है। जबकि आयोग की ओर से उसे हर साल अप्रैल से अक्तूबर के पांच महीनों में 500 मेगावाट खरीद की अनुमति मिली है। ऐसे में अब सरकार इन कंपनियों को चिट्ठी लिख रही है कि क्या वे इसी अवधि के लिए उसे ये बिजली दे सकते हैं।
आयोग का पूरा फैसला
- बिजली से संबंधित प्लानिंग हमें एडवांस में बताएं। खरीद से पहले नोटिस जारी होता है और फिर सुनवाई होती है।
- हम खरीद की मंजूरी दे रहे हैं, लेकिन बिजली कंपनियां उपभोक्ताओं को तत्काल सप्लाई सुनिश्चित करें।
- तीन वर्षों के लिए पहली अप्रैल से अक्तूबर तक की अवधि के लिए ही बिजली खरीद की जा सकेगी।
- आयोग यह मंजूरी इसलिए दे रहा है ताकि उपभोक्ताओं पर किसी तरह का बोझ न पड़े।
साढ़े 18 करोड़ यूनिट डिमांड
बढ़ती गर्मी की वजह से इस बार प्रदेश में डिमांड 18 करोड़ 46 लाख यूनिट पहुंच गई है। डिमांड पूरी करना बिजली कंपनियों के सामने बड़ी चुनौती है। इसी वजह से प्रदेश के गांवों ही नहीं, शहरों में भी घंटों के कट लग रहे हैं।
मौसम विभाग ने डराया
मौसम विभाग ने 29 व 30 अप्रैल को गर्मी का प्रकोप और बढ़ने की आशंका जताई है। पिछले तीन दिनों में ही डिमांड 1.74 करोड़ यूनिट तक बढ़ी है। 24 अप्रैल को बिजली के कट 1.05 करोड़ यूनिट तक थे, अब 1.62 करोड़ हैं।
कश्मीर से आंध्र तक संकट
नयी दिल्ली (एजेंसी) : भीषण गर्मी और कोयले की किल्लत के चलते देश के कई राज्यों में बिजली संकट गहरा गया है। बिजली संयंत्रों में कम उत्पादन के बीच राज्य भारी मांग को पूरा करने के लिए जूझ रहे हैं। जम्मू-कश्मीर से लेकर आंध्र प्रदेश तक उपभोक्ताओं को दो से आठ घंटे तक की बिजली कटौती का सामना करना पड़ रहा है। देश में बिजली की कुल कमी 62.3 करोड़ यूनिट तक पहुंच गई है। इस संकट के केंद्र में कोयले की कमी है। देश में कोयले से 70 प्रतिशत बिजली का उत्पादन होता है।