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Anti-drug Campaign हरियाणा में नशे के खिलाफ बड़ी जंग, साइकिल पर सदन पहुंची सरकार

6 साल में 21,591 केस, 2,046 तस्कर दोषी करार, स्पीकर हरविन्द्र कल्याण के आह्वान पर सीएम सहित कई मंत्री-विधायक साइकिल से विधानसभा पहुंचे
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, स्पीकर हरविन्द्र कल्याण, कैबिनेट मंत्री डॉ. अरविंद शर्मा, विपुल गोयल समेत कई मंत्री और विधायक साइकिल से विधानसभा जाते हुए।
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Anti-drug Campaign  हरियाणा विधानसभा का सोमवार का नजारा आम दिनों से बिल्कुल अलग था। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी से लेकर कई मंत्री और विधायक अपनी कारों की जगह साइकिल पर विधानसभा पहुंचे। वजह थी नशे के खिलाफ संदेश। यह पहल विधानसभा स्पीकर हरविन्द्र कल्याण के आह्वान पर हुई, जिन्होंने मानसून सत्र की शुरुआत पर सभी सदस्यों से साइकिल से आने की अपील की थी।

मुख्यमंत्री सैनी, स्पीकर कल्याण, कैबिनेट मंत्री डॉ. अरविंद शर्मा, विपुल गोयल और विधायक देवेंद्र अत्री, रणधीर सिंह पनिहार, निखिल मदान, सतपाल जाम्बा, रामकुमार कश्यप और मुकेश शर्मा सहित कई नेताओं ने साइकिल चलाई। सत्ता पक्ष का यह प्रदर्शन एक संदेश देने वाला था कि सरकार नशे की जड़ें काटने के लिए प्रतिबद्ध है।

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पुलिस का आंकड़ा: 6 साल में 21,591 केस

विधानसभा में डबवाली विधायक आदित्य देवीलाल के सवाल पर सरकार ने आंकड़े पेश किए। मुख्यमंत्री के अनुसार, 1 जनवरी 2019 से 31 जुलाई 2025 तक 21,591 केस दर्ज हुए और 2,046 आरोपी अदालतों में दोषी ठहराए गए।

सरकार का दावा है कि यह बढ़ती समस्या का नहीं बल्कि सक्रिय कार्रवाई का सबूत है। मुख्यमंत्री सैनी ने कहा – “नशे की समस्या बढ़ने का आरोप तथ्यात्मक नहीं है। तस्करों की कमर तोड़ी जा रही है और लगातार अभियान चल रहे हैं।”

बरामदगी: आंकड़े चौंकाने वाले

इस अवधि में पुलिस और एसटीएफ ने भारी मात्रा में मादक पदार्थ पकड़े।

जिलेवार स्थिति

रिपोर्टें और आरोप

केंद्रीय गृह मंत्रालय की रिपोर्ट पहले ही बता चुकी है कि प्रदेश के 22 में से आधे से ज्यादा जिलों में नशे का प्रचलन बढ़ा है। इतनी बड़ी बरामदगी इस बात की पुष्टि करती है कि हरियाणा धीरे-धीरे अंतरराज्यीय नशा तस्करी का केंद्र बनता जा रहा है।

इनेलो विधायक आदित्य देवीलाल ने नशे से हुई मौतों का आंकड़ा मांगा था। लेकिन सरकार ने इसका ‘नहीं’ में जवाब दिया। यानी मौतों का कोई डेटा उपलब्ध नहीं कराया गया। विपक्ष इसे सरकार का “हकीकत से भागना” बता रहा है। विपक्ष का कहना है कि नशाखोरी से सबसे ज्यादा युवा प्रभावित हो रहे हैं और मौतों का सिलसिला जारी है।

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