प्रथम शर्मा/हप्र
झज्जर, 15 मार्च
कृषि कानूनों को लेकर करीब सवा तीन माह से यहां टीकरी बॉर्डर पर डटे किसानों ने सोमवार को कारपोरेट विरोधी दिवस मनाया। इस दौरान किसानों ने कहा कि सरकार सभी सरकारी महकमों का निजीकरण कर रही है, लेकिन सरकार को यह भी पता होना चाहिए कि सरकारी नौकरी न मिलने से बेरोजगारी बढ़ जाएगी। किसान नेताओं ने एक बार फिर दोहराया कि जब तक तीनों कृषि कानून वापिस नहीं हो जाते तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा। किसान नेता अमरजीत व सुरेन्द्र ने सिंघु बॉर्डर पर समर्सीबल पम्प लगाने और पक्के निर्माण करने वाले किसानों पर एफआईआर दर्ज करने पर भी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने कहा कि जब आंदोलन स्थल पर मूलभूत सुविधाएं ही सरकार उपलब्ध नहीं करा पा रही है तो फिर किसानों को अपनी व्यवस्था खुद करनी पड़ रही है। लेकिन सरकार इस पर भी एफआईआर दर्ज करा रही है। जोकि गलत है। उन्होंने कहा क पीने का पानी,टॉयलेट और सफाई की व्यवस्था भी सरकार द्वारा नहीं की जा रही है। सरकार को यह समझ लेना चाहिए कि एफआईआर दर्ज होने से किसान कतई डरने वाला नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार नहीं चाहती कि बातचीत का डेडलॉक खत्म हो।
किसान नहीं करेंगे पक्का निर्माण
कृषि कानूनों को रद्द कराने के लिए पिछले करीब साढ़े तीन माह से धरने पर डटे किसानों ने अब आंदोलन स्थल पर पक्का निर्माण व बोरवेल ने करने का फैसला लिया है। यह फैसला सोमवार को प्रशासनिक अधिकारियों के साथ किसानों की हुई बैठक में लिया गया। बैठक में कई मुद्दों पर प्रशासन व किसानों के बीच आपसी सहमति बनी है। इनमें पक्का निर्माण व बोरवेल न करना प्रमुख रूप से शामिल है। इन्हीं मुद्दों पर चर्चा करने के लिए एक बार फिर से टीकरी बॉर्डर पर प्रशासन व किसानों के बीच मंगलवार को बैठक होनी है। किसानों ने अधिकारियों के साथ हुई मीटिंग में साफ-साफ कहा है कि वह आंदोलन स्थल पर बोरवेल व पक्का निर्माण नहीं करेंगे, लेकिन प्रशासन को भी इस मसले पर एक आश्वासन देना होगा कि आंदोलनस्थल पर किसानों के लिए पेयजल, सफाई, बिजली, टॉयलेट व फायर सेफ्टी का बंदोबस्त करे। इसके अलावा आंदोलन स्थल पर काफी मच्छर हो गए है। इसलिए यहां पर प्रशासन फोगिंग कराए। किसान नेत बूटा सिंह व योगेन्द्र सिंह ने कहा कि संयुक्त मोर्चा पहले ही यह कह चुका है कि आंदोलन स्थल पर अब पक्का निर्माण नहीं किया जाएगा।