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सोशल मीडिया पर अनिल विज अब मंत्री नहीं!

खुद को ‘ब्रांड’ बनाने की कवायद, पहले भी रह चुके चर्चाओं में
अनिल विज
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 हरियाणा के ऊर्जा, परिवहन एवं श्रम मंत्री अनिल विज एक बार फिर सियासी हलचलों के केंद्र में आ गए हैं। बुधवार देर रात उन्होंने अपने एक्स (पूर्व में ट्विटर) अकाउंट से ‘मिनिस्टर’ शब्द और पोर्टफोलियो हटा दिया। बृहस्पतिवार को जब मीडिया ने इस घटनाक्रम पर सवाल किए तो विज ने साफ कहा - ‘यह बेमतलब की चर्चा है।

मैं चाहता हूं कि मेरे फॉलोवर्स मेरे कंटेंट की वजह से बनें, न कि किसी पद या टैग से।’विज ने कहा कि वे सोशल मीडिया पर उस दौर से सक्रिय हैं, जब उनके पास कोई पद नहीं था। उन्होंने स्पष्ट किया कि अन्य अकाउंट्स से भी ‘मिनिस्टर’ शब्द हटाया जाएगा। राजनीतिक हलकों में उनके इस कदम को सिर्फ तकनीकी बदलाव नहीं, बल्कि एक सियासी संदेश माना जा रहा है कि विज खुद को सरकार की कुर्सी से ज्यादा जनता और संगठन के बीच प्रासंगिक रखना चाहते हैं।

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इस घटनाक्रम के दो दिन बाद ही चंडीगढ़ में विज की केंद्रीय ऊर्जा, आवासन एवं शहरी विकास मंत्री मनोहर लाल और मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के साथ मुलाकात हुई। यह बैठक सेवा पखवाड़े के कार्यक्रमों के बहाने हुई जरूर, लेकिन इसे विज की कथित नाराजगी दूर करने की कवायद के रूप में देखा जा रहा है। मुलाकात के बाद विज प्रसन्नचित्त नजर आए और उन्होंने कहा - ‘मैंने नाराज होना छोड़ दिया है।’

फिलहाल, एक्स हैंडल से ‘मिनिस्टर’ शब्द हटाने और फिर केंद्रीय मंत्री व मुख्यमंत्री संग मुलाकात के बाद विज की नाराजगी को ठंडा करने की कोशिश सफल होती दिख रही है। लेकिन राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि विज का यह ‘टैग हटाओ अभियान’ आने वाले दिनों में हरियाणा की सियासत में नए समीकरणों की भूमिका जरूर तय करेगा।

अंबाला में ‘समानांतर भाजपा’ विवाद की गूंज

विज के इस कदम को उनके हालिया बयान से भी जोड़कर देखा जा रहा है। कुछ दिन पहले उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा था कि अंबाला छावनी में कुछ लोग 'समानांतर भाजपा’ चला रहे हैं और उन्हें ऊपर वालों का आशीर्वाद प्राप्त है। हालांकि उन्होंने नाम बताने से परहेज किया। इस बयान ने पार्टी संगठन में हलचल जरूर मचा दी थी।

पद से बड़ा ‘अनिल विज ब्रांड’

विज का यह कदम कहीं न कहीं यह संकेत भी है कि वे अब अपनी पहचान को ‘अनिल विज ब्रांड’ के रूप में और मजबूत करना चाहते हैं। लगातार जीतते आ रहे अंबाला कैंट से विधायक विज का मानना है कि उनके समर्थक उनकी विचारधारा और बयानों के कारण जुड़ते हैं, न कि किसी पद के कारण।

विवादों से पुराना रिश्ता

अनिल विज की राजनीति हमेशा से बयानबाजी और विवादों के इर्द-गिर्द घूमती रही है। कभी अपने ही नेताओं को ‘गद्दार’ कहने से लेकर स्वतंत्रता दिवस की सूची से नाम गायब होने तक, वे बार-बार सियासी सुर्खियों में रहते हैं। भाजपा द्वारा हाल ही में बनाई गई प्रभारी सूची में नाम न होने पर भी उन्होंने तंज कसते हुए कहा था कि ‘मैं सिर्फ एक हलके का नहीं, पूरे प्रदेश का दौरा करूंगा।’

 

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