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सामान तोड़ने से गुस्साये रेहड़ी वालों ने प्रशासन के खिलाफ की नारेबाजी

अवैध कब्जे हटाने आए एसडीएम को झेलना पड़ा लोगों का विरोध
चीका में रेहड़ियां तोड़े जाने से गुस्साये लोग प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी करते हुए। -निस
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'अवैध कब्जा हटाओ अभियान' के तहत मंगलवार को शहर के पटियाला रोड पर अवैध कब्जे हटवाने पहुंचे एसडीएम को लोगों का विरोध झेलना पड़ा। एसडीएम कैप्टन प्रमेश सिंह आज दोपहर नगरपालिका कर्मचारियों की टीम व जेसीबी मशीन लेकर अवैध कब्जा हटाने आए थे। प्रशासन की कार्रवाई के दौरान रेहड़ी-फड़ी वालों की मांग पर किसान नेता हरदीप बदसुई व दीपक कुमार ने एसडीएम से इन लोगों को सामान उठाने के लिए दो दिनों का समय देने की मांग की।

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हरदीप बदसुई ने कहा कि प्रशासन गरीब लोगों की रेहड़ियां व सामान न तोड़े, ये लोग खुद ही अपना सामान हटा लेंगे, लेकिन एसडीएम इस बात पर अड़े रहे कि वे पहले ही तीन महीने का समय दे चुके हैं, लेकिन ये लोग प्रशासन को गंभीरता से नहीं ले रहे। इसके बाद जब जेसीबी मशीन से रेहड़ियों के ऊपर डाली गई टीन की छत व वहां पर रखे फर्नीचर को तोड़ना शुरू किया तो लोग भड़क उठे और उन्होंने डीसी व एसडीएम के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी।

रेहड़ी वालों की अगुवाई कर रहे किसान नेता हरदीप बदसुई, दीपक कुमार, ज्ञान चंद, सुशील कुमार, राकेश ने कहा कि वे लोग सड़क से दूर रहकर मेहनत-मजदूरी करके अपना व अपने परिवारों का पेट पाल रहे हैं। हरदीप बदसुई ने कहा कि यदि प्रशासन इन लोगों उजाड़ेगा तो ये लोग बेरोजगार होकर नशा बेचने या चोरी करने जैसे अपराध करेंगे और इसका जिम्मेवार गुहला प्रशासन होगा। हरदीप व दीपक ने कहा कि शहर में दर्जनों जगहों पर पक्के अवैध कब्जे हैं। प्रशासन गरीब लोगों को उजाड़ने के बजाए उन कब्जों को हटाए। हरदीप व दीपक ने प्रशासन की कार्रवाई का विरोध करते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री नायब सैनी से मांग रखी कि प्रशासन की तानाशाही तुरंत बंद करवाई जाए।

''किसी भी रेहड़ी वाले को हटाया नहीं गया है। जिन रेहड़ी वालों ने अपनी रेहड़ियों पर बड़ी-बड़ी तिरपालें लगाकर अवैध कब्जे किए हुए हैं और जो लक्ष्मण रेखा को लांघ रहे हैं, उनके खिलाफ चालान काटने व उन्हें सड़क से पीछे हटाने की कार्रवाई की गई है ताकि यातायात बाधित न हो। एसडीएम ने कहा कि प्रशासन पिछले तीन महीने से इन्हें स्वयं ही पीछे हटने को कहा जा रहा था, लेकिन इन्होंने प्रशासन को गंभीरता से नहीं लिया तो यह कार्रवाई करनी पड़ी है।

-कैप्टन प्रमेश सिंह, एसडीएम गुहला

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