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‘फोटो प्रोटोकॉल’ के बाद खीचेंगी अनुशासन की लकीर

नये सिरे से बनेगी अनुशासन कमेटी, बीके हरिप्रसाद ने शुरू की तैयारी

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हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी। फाइल फोटो
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हरियाणा कांग्रेस में बेतहाशा बयानबाजी और गुटीय टकराव अब पार्टी हाईकमान के धैर्य की सीमा लांघ चुके हैं। कांग्रेस आलाकमान ने प्रदेश में अब अनुशासन की लकीर खींचने की तैयारी कर ली है। प्रदेश प्रभारी बीके हरिप्रसाद ने साफ संकेत दिए हैं कि जल्द ही हरियाणा में नई अनुशासन समिति गठित की जाएगी, जो बागी और बड़बोले नेताओं पर कार्रवाई की सिफारिश करेगी।

हरिप्रसाद का कहना है कि हरियाणा कांग्रेस में अनुशासन और एकता को प्राथमिकता दी जाएगी। पार्टी लाइन से हटकर बयान देने वाले और गुटबाजी को हवा देने वाले नेताओं के खिलाफ सख्त कदम उठाने का वक्त आ गया है। प्रदेश में हुए बड़े बदलाव के बाद भी पूर्व वित्त मंत्री प्रो़ संपत सिंह, कैप्टन अजय सिंह यादव, पूर्व स्पीकर कुलदीप शर्मा व पूर्व सीपीएस राव दान सिंह सहित कई नेता मुखर होकर बोल रहे हैं।

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दो साल पहले पार्टी नेतृत्व ने पूर्व मंत्री महेंद्र प्रताप सिंह की अध्यक्षता में अनुशासन समिति का गठन किया था। इस कमेटी में पूर्व प्रदेशाध्यक्ष फूलचंद मुलाना, पूर्व विधायक जगबीर सिंह मलिक व चक्रवर्ती शर्मा को बतौर सदस्य शामिल किया था। लेकिन यह कमेटी कागजों में ही सीमित रह गई। अब आलाकमान चाहता है कि यह नई समिति सिर्फ कागजी न होकर ‘एक्शन ओरिएंटेड’ हो ताकि हर बयानबाज नेता को उसका जवाब मिले।

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नरेंद्र व हुड्डा पर जताया भरोसा

हरियाणा कांग्रेस की पुरानी बीमारियों में सबसे पुरानी है – गुटबाजी। कभी सैलजा-रणदीप-किरण (एसआके) की तिकड़ी हुड्डा कैंप के खिलाफ खड़ी थी। किरण चौधरी भाजपा में जा चुकी हैं लेकिन प्रदेश कांग्रेस की खींचतान वहीं खड़ी है। हालांकि कांग्रेस नेतृत्व ने पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा को सीएलपी लीडर और राव नरेंद्र सिंह को प्रदेशाध्यक्ष बनाकर नये समीकरण बनाने की कोशिश की है। बरसों के बाद जाट और एससी की जगह जाट और ओबीसी की जोड़ी बनाई है। माना जाता है कि पार्टी में वरिष्ठ नेताओं के ‘निजी प्रभाव’ और ‘सीएम उम्मीदवार’ बनने की दौड़ ने संगठन को लगातार कमजोर किया है। राहुल गांधी भी चुनाव हारने के बाद कह चुके हैं - ‘हरियाणा में नेताओं का इंटरेस्ट पार्टी से बड़ा हो गया।’

सुरजेवाला सहित लगेंगे 10 के फोटो

नए अध्यक्ष राव नरेंद्र का ‘फोटो प्रोटोकॉल’ भी चर्चाओं में है। गुटबाजी और फोटो–फ्रेम की लड़ाई को खत्म करने के लिए राव नरेंद्र सिंह ने बड़ा कदम उठाया है। उन्होंने ‘फोटो प्रोटोकॉल’ लागू किया है। इसके तहत अब कांग्रेस के पोस्टर-बैनर में केवल दस वरिष्ठ नेताओं की तस्वीरें लगेंगी। इनमें सोनिया गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, केसी वेणुगोपाल, बीके हरिप्रसाद, राव नरेंद्र सिंह, भूपेंद्र सिंह हुड्डा, कुमारी सैलजा, रणदीप सुरजेवाला और दीपेंद्र हुड्डा के नाम शामिल हैं। सुरजेवाला कर्नाटक मामलों के प्रभारी भी हैं और राहुल गांधी की कोर टीम का उन्हें अहम सदस्य माना जाता है। प्रधान के इस फैसले का मकसद, पार्टी में ‘चेहरे की राजनीति नहीं, संगठन की पहचान’ को बढ़ावा देना है।

बड़बोले नेताओं के बयानों से पार्टी असहज

पूर्व वित्त मंत्री प्रो़ संपत सिंह 25 सितंबर को रोहतक में इनेलो की रैली में शामिल होकर चर्चा में आ गए थे। उन्होंने हुड्डा को निशाने पर लिया और कहा था कि पार्टी उन्हीं हाथों में सौंप दी गई जिन्होंने उसे कमजोर किया। पूर्व वित्त मंत्री कैप्टन अजय सिंह यादव ने नए प्रदेशाध्यक्ष की नियुक्ति पर सवाल उठाए और कहा कि यह राहुल गांधी की इच्छा के विपरीत निर्णय है। पूर्व स्पीकर कुलदीप शर्मा ने बिना नाम लिए हुड्डा पर तंज कसा और बृजेंद्र सिंह की सद्भावना यात्रा में हिस्सा लेकर संदेश दिया कि सिद्धांत के साथ, व्यक्ति के नहीं। पूर्व सीपीएस राव दान सिंह ने तो प्रदेशाध्यक्ष की शपथ ग्रहण तक में भाग नहीं लिया। इन सब बयानों ने कांग्रेस के अंदरूनी टकराव को सार्वजनिक कर दिया है, जिससे संगठन की साख पर असर पड़ा।

कांग्रेस की चिंता: अनुशासन या अस्तित्व

चुनाव के बाद बनी फैक्ट-फाइंडिंग कमेटी (भूपेश बघेल और हरीश चौधरी) ने भी रिपोर्ट में कहा था कि हरियाणा कांग्रेस की हार की सबसे बड़ी वजह गुटबाजी और तालमेल की कमी है। अब आलाकमान इस रिपोर्ट को गंभीरता से लेते हुए ‘अनुशासन की डोर’ कसना चाहता है। प्रदेशाध्यक्ष राव नरेंद्र सिंह को भी उम्मीद है कि जल्द ही अनुशासन समिति का गठन होगा। उनका कहना है कि अनुशासन समिति प्रभावी होगी। बहरहाल, अब देखना यह होगा कि क्या यह अनुशासन की तलवार वाकई बड़बोले नेताओं की जुबान पर लगाम लगा पाएगी या फिर यह भी बीते फैसलों की तरह फाइलों में ही कैद रह जाएगी।

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