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कैबिनेट के फर्जी लेटर के बाद अब पंचकूला में जमीन खरीद का बड़ा खेल

मुख्य सचिव ने रोकी रजिस्ट्री, जांच कराएगी सरकार
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प्रतिकात्मक चित्र
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दिनेश भारद्वाज/ ट्रिन्यू

चंडीगढ़, 31 मार्च

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गुरुग्राम, रोहतक व सोनीपत में अधिगृहीत जमीन को रिलीज करवाने के लिए कैबिनेट मीटिंग का फर्जी लेटर जारी करने का मामला अभी ठंडा भी नहीं पड़ा है, वहीं पंचकूला में सरप्लस जमीन के इंतकाल और रजिस्ट्री के नाम पर बड़े खेल का पर्दाफाश हुआ है। मुख्य सचिव तथा एफसीआर टीवीएसएन प्रसाद के नोटिस में जब यह मामला आया तो उन्होंने तुरंत पंचकूला के डीसी को पत्र जारी करके इस जमीन की रजिस्ट्री नहीं करने के आदेश दिए।

14 एकड़ जमीन का यह सौदा महज 11 करोड़ रुपये में हुआ था, पांच करोड़ रुपये में इसकी रजिस्ट्री करवाने की कोशिश की गई, जबकि मार्केट रेट के हिसाब से यह सैकड़ों करोड़ का मामला है। रोचक पहलू यह है कि इस मामले में कई सेवानिवृत्त व कार्यरत अधिकारी शामिल हैं। इनमें ब्यूरोक्रेसी से जुड़े लोग भी शामिल हैं। राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग से जुड़े सूत्रों का कहना है कि पंचकूला जिले में 1400 एकड़ से भी अधिक सरप्लस जमीन को अलग-अलग लोगों ने कब्जाया हुआ है। इस तरह की जमीनों पर कई सेवारत व सेवानिवृत्त आईएएस व दूसरे अधिकारियों के भी कब्जे हैं।

सूत्रों का कहना है कि जिस 14 एकड़ भूमि को लेकर पंचकूला में यह विवाद हुआ है, वह जमीन सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी और उनके रिश्तेदारों के नाम थी। यह जमीन पंचकूला-यमुनानगर एक्सप्रेस-वे पर पड़ती है। इसके आसपास ही एक नामचीन प्राइवेट बिल्डर का रिहायशी प्रोजेक्ट भी है। आर-जोन की इस बेशकीमती जमीन का इंतकाल संबंधित अधिकारियों के नाम पर नहीं चढ़ा था। अम्बाला मंडलायुक्त के निर्देशों पर इंतकाल चढ़ाया गया। इसके बाद इस जमीन की रजिस्ट्री करने को कहा गया।

बताते हैं कि पंचकूला के डीसी सुशील सारवान ने मुख्य सचिव और एफसीआर टीवीएसएन प्रसाद को पत्र लिखकर गाइडेंस मांगी। मुख्य सचिव ने इस मामले को गंभीरता से लिया। बताते हैं कि उन्होंने अपने स्तर पर इस मामले की जांच करवाई। जब बड़ा खेल दिखा तो उन्होंने बीड़ फिरोजड़ी जमीन की रजिस्ट्री करने से इनकार कर दिया।

पहले सौदा, फिर गए मंडलायुक्त कोर्ट : खबर को अगर सही मानें तो अधिकारी विवादित जमीन को सस्ती दरों पर लेकर मोटा मुनाफा कमाने के चक्कर में थे। सबसे बड़ी बात यह है कि जमीन का सौदा पहले कर दिया गया। इसके बाद मंडलायुक्त कोर्ट में केस दायर किया। पंचकूला में रजिस्ट्री के समय तहसीलदार को जब शक हुआ तो उन्होंने उच्चाधिकारियों को अवगत कराया।

सभी जिलाें के डीसी से रिकॉर्ड तलब

अब सभी जिलों के डीसी से सरप्लस जमीन को लेकर रिकाॅर्ड तलब किया है। प्रसाद ने उपायुक्तों से सरकार की सरप्लस जमीन को लेकर यह भी पूछा है कि ऐसी जमीनों पर किन-किन लोगों ने कब्ज किया हुआ है। साथ ही, ऐसी जमीनों की खरीद-फरोख्त और रजिस्ट्री को लेकर भी डिटेल तलब की है। नियमों के अनुसार, इस तरह की जमीन की खरीद-फरोख्त नहीं हो सकती। ऐसी जमीनों का इंतकाल सरकार के नाम ही चढ़ता है।

जांच हुई तो खुलेगा बड़ा खेल : सूत्रों का कहना है– अगर इस पूरे मामले की जांच हुई तो जमीन का बड़ा खेल खुलेगा। राजा भगवंत सिंह की पंचकूला के सात गांवों- बीड़ बाबूपुर, बीड़ फिरोजड़ी, बाहरली, संगराणा, बरवाला, जलौली और फतेहपुर वीरान में 1396 एकड़ जमीन थी। यह जमीन सरप्लस एक्ट 1953 व 1972 के तहत थी। इसके तहत मलकीयत नहीं बदली जा सकती। इसमें से 14 एकड़ जमीन की खरीद-फरोख्त को लेकर जबरदस्त खेल खेला गया। इसमें तीन रिटायर्ड आईएएस अधिकारी और दो मौजूदा आईएएस अधिकारी शामिल बताए जा रहे हैं।

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