48 साल बाद महेंद्रगढ़ से किसी नेता को मिली बागडोर, विरोध के स्वर भी उठे
हरियाणा में कांग्रेस की राजनीित ने एकबार फिर तेजी से करवट ली है। पार्टी आलाकमान ने आखिरकार लंबे इंतजार के बाद प्रदेश अध्यक्ष की ताजपोशी कर दी। पार्टी ने दक्षिण हरियाणा से आने वाले वरिष्ठ नेता और तीन बार के विधायक राव नरेंद्र सिंह को नया प्रदेशाध्यक्ष नियुक्त किया है। लेकिन उनकी नियुक्ति के साथ ही विवाद भी खड़ा हो गया। दक्षिण हरियाणा के ही दिग्गज नेता और पूर्व मंत्री अजय सिंह यादव ने फैसले का विरोध करते हुए पार्टी से आत्मनिरीक्षण की मांग की है। यह पहला मौका नहीं है, जब हरियाणा कांग्रेस में नेतृत्व परिवर्तन के साथ असहमति की आवाजें उठी हों। लेकिन इस बार मामला खास इसलिए समझा जा है, क्योंकि नियुक्ति होते ही कांग्रेस के भीतर गुटबाजी और विरोध की तस्वीर खुलकर सामने आ गई है।
राव की ताजपोशी – एक नया अध्याय
राव नरेंद्र सिंह को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने का निर्णय ऐतिहासिक इसलिए है, क्योंकि लगभग 48 साल बाद महेंद्रगढ़ जिले के किसी नेता को कांग्रेस ने यह जिम्मेदारी सौंपी है। इससे पहले 1972 में कांग्रेस ने राव निहाल सिंह को प्रदेशाध्यक्ष नियुक्त किया था। वह 1977 तक इस पद पर रहे। करीब चार दशक बाद 2013 में भाजपा ने भी महेंद्रगढ़ के ही राम बिलास शर्मा को प्रदेशाध्यक्ष बनाया था। अब 2025 में कांग्रेस ने राव नरेंद्र सिंह को यह जिम्मेदारी देकर महेंद्रगढ़ की सियासत को एक बार फिर सुर्खियों में ला दिया है।
राजनीतिक सफर: संघर्ष से मंत्री पद तक
राव नरेंद्र सिंह का राजनीतिक सफर दिलचस्प रहा है। पहली बार वे 1996 में अटेली विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए, उस समय कांग्रेस पार्टी हरियाणा की 90 सीटों में से केवल 9 सीटों पर सिमट गई थी। दूसरी बार 2000 में फिर से अटेली से विधायक बने। उस वक्त कांग्रेस को महज 21 सीटें मिली थीं। तीसरी बार 2009 में वे हरियाणा जनहित कांग्रेस (एचजेसी) के टिकट पर चुनाव जीते। बाद में कांग्रेस में शामिल होकर 2010 से 2014 तक हरियाणा सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रहे। उनके पिता स्वर्गीय राव बंसी सिंह भी तीन बार विधायक रहे थे, जिससे राजनीति उनके परिवार में विरासत के रूप में रही है।
अजय यादव का विरोध – “निर्णय पर करे पार्टी आत्मनिरीक्षण”
राव नरेंद्र सिंह की नियुक्ति के कुछ घंटे बाद ही कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और दक्षिण हरियाणा के प्रभावशाली चेहरे अजय सिंह यादव ने विरोध का झंडा बुलंद कर दिया। उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर लिखा:
“हरियाणा कांग्रेस का ग्राफ लगातार गिर रहा है। ऐसे समय में पार्टी को गहन आत्मनिरीक्षण करना चाहिए। राहुल गांधी की इच्छा थी कि प्रदेशाध्यक्ष के रूप में ऐसा चेहरा सामने आए जिसकी छवि साफ-सुथरी, बेदाग और युवा नेतृत्व की पहचान रखने वाली हो। लेकिन आज जो निर्णय हुआ है, वह इसके ठीक विपरीत है।”
क्यों खास है अजय यादव का विरोध?
अजय यादव का विरोध महज व्यक्तिगत असहमति नहीं माना जा रहा, इसके पीछे गहरी राजनीतिक पृष्ठभूमि है। वे लंबे समय से भूपेंद्र सिंह हुड्डा खेमे के विरोधी रहे हैं। संगठन में उनकी गहरी पैठ है और राष्ट्रीय स्तर पर भी उनकी गिनती अहम नेताओं में होती है। उनके बेटे और लालू प्रसाद यादव के दामाद चिरंजीव राव कांग्रेस विधायक रह चुके हैं। पिछले सप्ताह राहुल गांधी के गुरुग्राम दौरे के दौरान यह संकेत भी मिले थे कि चिरंजीव राव को पार्टी बड़ी जिम्मेदारी सौंप सकती है। ऐसे में राव नरेंद्र सिंह की नियुक्ति ने अजय यादव खेमे को असहज कर दिया है। हरियाणा कांग्रेस पहले ही लंबे समय से गुटबाजी से जूझ रही है। एक ओर भूपेंद्र हुड्डा का गुट है तो दूसरी ओर अजय यादव जैसे नेता जो लगातार हुड्डा का विरोध करते रहे हैं।
दक्षिण हरियाणा में समीकरण
राव नरेंद्र सिंह और अजय यादव दोनों ही दक्षिण हरियाणा से आते हैं। यह इलाका कांग्रेस के लिए रणनीतिक रूप से बेहद अहम है। गुरुग्राम, महेंद्रगढ़, रेवाड़ी और आसपास का क्षेत्र भाजपा और जजपा के प्रभाव में रहा है। ऐसे में कांग्रेस चाहती है कि यहां एक मजबूत नेतृत्व खड़ा हो। लेकिन सवाल यह है कि जब उसी इलाके के एक वरिष्ठ नेता ने सार्वजनिक रूप से विरोध कर दिया है तो क्या इससे कांग्रेस को नुकसान होगा? राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि यह कांग्रेस के लिए चुनौतीपूर्ण स्थिति है।
अब आगे की राह
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राव नरेंद्र सिंह का अनुभव और दक्षिण हरियाणा में उनकी पकड़ पार्टी को मजबूती दे सकती है। लेकिन अगर विरोध और असहमति का सिलसिला चलता रहा तो यह कांग्रेस के लिए आत्मघाती साबित हो सकता है। कांग्रेस हाईकमान के लिए भी यह स्थिति असहज है क्योंकि एक ओर वह हरियाणा में पार्टी को पुनर्जीवित करना चाहता है, दूसरी ओर नेताओं के बीच आपसी टकराव पार्टी की संभावनाओं को नुकसान पहुँचा सकता है।
नए अध्यक्ष के समक्ष चुनौतियां
- गुटबाजी को खत्म कर एकजुटता लाना। युवाओं और नए वोटरों को जोड़ना।
भाजपा एवं अन्य विपक्षी दलों के संगठनात्मक ढांचे का मुकाबला करना।
अजय यादव जैसे वरिष्ठ नेताओं की नाराजगी को दूर करना।
2029 के लोकसभा और विधानसभा चुनावों के लिए संगठन को तैयार करना।
हुड्डा ने हाईकमान का जताया आभार
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कांग्रेस हाईकमान, खासतौर पर राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी का आभार व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि फिर से विधायक दल का नेता चुनकर पार्टी ने उन पर जो विश्वास जताया है, उसपर वो खरा उतरने की भरपूर कोशिश करेंगे। जनता जनार्दन के मुद्दों को उठाने, सकारात्मक व संघर्षशील विपक्ष की भूमिका निभाने के लिए कांग्रेस पूरी तरह तैयार है। हुड्डा ने नए प्रदेश अध्यक्ष राव नरेंद्र सिंह को भी हार्दिक बधाई दी है। हुड्डा ने उम्मीद जताई कि राव नरेंद्र पार्टी को मजबूत करने व आगे बढ़ने का कार्य करेंगे। साथ ही उन्होंने पूर्व अध्यक्ष चौधरी उदयभान के कार्यकाल की भी सराहना की।
पदभार से पहले राव नरेंद्र मिल रहे सभी नेताओं से
हरियाणा कांग्रेस के नवनियुक्त प्रदेशाध्यक्ष राव नरेंद्र सिंह ने पदभार ग्रहण करने से पहले ही संगठन में एकजुटता का संदेश देने की कवायद शुरू कर दी है। उनकी नियुक्ति का ऐलान सोमवार देर रात हुआ और मंगलवार को उन्होंने चंडीगढ़ पहुँचकर एक के बाद एक वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात की। सबसे पहले राव नरेंद्र सिंह ने नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा से भेंट की। दोनों नेताओं ने पार्टी की रणनीति और आगे की चुनौतियों पर मंथन किया।
यह मुलाकात संकेत देती है कि नए अध्यक्ष अपने ऊपर किसी गुट की छाप नहीं लगने देना चाहते और संतुलन साधते हुए आगे बढ़ना चाहते हैं। इसके बाद उन्होंने कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला से भी भेंट की। सुरजेवाला भले ही राष्ट्रीय राजनीति में अधिक सक्रिय हों, लेकिन हरियाणा में उनका अलग प्रभाव और गुट माना जाता है। पदभार संभालने से पहले सुरजेवाला से मुलाकात कर राव नरेंद्र सिंह ने स्पष्ट किया कि वे सभी नेताओं को साथ लेकर चलने की कोशिश करेंगे।
मंगलवार को ही उन्होंने वरिष्ठ नेता चौधरी बीरेंद्र सिंह और उनकी पत्नी पूर्व विधायक प्रेमलता से भी भेंट की। इन लगातार मुलाकातों के जरिए राव नरेंद्र सिंह ने साफ कर दिया है कि वे अपने कार्यकाल की शुरुआत पार्टी की गुटबाजी खत्म करने और सभी धड़ों को एक मंच पर लाने से करना चाहते हैं। माना जा रहा है कि उनके पदभार ग्रहण समारोह में कांग्रेस के सभी बड़े चेहरे एक साथ नजर आएँगे।