दलेर सिंह/हप्र
जींद, 6 अप्रैल
हरियाणा सरकार ने नियम 134-ए के तहत निजी स्कूलों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के छात्रों के दाखिले पर पहले ही रोक लगा दी है। वहीं, सरकार ने अब वंचित वर्ग को शिक्षा से वंचित करने की लगभग पूरी तैयारी कर ली है। शिक्षा विभाग ने राजकीय मॉडल संस्कृति स्कूलों में दाखिलों से संबंधित नये निर्देश जारी किये हैं। जिनमें ऐसी शर्तें लगा दी गई हैं, जिनके अनुसार वंचित वर्ग के अनेक छात्र अब इन सरकारी स्कूलों में दाखिला ही नहीं ले सकेंगे।
सर्व कर्मचारी संघ से संबधित हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ, के जिला प्रधान साधूराम ने बुधवार को बताया कि 31 मार्च को महानिदेशक माध्यमिक शिक्षा हरियाणा ने बिना किसी सरकारी एक्ट में संशोधन के एक और पत्र दाखिलों की हिदायतों संबंधी जारी किया है। जिसमें राजकीय मॉडल संस्कृति स्कूलों में सभी के लिए बिना फीस, बिना अंग्रेजी भाषा माध्यम, बिना सीटों की संख्या व आरक्षण की जरूरत के अब तक खुले दाखिलों को इस पत्र से रोक दिया है । सरकार की नई हिदायतों के अनुसार अब इन राजकीय मॉडल संस्कृति स्कूलों में सभी के लिए दाखिला नहीं होगा। बल्कि वर्तमान में उपलब्ध ढा़चे की क्षमता (कमरे व अन्य) के अनुसार ही स्कूल स्वयं सीटों का निर्धारण करेगा। यह निर्णय स्वयं अभिभावकों (एसएमसी) से ही करवाने के निर्देश भी पत्र में शामिल हैं।
उन्होंने बताया कि इसका मतलब यह है कि अब गांव, क्षेत्र के बच्चों की संख्या, शिक्षा की जरूरत अनुसार ढांचे नहीं बनाए जाएंगे, शिक्षकों के पद सृजित नहीं होंगे, बल्कि अभी तक की जरूरत से आधे ढांचे में ही जितने बच्चे (30-35-40 बच्चे प्रति कमरा) पढ़ पाएंगे, उन्हें ही पढ़ाया जाएगा। अभी ड्रा के जरिये व आगे चलकर प्रतियोगिता से सीटें बांटी जाएगी। जो बच्चे बिना दाखिलों के रह जाएंगे, उनके लिए अब उच्च शिक्षा की ही तरह स्कूली शिक्षा में भी कोई जगह नहीं होगी।
वर्तमान ढांचे में किसी अपवाद को छोड़कर किसी भी स्कूल में प्रति कक्षा एक कमरे से ज्यादा नहीं हैं। किसी गांव में एक कक्षा में अभी तक की ढा़चागत सुविधाएं होने पर भी अगर एक कक्षा के 30 से ज्यादा बच्चे हैं, तो उनके दाखिले संभव ही नहीं हैं । उन्होंने कहा कि हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ, इसका पुरजोर विरोध करता है तथा सरकार से इस निर्णय को तुरंत वापस लेने की मांग करता है।
पहली कक्षा में 6 प्लस आयु के बच्चे का ही दाखिला
अध्यापक नेताओं ने बताया कि पिछले साल तक आनलाइन दाखिले पहली कक्षा में एक अप्रैल को 5 प्लस की उम्र पर करने का प्रावधान था। पहली कक्षा के पेपर देते हुए बच्चे की उम्र 6 प्लस होनी चाहिए थी। इसलिए उन सभी संबंधित बच्चों के दाखिले पिछले साल पहली कक्षा में हो चुके हैं। अब ये बच्चे दूसरी कक्षा के विद्यार्थी हो गये हैं। इस बार आनलाइन साफ्टवेयर बदल दिया गया है, जिसके अनुसार पहली कक्षा में 6 प्लस आयु के बच्चों का ही दाखिला होगा। जबकि इस उम्र के हरियाणा के सभी बच्चे दूसरी कक्षा में हो चुके हैं। इसलिए यह साल बिना दाखिलों का होगा। उन्होंने बताया कि असल में यह पूरी दाखिला प्रक्रिया, दाखिला करने की कम और बच्चों को स्कूलों से बाहर रखने की स्कीम ज्यादा हैं, क्योंकि यह आरटीई 2009 की सबके लिए निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा के तीनों ही उत्तरदायित्वों से छुटकारा पाने का तरीका भर है। इस पत्र में अंग्रेजी माध्यम से पढ़ने की इच्छा या क्षमता नहीं रखने वाले, फीस देने की क्षमता नहीं रखने वाले, शिक्षा के प्रति कम जागरूक जनता के लिए व वर्तमान ढांचे से अधिक बच्चे वाली जनता के लिए शिक्षा का कोई प्रबंध नहीं किया गया है, बल्कि जानबूझकर उन्हें अनपढ़ता की गहरी खाई में धकेलने का प्रबंध हैं।
अभिभावकों पर बढ़ेगा आर्थिक बोझ
अध्यापक संघ के पदाधिकारियों ने बताया कि जब आम जनता से कोई वस्तु या सुविधा छीननी हो तो उसे महंगा कर दीजिए के सिद्धांत को लागू किया जा रहा है। स्कूली शिक्षा को आमजन से छीनने की तैयारी हैं। 500 से 1000 रुपये दाखिला फीस व 200 से 500 रुपये तक से शुरू की मासिक फीस शिक्षा नीति सहित सभी निजिकरण की नीतियों में निहित सिद्धांत के अनुसार तेजी से बढ़ती जाएंगी। जिसके अनुसार स्कूल के ढांचे, शिक्षकों व सहायक स्टाफ के वेतन, बिजली-पानी-स्टेशनरी-कंम्प्यूटर खर्च व लाभ आदि के सभी खर्चे संबंधित संस्थान में पढ़ने वाले बच्चों को उठाने होंगे।
आरक्षित वर्ग की सीटें भी होंगी सीमित
हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ के राज्य कोषाध्यक्ष संजीव सिंगला ने बताया कि इन दाखिलों में आरक्षण के प्रावधान रखने को भी समझना होगा। आरक्षण की जरूरत तभी होती है, जब कोई वस्तु, रोजगार या शिक्षा सबके लिए न हो, अन्यथा तो आरक्षण की जरूरत ही नहीं होती। हरियाणा में बहुत से बच्चे अभी प्राईवेट में जा रहे है, जहां एससी व बीसी के ज्यादातर छात्र नहीं जा पाते हैं। अब सरकारी स्कूलों में भी उनको आरक्षण में (प्रति कक्षा 9 बच्चे) बांधकर रख दिया गया है। संघ के जिला कोषाध्यक्ष भूप सिंह वर्मा ने कहा कि हिंदी में शिक्षा की वकालत करने वाली सरकार व शिक्षानीति 2020 की व्यवहारिक रूप से यह पत्र पोल खोलता है। इसमें साफ लिखा है कि कक्षा पहली, छठी, नौवीं एवं ग्याहरवीं में मात्र अंग्रेजी माध्यम में ही दाखिले किये जाएंगे। हिंदी में कक्षा पहली में भी दाखिले करना मना किया गया है।