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आरोही मॉडल स्कूल के शिक्षकों को रेगुलर होने व वेतन सुधार का इंतजार

2018 से स्थायी नियुक्ति की प्रक्रिया लंबित
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हरियाणा के 36 आरोही मॉडल स्कूलों में कार्यरत 250 से अधिक शिक्षक और गैर-शिक्षण कर्मचारी अब भी स्थायी नियुक्ति और वेतन सुधार के लिए इंतजार कर रहे हैं। शिक्षकों की मेहनत और छात्रों की शानदार सफलता के बावजूद उनकी मूलभूत मांगें अनसुलझी हैं। आरोही मॉडल स्कूल स्टाफ एसोसिएशन के प्रधान मनोज कुमार ने बताया कि शिक्षक वर्ष 2013 से अनुबंध पर कार्यरत हैं। उन्होंने कहा कि 2018 से स्थायी नियुक्ति की प्रक्रिया लंबित है। सरकार ने कई बार फाइलें मंगवाई और समितियां गठित कीं, लेकिन मामला अब तक अधर में ही लटका है। लंबे समय से हो रही देरी की वजह से शिक्षकों में निराशा है और उनकी मेहनत का मूल्यांकन नहीं हो पा रहा। शिक्षकों का कहना है कि लगातार अस्थायी व्यवस्था में काम करना उनके मनोबल पर असर डाल रहा है।

उन्होंने कहा कि हम अपने छात्रों के उज्जवल भविष्य के लिए हर दिन पूरी मेहनत कर रहे हैं, लेकिन हमारी समस्याओं को नजरअंदाज किया जा रहा है। असली समस्या केवल नियमितीकरण नहीं है। शिक्षक सातवें वेतन आयोग के अनुसार वेतनमान, महिला शिक्षकों के लिए सीसीएल (बाल देखभाल अवकाश) और अन्य सुविधाओं की भी मांग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पंजाब, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में मॉडल स्कूलों के शिक्षक स्थायी सेवाओं और सुविधाओं के साथ कार्यरत हैं। मनोज कुमार का कहना है कि दूसरे राज्यों में शिक्षक सम्मानित हैं, लेकिन हरियाणा में हमारी जरूरतों की अनदेखी की जा रही हैं। आरोही मॉडल स्कूलों के छात्रों ने जेईई मेन्स एग्जाम में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। कई छात्रों ने आईआईटी, नीट और मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश पाया।

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मानवाधिकार आयोग भेज चुका नोटिस

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने शिक्षा विभाग को नोटिस भेज कर पूछा है कि इतने वर्षों से अनुबंध पर काम कर रहे शिक्षकों को मूलभूत अधिकार क्यों नहीं दिए गए। फिर भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई, जिससे शिक्षक और अधिक निराश हैं। उनका कहना है कि नियमितीकरण प्रक्रिया तुरंत पूरी की जाए। सातवें वेतन आयोग के अनुसार वेतनमान लागू किया जाए। महिला शिक्षकों को सीसीएल और अन्य सुविधाएं दी जाएं। स्थानांतरण नीति लागू हो, ताकि शिक्षक सरकारी स्कूलों में ट्रांसफर का अधिकार पा सकें।

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