ललित शर्मा/हप्र
कैथल, 27 फरवरी
सरस्वती नदी के पास इक्षुमति तीर्थ पोलड़, श्रीतीर्थ कसान व वृद्धकेदार तीर्थ कैथल पर दूरदराज से आने वाले श्रद्धालुओं की आस्था के साथ खिलवाड़ हो रहा है। तीर्थों पर स्थित सरोवरों में गंदगी का आलम है। इन सरोवरों में मोक्ष के लिए आचमन और डूबकी लगाने की कामना लेकर आने वाले श्रद्धालुओं को सरोवरों की हालत देखकर मायूसी ही हाथ लगती है। सरकार व प्रशासन की लापरवाही श्रद्धालुओं की आस्था पर भारी है। इन तीनों सरोवरों में गदंगी का आलम है। लोगों का कहना है कि 48 कोस की परिधि में आने वाले ये धार्मिक सरोवर प्रशासन व सरकार की उदासीनता का शिकार हैं। इन सरोवरों के जल से आचमन तो दूर या जल छूने लायक भी नहीं है। पुरातत्व विभाग कई तीर्थों पर काम तो शुरू कर रहा है लेकिन वह काम या तो बहुत कम हुआ है या फिर बहुत धीमा चल रहा है।
पशु नहाते हैं यहां
कैथल-जींद रोड पर गांव कसान के श्री तीर्थ में अब श्रद्धालु श्रद्धा की डुबकी नहीं लगाते हैं। इस तीर्थ में अब भैंस, बैल, गाय आदि स्नान करते हैं। श्रद्धालुओं में इस बात को लेकर गुस्सा है। श्रद्धालु राजेश, विक्रम आदि ने बताया कि उनके गांव में स्थित श्री तीर्थ का वर्णन महाभारत, वामन पुराण तथा ब्रह्म पुराण में मिलता है लेकिन प्रशासन की लापरवाही के कारण इस तीर्थ में श्रद्धालु नहीं बल्कि पशु डुबकी लगाते हैं।
पोलड़ के इक्षुमति तीर्थ की बदहाली
इक्षुमति तीर्थ कैथल से लगभग 20 किलोमीटर दूर सरस्वती नदी के किनारे पोलड़ ग्राम में एक प्राचीन टीले पर स्थित है। पोलड़ ग्राम में स्थित यह तीर्थ किसी देवता अथवा ऋर्षि से संबंधित न होकर एक प्राचीन नदी से संबंधित है। इस नदी का उल्लेख पाणिनी ने भी किया है। महर्षि वाल्मीकि कृत रामायण के अयोध्या कांड में जिस समय महर्षि वशिष्ठ की आज्ञा से पांच दूत कैकय देश के राजगृह नगर में जाते हैं तो उनके मार्ग में आने वाली इक्षुमति नदी का स्पष्ट उल्लेख है। इसी तीर्थ के ठीक सामने सरस्वती नदी निकल रही है। इस तीर्थ के घाट के पास से गुजरने वाली सरस्वती नदी का पानी बहुत गंदा है। इस नदी में गंदे नालों का पानी भी आ रहा है। लोगों का कहना है कि आस्था की केन्द्र सरस्वती नदी का पानी बहुत गंदा है।
वृद्ध केदार तीर्थ की हालत चिंताजनक
वृद्ध केदार तीर्थ कई सदियों का इतिहास समेेटे हुए है। तीर्थ का पूरा वर्णन वामन पुराण में मिलता है। यह श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र रहा है। तीर्थ के चारों तरफ कई मंदिर हैं। ऐसी मान्यता है कि तीर्थ में वृहद केदार नाम से स्वयं भगवान शिव विद्यमान हैं। यहां स्नान करने के बाद दिंडि नाम का वाद्य यंत्र बजाया जाता था और उसके माध्यम से रुद्र देव का अर्चन करने से मनुष्य को अंर्तध्यान की शक्ति प्राप्त हो जाती है। मनुष्य सीधा शिवलोक जैसे आनंद की अनुभूति करता है। प्राचीन काल में जिले के साथ-साथ देश में भी ये तीर्थ महत्वपूर्ण माना जाता है। लेकिन उपेक्षा के चलतेे अपने अस्तित्व को खोता जा रहा था। वर्षों तक उपेक्षा की शिकार तीर्थ की इस झील को कई वर्ष पूर्व सुंदर रूप दिया गया था और इसे एक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया गया था।
कसान के श्री तीर्थ में खुलता है गंदा नाला
श्री तीर्थ नामक यह तीर्थ कैथल से करीब 18 किलोमीटर दूर गांव कसान में स्थित है। कसान गांव में स्थित इस तीर्थ के नाम से ही प्रतीत होता है कि यह तीर्थ मनुष्य को श्री लक्ष्मी, वैभव, ऐश्वर्य, धन-सम्पदा प्रदान करने वाला है। इस तीर्थ का वर्णन महाभारत, वामन पुराण तथा ब्रह्म पुराण में मिलता है। महाभारत में इस तीर्थ का महत्त्व इस प्रकार वर्णित है। मान्यता है कि श्रीतीर्थ में पहुंचकर एवं इस तीर्थ में संयमी हृदय से स्नान करके देवताओं एवं पितरों की अर्चना करने वाला मनुष्य वैभव को प्राप्त करता है। नारद पुराण में ऐसा उल्लेख है कि जो मनुष्य श्री तीर्थ में स्नान करके श्री हरि का पूजन करता है वह प्रतिदिन भगवान को अपनी समीप विद्यमान पाता है। इतनी महत्ता रखने वाले इस तीर्थ की स्थिति बेहद चिंताजनक है।
गंदे पानी की नहीं है निकासी
कैथल के वृद्ध केदार तीर्थ व गांव कसान के श्री तीर्थ में पानी की निकासी नहीं है। इस कारण यहां का पानी गंदा हो चुका है। इस कारण इस पानी में बदबू मार रही है। बदबू के कारण इस पानी में नहाना तो दूर कोई मुंह धोना तक पसंद नहीं करता है।
आस्था की डुबकी कर सकती है बीमार
पोलड़ के इक्षुमति, कैथल के वृद्ध केदार व गांव कसान के श्री तीर्थ में सीवर, कपड़े धोने व नालियों का पानी बहता है। लंबे समय से तीर्थों की सफाई नहीं हुई है। इस कारण यह बदबूदार, मटमैला, गंदा पानी लोगों को बीमार कर सकता है।
घाट का भी जीर्णोद्धार होगा
”इक्षुमति तीर्थ पोलड़ में सरस्वती नदी के किनारे स्थित है। वहां सरस्वती नदी की सफाई करवाई गई है। सफाई कार्य चल रहा है। पहली बार वहां सरस्वती महोत्सव मनाया गया है। उनका प्रयास है कि इस नदी में किश्ती चलाई जाए और पर्यटन के तौर पर इसको विकसित किया जाए। नदी पर कब्जों को भी छुड़वाया गया है। घाट का भी जीर्णोद्धार किया जाएगा। यह कम शुरू हो चुका है।
-धूमन सिंह किरमच, उपाध्यक्ष, सरस्वती हैरिटेज बोर्ड
तीर्थ से कब्जे हटाने की मांग
” तीर्थ अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। पिछले दिनों तीर्थ पर सरवती की पूजा अर्चना की गई। इस मौके पर सरस्वती हैरिटेज बोर्ड के उपाध्यक्ष धूमन सिंह किरमच आए थे। इसको लेकर वहां साफ सफाई तो जरूर हुई लेकिन बाकी हालात जैसे के तैसे हैं। मंदिर की जमीन पर चारदीवारी बनाने, मंदिर का मेन गेट, तीर्थ से कब्जे हटवाने, लाइटें लगाने की मांग रखी है।
– महंत देवीदास महाराज, इक्षुमति तीर्थ, पोलड़
कमेटियां बनाकर करेंगे सौंदर्यीकरण
”तीर्थों के विकास के लिए कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड निरंतर काम कर रहा है। गांव कसान के श्री तीर्थ पर काम भी चल रहा है। इसमें कुछ बजट की कमी रह गई तो इसके बाद बजट को बढ़वाया जाएगा। तीर्थों की गंदगी बारे गांव के लोगों से जाकर बात करेंगे और कुछ लोगों की कमेटियां बनाएंगे ताकि तीर्थों का सौंदर्यीकरण को बढ़ावा मिल सके।
-रणदीप कौल, सदस्य, कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड