भिवानी, 21 जनवरी (हप्र)
दुख केवल नासमझों के लिए है, समझदार इंसान तो सुख और दुख दोनों को सम भाव से लेता है। जन्म-मरण भी जगत के लिए है। देह धरने का अर्थ है कि जो हमारे निमित्त कर्म हैं वे हमें काटने ही पड़ेंगे। मूर्ख कर्मों को रो-रो कर काटते हैं जबकि समझवान इन कर्मों को हंस कर काटते हैं। दुख बांटने से हल्का होता है और खुशी बांटने से बढ़ती जाती है। यह सत्संग वाणी राधास्वामी परमसंत कंवर साहेब महाराज ने दिनोद गांव में आयोजित सत्संग में फऱमाई। गुरु महाराज ने कहा कि राधास्वामी मत भक्ति का सीधा और सरल रास्ता बताता है। इसका ध्येय है कि परमात्मा के नाम की कमाई करके अपने दिल में प्रेम प्रीत और प्रतीत को पैदा करो। गुरु महाराज ने कहा कि सन्त कभी झूठ नहीं बोलते हैं। कंवर साहेब ने चेताया कि इस हीरे जैसे जन्म को गुरु भक्ति से संवारो। गुरु को किसी से कोई स्वार्थ नहीं है बल्कि हम स्वार्थवश गुरु को धारण करते हैं।