मुख्य समाचारदेशविदेशहरियाणाचंडीगढ़पंजाबहिमाचलबिज़नेसखेलगुरुग्रामकरनालडोंट मिसएक्सप्लेनेरट्रेंडिंगलाइफस्टाइल

सीएम की अध्यक्षता में होगी बैठक, बनेगी रणनीति

भाजपा का मिशन 2029 हार को जीत में बदलने की अंदरूनी जंग
मुख्यमंत्री नायब सैनी।
Advertisement

हरियाणा भाजपा ने बीते साल विधानसभा चुनाव में पुन: जीत हासिल करने के एक साल बाद ही मिशन 2029 का बिगुल बजा दिया है। पार्टी ने हारी हुई 42 सीटों पर फोकस करते हुए हारे प्रत्याशियों और जिला अध्यक्षों को 19 अगस्त को चंडीगढ़ बुलाया है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की अध्यक्षता में होने वाली इस बैठक को भाजपा के लिए परीक्षा की घड़ी माना जा रहा है।

42 सीटों पर ‘नया होमवर्क’

Advertisement

पार्टी ने 12 मंत्रियों और 30 विधायकों को हारी हुई सीटों का प्रभारी बनाया है। इनमें कई बड़े नेता ऐसे भी हैं जिन्हें अपने हलकों में ही विरोध झेलना पड़ रहा है। भाजपा संगठन जानता है कि अगर इन हलकों में माहौल नहीं बदला तो मिशन 2029 का गणित बिगड़ सकता है।

सात सीटों की ‘करारी कसक’

भाजपा की सबसे बड़ी चिंता वे सात सीटें हैं जहां पार्टी सिर्फ 12,592 वोटों के कुल अंतर से हार गई थी। इनमें रोहतक और आदमपुर जैसे हाई-प्रोफाइल हलके भी शामिल हैं। पार्टी का मानना है कि अगर बूथ स्तर पर बेहतर प्रबंधन हुआ होता तो ये सीटें हाथ से नहीं निकलतीं।

असंतोष भी बड़ी चुनौती

भाजपा की रणनीति तो तैयार हो रही है, लेकिन संगठन के भीतर असंतोष भी कम नहीं है। कई हारे प्रत्याशी मानते हैं कि चुनाव में उन्हें पूरी ताकत से सपोर्ट नहीं मिला। कुछ विधायक और मंत्री ‘प्रभारी’ बनाए जाने से नाराज बताए जा रहे हैं। खासकर उन विधायकों की बेचैनी ज्यादा है जिन्हें अपने क्षेत्र से इतर जिम्मेदारी दी गई है।

सैनी बनाम विज खेमे की राजनीति

मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और कैबिनेट मंत्री अनिल विज की खेमेबाज़ी भी पार्टी के भीतर चर्चा में रहती है। दिलचस्प यह है कि मिशन 2029 की जिम्मेदारी में विज को शामिल नहीं किया गया। सूत्र बताते हैं कि यह फैसला सोच-समझकर लिया गया ताकि संगठनात्मक टकराव से बचा जा सके। लेकिन इसका संदेश कार्यकर्ताओं तक क्या जाता है, यह देखना अहम होगा।

विपक्ष की रणनीति: भाजपा के लिए नई मुश्किल

भाजपा जहां मिशन 2029 पर काम कर रही है, वहीं विपक्ष भी समीकरण साधने में जुटा है।

• कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष उदय भान और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की अगुवाई में हारी हुई सीटों पर किसान और बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर मोर्चा खोलने की तैयारी कर रही है।

• जजपा और इनलो अपने आधार वोट बचाने की कवायद कर रही है और ग्रामीण हलकों में युवाओं को साधने पर जोर है।

• आप और इंडिपेंडेंट खेमे भी शहरी क्षेत्रों में भाजपा को कड़ी टक्कर देने की रणनीति बना रहे हैं।

राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि अगर विपक्ष एकजुट होकर स्थानीय मुद्दों को भुनाता है तो भाजपा की राह आसान नहीं होगी।

Advertisement

Related News