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anil vij: ध्येय के साथ चलने वाला आदमी अपनी मंजिल तक पहुंचता है : कैबिनेट मंत्री विज

काॅलेज को अपनी पहली ग्रांट से 10 लाख रुपए प्रदान करने की घोषणा की
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अम्बाला छावनी के एसडी काॅलेज के कार्यक्रम में शिरकत करते मंत्री अनिल विज। -हप्र
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अम्बाला, 20 अक्तूबर (हप्र)

कैबिनेट मंत्री अनिल विज ने कहा कि बिना ध्येय के चलने वाला आदमी कहीं नहीं पहुंचता, मगर जो ध्येय के साथ चलता है वह मंजिल तक पहुंचता है जितने भी शिक्षण संस्थान है इनका मकसद देश के लिए अच्छे, काबिल व संस्कारिक नागरिकों का निर्माण करना है और जब ऐसा होगा उस देश का मुकाबला कोई नहीं कर सकेगा।

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विज शनिवार देर शाम एसडी कॉलेज, अम्बाला छावनी में 47वें जोनल यूथ फेस्टिवल में बतौर मुख्यतिथि बोल रहे थे।

कैबिनेट मंत्री अनिल विज ने कहा कि जोनल यूथ फेस्टिवल में विद्यार्थी सांस्कृतिक कार्यों का प्रदर्शन कर रहे हैं और उन्हें देश भक्ति और राष्ट्र के अनुरूप कार्यक्रम भी करने चाहिए। इस दौरान विज कार्यक्रम का आयोजन कर रहे एसडी कालेज को अपनी मंत्री कोटे की पहली ग्रांट से 10 लाख रुपए देने की भी घोषणा की। इससे पहले, एसडी कालेज में पहुंचने पर कैबिनेट मंत्री अनिल विज का कालेज प्रिंसिपल राजिंद्र राणा, प्रो. नवीन गुलाटी, नीलइंद्रजीत संधु, प्रिंसिपल अनुपमा आर्या व अन्य ने स्वागत किया। कालेज प्रबंधन समिति की ओर से मंत्री अनिल विज को पगड़ी पहनाकर व शॉल तथा स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित भी किया गया।

‘इस काॅलेज में आता हूं तो ऐसे लगता है कि मानों समय रुक गया हो’

कैबिनेट मंत्री अनिल विज ने कहा कि हरियाणा प्रदेश में चुनाव संपन्न हुए हैं और चुनाव के दौरान बहुत व्यस्त कार्यक्रम रहा और इसके उपरांत उन्हें जब एसडी काॅलेज में आयोजित कार्यक्रम में आने का निमंत्रण मिला तो उनकी खुशी की सीमा नहीं थी। उन्होंने कहा कि वह इसी कालेज के विद्यार्थी रहे हैं और जब भी वह इस काॅलेज में आते हैं तो ऐसे लगता है कि मानों समय रुक गया हो। उनकी आंखों के सामने 1968 का दृश्य चलने लगता है जब स्कूल से पास होने पर उनकी मां एसडी कालेज में एडमिशन कराने के लिए उन्हें लेकर आई थी। उनका तब नॉन-मेडिकल में एडमिशन कराया गया और आज वह जो भी है वह इसी कालेज की वजह से हूं। इसी काॅलेज में वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में शामिल हुए और कॉलेज के महासचिव भी बने। इस बार जब वह सातवीं बार चुनाव जीते तो नतीजा निकलने पर सबसे पहले उन्हें एसडी कॉलेज के उनके उस समय के प्रोफेसर गोपाल किशन का फोन आया जिन्होंने उन्हें बधाई दी।

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