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450 ई-बसों का बेड़ा होगा तैयार, गुरुग्राम बनेगा मॉडल सिटी

हरियाणा की सड़कों पर अब जल्द ही धुआं उगलती डीज़ल बसों की जगह शांत और प्रदूषणमुक्त इलेक्ट्रिक बसें दौड़ेंगी। केंद्र सरकार ने ‘पीएम ई-बस सेवा योजना’ के तहत राज्य को 450 ई-बसों का कोटा मंजूर किया है। इनमें से सबसे...
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हरियाणा की सड़कों पर अब जल्द ही धुआं उगलती डीज़ल बसों की जगह शांत और प्रदूषणमुक्त इलेक्ट्रिक बसें दौड़ेंगी। केंद्र सरकार ने ‘पीएम ई-बस सेवा योजना’ के तहत राज्य को 450 ई-बसों का कोटा मंजूर किया है। इनमें से सबसे बड़ा हिस्सा गुरुग्राम को मिलेगा। यानी पूरी 100 बसें। यह फैसला ऐसे समय में आया है जब एनसीआर के हालात विश्व के सबसे प्रदूषित इलाकों में माने जा रहे हैं। ई-बसें हरियाणा के लिए सिर्फ एक परिवहन साधन नहीं बल्कि शहरी जीवन की तस्वीर बदलने वाला प्रोजेक्ट मानी जा रही हैं। इनसे न केवल पब्लिक ट्रांसपोर्ट को नया दम मिलेगा बल्कि दिल्ली-एनसीआर की जहरीली हवा से भी राहत मिलेगी।

पीपीपी मॉडल पर होगी लागू

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केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय की यह योजना पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल पर लागू होगी। इसके लिए 20,000 करोड़ रुपये की सहायता तय की है। 12 मीटर लंबी स्टैंडर्ड बस पर 24 रुपये प्रति किलोमीटर, 9 मीटर मिडी बस पर 22 रुपये और 7 मीटर मिनी बस पर 20 रुपये प्रति किलोमीटर की केंद्रीय सहायता मिलेगी।

योजना पर देरी की परतें : इस योजना की घोषणा को दो साल बीत चुके हैं, लेकिन बसें अब तक सड़कों पर नहीं उतर पाई हैं। राज्य परिवहन विभाग और निजी ऑपरेटरों के बीच अनुबंध को लेकर असहमति, रूट निर्धारण में देरी और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की धीमी रफ्तार इसकी प्रमुख वजहें रही हैं। हालांकि अब राज्य सरकार का दावा है कि यह गतिरोध जल्द ही टूटेगा और डिलीवरी की प्रक्रिया शुरू होगी। अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं की रिपोर्ट बताती है कि देश में अब तक चल रही 3,800 ई-बसों से 1,200 टन नाइट्रोजन ऑक्साइड और 700 टन कार्बन मोनोऑक्साइड उत्सर्जन में कमी आई है।

रोजगार की नई संभावनाएं

केंद्रीय शहरी विकास मंत्री मनोहर लाल खट्टर का कहना है कि पीएम ई-बस सेवा पूरे देश के लिए है। यह सुविधा रियायती दरों पर मुहैया होगी। हरियाणा को 450 बस इसके तहत अलॉट होंगी। इनमें से 100 अकेले गुरुग्राम को मिलेंगी। ई-बस परियोजना प्रदेश के युवाओं के लिए रोजगार का जरिया साबित होगी।

गुरुग्राम अहम इसलिए

गुरुग्राम को पहले चरण में 100 ई-बसें इसलिए दी जा रही हैं क्योंकि यहां दिल्ली से आने-जाने वाले वाहनों की संख्या सबसे अधिक है। एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) अक्सर खतरनाक स्तर पर पहुंच जाता है और आईटी व कॉर्पोरेट सेक्टर के कारण रोजाना लाखों लोगों का आवागमन होता है। विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर यहां ई-बसें समय पर उतरती हैं तो यह पूरे एनसीआर और देश के अन्य शहरों के लिए मॉडल बन सकता है।

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