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प्रदेश में बड़े ‘साइबर क्राइम सिंडिकेट’ का भंडाफोड़

बैंक शाखाएं बनीं ठगों का सुरक्षित ठिकाना, पुलिस की खुफिया जांच से हड़कंप
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हरियाणा में साइबर ठगों ने अपराध का ऐसा सिंडिकेट खड़ा कर दिया था, जिसमें बैंक शाखाएं ही उनके सुरक्षित ठिकाने बन गई थीं। पुलिस की हालिया जांच में राज्य की 91 बैंक शाखाओं पर शक की सुई गई है, जहां से ठगी के पैसों का काला खेल चल रहा था। इस नेटवर्क का बड़ा हिस्सा गुरुग्राम और नूंह जैसे जिलों में सक्रिय पाया गया, जहां ठगों के गिरोह ने बैंकिंग सिस्टम में सेंध लगाकर करोड़ों रुपये का लेन-देन किया।
जांच में सामने आया है कि साइबर ठग पहले फर्जी आईडी, किराए के पते और शेल कंपनियों के नाम पर खाते खुलवाते थे। कई बार यह खाते गरीब लोगों या मजदूरों के नाम पर भी खुलवाए जाते और बाद में गिरोह उन पर कब्ज़ा कर लेता। फिर इन खातों का इस्तेमाल ऑनलाइन ठगी (फर्जी कॉल, लिंक, क्यूआर कोड स्कैम) के लिए किया जाता है। लोन व ईएमआई के नाम पर फ्रॉड होता है।
इसी तरह से डिजिटल अरेस्ट और वर्चुअल किडनैपिंग और इंवेस्टमेंट और जॉब स्कैम के कई मामले सामने आए हैं। इन खातों से पैसा देशभर में घुमाया जाता और तुरंत निकाल लिया जाता ताकि पीड़ित की शिकायत दर्ज होने से पहले ही सबूत मिट जाएं। पुलिस जांच में बैंक स्टॉफ भी शक के घेरे में आ गया है।
जांच से यह भी संकेत मिले हैं कि कई जगह बैंक कर्मचारियों की मिलीभगत या लापरवाही ने ठगों को रास्ता दिखाया। केवाईसी की अधूरी प्रक्रिया, संदिग्ध लेन-देन पर आंख मूंद लेना और फर्जी दस्तावेज़ों को नजरअंदाज़ करने की वजह से साइबर ठगी बढ़ी है। पुलिस अब उन कर्मचारियों की जवाबदेही तय कर रही है, जिनकी वजह से अपराधियों को यह ‘सिस्टम’ मिल पाया।
साइबर अपराधियों और उनकी मदद करने वालों के लिए हरियाणा में कोई जगह नहीं। बैंक अधिकारियों की व्यक्तिगत जवाबदेही तय होगी। आने वाले दिनों में और सख्त कार्रवाई होगी। हरियाणा पुलिस साइबर ठगों के खेल को कामयाब नहीं होने देगी। बैंक शाखाएं अगर अपराधियों की ढाल बनीं, तो वे भी अब कानूनी शिकंजे में आएंगी।
-शत्रुजीत कपूर, डीजीपी 
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