सोनीपत, 21 मार्च (हप्र)
सोनीपत जिले में 8 साल के बच्चे को कुत्ते के काटने पर रेबीज होने का मामला सामने आया है। लक्षण दिखाई देने पर नागरिक अस्पताल से उसे एनआईसीडी दिल्ली रेफर कर दिया। नागरिक अस्पताल के रिकार्ड के अनुसार यह जिले में रेबीज का पहला मामला है। दूसरी ओर शहर में कुत्तों और बंदरों का आतंक चरम पर है। हर सप्ताह कुत्तों और बंदरों के काटे हुए करीब 550 लोग अस्पताल में एंटी रेबीज इंजेक्शन लगवाने के लिए पहुंचते हैं, लेकिन अस्पताल में एंटी रेबीज के टीकों की किल्लत बनी हुई है।
जिले के खरखौदा स्थित सागर ईंट भट्ठे पर रहने वाले रामाश्री के 8 साल के बेटे चंदन को पागल कुत्ते ने काट लिया था। परिजन बच्चे को एक निजी चिकित्सक के पास ले गए और उसे एंटी रेबीज का इंजेक्शन लगवाया। इसके बाद ईंट भट्ठे पर रहने वालों ने बच्चे को काटने वाले कुत्ते को मार डाला। इसके कई दिन बाद बच्चे की तबीयत बिगड़नी शुरू हो गई। उसके मुंह से लार टपकने लगी। उसे पानी से डर लगने लगा और वह पानी भी नहीं पी पा रहा था। इसके बाद परिजन उसे 12 मार्च को नागरिक अस्पताल की इमरजेंसी में लेकर पहुंचे। वहां पर वरिष्ठ फिजिशियन डाॅ. शैलेंद्र राणा ने लक्षणों के आधार पर बच्चे को रेबीज होने की पुष्टि की। इसके बाद बच्चे को नेशनल इंस्टीट्यूट आॅफ कम्युनिकेशनल डिजीज दिल्ली रेफर कर दिया गया।
100 घरों का करवाया सर्वे
डॉ. सोनम ने बताया कि रेबीज का मामला सामने आने पर बच्चे के घर के आसपास रहने वाले 100 घरों में सर्वे कराया गया ताकि पता लग सके कि किसी और में तो रेबीज के लक्षण नहीं हैं। सर्वे में किसी अन्य में रेबीज के लक्षण नहीं पाये गये।
जांच के लिए कोई टेस्ट नहीं
संक्रामक रोगों के नोडल अधिकारी डाॅ. दिनेश छिल्लर ने बताया कि इससे पहले रेबीज के किसी मरीज का रिकार्ड अस्पताल के पास नहीं है। सिविल सर्जन डाॅ. जयकिशोर ने बताया कि रेबीज को जांचने के लिए कोई टेस्ट नहीं है, सिर्फ लक्षणों के आधार पर ही रेबीज की पुष्टि की जा सकती है। मरीज की मौत होने जाने के बाद दिमाग का कुछ हिस्सा लेकर जांच करने पर पता चलता है कि उसकी मौत रेबीज से ही हुई है या नहीं।