बिजेंद्र सिंह/निस
पानीपत, 5 दिसंबर
प्रदूषण की रोकथाम को लेकर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने पानीपत जिला समेत एनसीआर क्षेत्र में पिछले वर्ष 27 नवंबर को नयी इंडस्ट्री लगाने के लिये क्लीनर फ्यूल अनिवार्य कर दिया गया था। सीपीसीबी के इन आदेशों से बॉयलर से संबंधित नयी इंडस्ट्री लगाने के लिये क्लीनर फ्यूल पीएनजी व सीएनजी गैस और एलपीजी आदि का प्रयोग करना जरूरी हो गया। अब नयी इंडस्ट्री में बॉयलर में कोयला या लकड़ी के प्रयोग पर रोक लगा दी है। पानीपत में पहले से चल रही करीब एक हजार पुरानी इंडस्ट्री को इन आदेशों से छूट मिली हुई थी।
इन एक हजार में से करीब 200 इंडस्ट्री एलपीजी और 50 पीएनजी में शिफ्ट हो गई हैं। पानीपत में 750 इंडस्ट्री को प्रदूषण विभाग ने नोटिस देकर पूछा है कि अपनी इंडस्ट्री को कब गैस पर शिफ्ट कर रहे हो। उधर, लकड़ी और कोयले के मुकाबले गैस महंगी पड़ने के कारण 750 उद्यमी अपनी इंडस्ट्री को उत्तराखंड शिफ्ट करने की तैयारी कर रहे हैं।
पानीपत के उद्यमी अपनी फैक्टरियों को गैस पर शिफ्ट करना चाहते हैं, लेकिन पिछले वर्ष पीएनजी 30 से बढ़कर 45 रुपए एससीएम और एलपीजी 40 से बढ़कर 77 रुपए प्रति किलो हो गई है। नवंबर में एलपीजी का 11 रुपए और एक दिसंबर को साढ़े 5 रुपए प्रति किलो का भाव बढ़ा है। ऐसे में इंडस्ट्री संचालकों का कहना है कि पीएनजी और एलपीजी के भाव इतने बढ़ चुके हैं कि वह प्रतिस्पर्धा के इस युग में अपनी इंडस्ट्री को गैस पर शिफ्ट नहीं कर सकते। अब पानीपत की करीब 750 इंडस्ट्री यहां से पलायन की तैयारी कर रही है। इसकी रूपरेखा भी तैयार कर ली गई है। उद्यमियों का कहना है कि लकड़ी और कोयले के मुकाबले गैस ढाई गुणा महंगी पड़ती है।
8 से 10 टन एलपीजी गैस की रोजाना खपत
पानीपत में कई इतनी बड़ी फैक्टरियां हैं कि उनमें रोजाना 8 से लेकर 10 टन तक एलपीजी गैस लगती है। एलपीजी गैस इंडस्ट्री के लिये 47.5 किलो के सिलेंडरों व 422 किलो के हिपो सिलेंडरों में सप्लाई की जाती है। लगातार भाव बढ़ने से रोजाना 10 टन एलपीजी की खपत होने वाली इंडस्ट्री के लिये रोजाना डेढ़ लाख का खर्च बढ़ गया है। इसलिये उद्यमी सरकार से अब पानीपत की इंडस्ट्री को बचाने के लिये एलपीजी व पीएनजी पर सबसिडी देने की मांग कर रहे हैं।
पानीपत में 20 हजार इंडस्ट्री
पानीपत में बॉयलर से संबंधित नई इंडस्ट्री लगाने पर करीब रोक सी लग गई और पिछले करीब एक वर्ष में एचपीसीबी के पानीपत कार्यालय द्वारा गैस से चलने वाली 14-15 इंडस्ट्री को ही एनओसी दी गई है। पानीपत की करीब 20 हजार फैक्टरियों में से डाइंग व प्रिंटिंग, थ्री डी चादर, मिंक व पोलर कंबल और प्रोसेसिंग यूनिट आदि की करीब एक हजार ऐसी फैक्टरियां हैं जिनमें बॉयलर का प्रयोग होता है। बॉयलर वाली इंडस्ट्री में ही कोयले व लकड़ी का प्रयोग होता है।
नयी इंडस्ट्री को ही एनओसी
हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, पानीपत के क्षेत्रीय अधिकारी कमलजीत सिंह ने बताया कि सीपीसीबी की तरफ से 27 नवंबर, 2020 को आदेश जारी किए गए थे कि क्लीनर फ्यूल का प्रयोग करने वाली ही नई इंडस्ट्री को एनओसी दी जाएगी। क्लीनर फ्यूल में पीएनजी व सीएनजी, एलपीजी, बायो गैस व बुटेन आदि शामिल है। पानीपत शहर में चार इंडस्ट्री सेक्टरों व कुछ सनौली रोड पर पीएनपी की पाइप लाइन डली हुई है। उद्यमी वहां पर पीएनजी का कनेक्शन ले सकते हैं। जहां पीएनजी की पाइप लाइन नहीं है वहां एलपीजी का प्रयोग हो सकता है।
उत्तराखंड बन रहा पहली पसंद
पानीपत जिला के उद्यमियों के लिये उत्तराखंड का रूद्रपुर इंडस्ट्रियल एरिया पहली पसंद बनता जा रहा है। उत्तराखंड के इंडस्ट्री विभाग के अधिकारियों के साथ पानीपत के कई उद्यमियों की कई दौर की बातचीत हो चुकी है। यहां के कई उद्यमियों को इंडस्ट्री को शिफ्ट करने के लिहाज से रूद्रपुर का एरिया काफी पसंद भी आया है। उद्यमियों का मानना है कि यदि पानीपत में मजबूरन इंडस्ट्री को बंद करके शिफ्ट करना पड़ा तो रूद्रपुर ही ठीक रहेगा। उत्तराखंड सरकार ने पानीपत के उद्योगपतियों को रूद्रपुर में नयी इंडस्ट्री लगाने के लिये सभी मूलभूत सुविधाएं व कई रियायतें देने का आश्वासन दिया है। उद्यमियों का कहना है कि यदि केंद्र व प्रदेश सरकार पीएनजी व एलपीजी पर अपनी तरफ से सबसिडी दे तो उद्यमियों को राहत मिल सकती है। पुराने इंडस्ट्री संचालकों पर दबाव बनाने का प्रयास किया तो मजबूरन उनको अपनी इंडस्ट्री को बंद करने पर मजबूर होना पड़ेगा।
उद्योगों को बचाने को सरकार आए आगे : चुघ
हरियाणा व्यापार मंडल के युवा प्रदेशाध्यक्ष एवं पानीपत इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के प्रधान राकेश चुघ ने कहा कि पानीपत की इंडस्ट्री को बचाने के लिये सरकार का आगे आना होगा। पिछले वर्ष कोरोना के चलते लॉकडाउन व इस वर्ष कच्चे माल के बढ़े बेतहाशा दामों से पानीपत से देशभर में होने वाला करीब 80 हजार करोड़ रुपए का टेक्सटाइल उत्पादों का घरेलू कारोबार बेहद मंदी के दौर से गुजर रहा है। सरकार ने जल्द ही इंडस्ट्री की मदद नहीं की तो अनेक फैक्टरियां बंद होने की कगार पर होंगी। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड सरकार द्वारा पानीपत के उद्यमियों को रूद्रपुर में अपनी फैक्टरियां लगाने के लिये काफी सुविधाएं देने की बात कही गई है। वहां के इंडस्ट्री विभाग के अधिकारियों के साथ पानीपत के उद्यमियों की बैठक काफी सकारात्मक रही है। यदि प्रदेश सरकार ने पानीपत की इंडस्ट्री की अब भी कोई सुध नहीं ली तो उद्यमियों को मजबूरन रूद्रपुर या किसी अन्य जगह शिफ्ट होना पड़ेगा।
उद्यमियों को सबसिडी दे सरकार: राणा
डायर्स एसोसिएशन के प्रधान भीम राणा ने बताया कि पानीपत में डाइंग व प्रिंटिंग इंडस्ट्री सहित करीब एक हजार ऐसी फैक्टरियां हैं जहां पर बॉयलर का प्रयोग होता है और उसमें कोयले का प्रयोग होता है। उन्होंने बताया कि कोयले के मुकाबले पीएनजी व एलपीजी का रेट करीब ढाई गुणा ज्यादा पड़ता है। इसलिये इंडस्ट्री वाले पीएनजी का कनेक्शन नहीं ले रहे हैं। यदि सरकार पीएनजी व एलपीजी के रेट में उद्यमियों को सबसिडी दे तो ज्यादातर उद्यमी पीएनजी का कनेक्शन ले लेंगे।