पुरुषोत्तम शर्मा/हप्र
सोनीपत, 8 दिसंबर
पहले कोरोना संक्रमण से बंदी और अब बॉर्डर पर किसानों के सत्याग्रह से कारोबारी संकट में आ गए है। ये हाल हो चला है कि कुंडली और राई जैसे बड़े औद्योगिक इलाके में महज 30 प्रतिशत फैक्टरी ही चल पा रही है। वजह यह है कि यहां कच्चा माल नहीं पहुंच पा रहा है। इसके चलते कारोबार ठप होने के कगार पर है। वहीं, बाजारों में भी सामान की किल्लत शुरू होने लगी है। दिल्ली पर आधारित सोनीपत के बाजार में सामान पहुंचने में परेशानी आ रही है।
कारोबारियों का कहना है कि बीते 13 दिनों में लगभग 2100 करोड़ रुपए का नुकसान अकेले कुंडली-राई के उद्योगों का हुआ है। जबकि यहां से पूरे उत्तर भारत में मालवाहक वाहन गुजरते हैं, तो अंदाजा हो सकता है कि बाकी राज्यों का क्या हाल होगा? किसान आंदोलन का केंद्र कुंडली होने के कारण सबसे ज्यादा प्रभाव यहां पड़ रहा है। हाल यह है कि अगर आंदोलन कुछ दिन ऐसे ही चलता रहा, तो उद्योगपति व व्यापारी बर्बादी के कगार पर पहुंच जाएंगे। इसलिए अब उद्योगपति व व्यापारी भी मांग करने लगे है कि सरकार जल्द से जल्द किसानों की मांगों को मानकर आंदोलन खत्म कराए, ताकि वह नुकसान से कुछ उभर सके। दरअसल, कृषि कानून रद्द कराने के लिए किसानों ने नेशनल हाईवे 44 के कुंडली बॉर्डर पर डेरा डाला हुआ है। किसानों का पड़ाव कुंडली बॉर्डर से लेकर केजीपी-केएमपी के गोल चक्कर तक पहुंचने वाला है। वह लगातार बढ़ता जा रहा है। ऐसे में प्रदेश के बड़े व राष्ट्रीय राजधानी से सटे औद्योगिक क्षेत्रों में शामिल कुंडली पूरी तरह से बंद हो गया है। इसके साथ ही नाथूपुर सबौली औद्योगिक क्षेत्र के सभी रास्ते पूरी तरह से बंद है। राई, मुरथल व बड़ी औद्योगिक क्षेत्र की फैक्टरी आंशिक रूप से चल रही है। किसानों का आंदोलन 26 नवंबर से शुरू हुआ था और उसी दिन से कुंडली के औद्योगिक क्षेत्र से एक भी वाहन नहीं निकल सकता है। इस तरह ट्रांसपोर्ट बंद होने से कच्चा माल न फैक्टरी में पहुंच रहा है और सामान तैयार होकर यहां से सप्लाई नहीं हो रहा है।
एनसीआर के जिले प्रभावित
दिल्ली से सटे जिलों सोनीपत, बहादुरगढ़, झज्जर, रोहतक, पानीपत का व्यापार भी पूरी तरह से दिल्ली के साथ जुड़ा हुआ है। यहां के व्यापारी कपड़ा, जूते, रेडीमेड गारमेंट्स, ऑटो पार्ट्स, मशीनरी आदि को दिल्ली से लाकर यहां बेचते है। लेकिन दिल्ली बॉर्डर जाम होने से आवाजाही बंद है और दुकानों से सामान खत्म होने लगा है। सर्दी में सबसे ज्यादा गर्म कपड़ों और जूतों की खरीदारी होती है। दिल्ली से माल नहीं आने के कारण ग्राहकों को वापस भेजना पड़ रहा है। इससे अकेले सोनीपत जिले में एक दिन में करीब 10 करोड़ रुपये से ज्यादा का व्यापार प्रभावित हो रहा है।
क्या कहते हैं उद्योगपति
इस बारे में कुंडली औद्योगिक एसोसिएशन के प्रधान सुभाष गुप्ता का कहना है कि जितना किसान आंदोलन लंबा चल रहा है, उससे फैक्टरी मालिकों की हालत खराब होती जा रही है। सबसे ज्यादा नुकसान कुंडली औद्योगिक क्षेत्र में झेलना पड़ रहा है। यहां अभी तक करीब 1050 करोड़ रुपए का नुकसान हो चुका है। इस तरह हालात रहे, तो उद्यमियों को फैक्टरी बचाने के लिए विचार करना पड़ेगा। इसी तरह राई के प्रधान राकेश देवगत कहते हैं कि आंदोलन के कारण ट्रांसपोर्ट ठप पड़ा हुआ है। इससे सामान न भिजवा सकते हैं, तो सामान मंगवा भी नहीं सकते है। फैक्टरी मालिकों का नुकसान प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। अभी तक 900 करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान राई व आसपास के क्षेत्र में हो चुका है।