64 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद, 39 % अब भी मंडियों में पड़ा
चंडीगढ़, 27 अप्रैल
हरियाणा की अनाज मंडियों में गेहूं खरीद लगातार जारी है। रविवार तक मंडियों में गेहूं की 66 लाख मीट्रिक टन के करीब आवक हुई है। इसमें से 64 लाख मीट्रिक टन से अधिक गेहूं खरीदा जा चुका है। हालांकि मंडियों में गेहूं उठान की गति धीमी होने की वजह से आढ़तियों व किसानों को परेशानी हो रही है। मंडियों में से भी तब 61 प्रतिशत गेहूं का उठान हुआ है। वहीं 39 प्रतिशत के करीब गेहूं अभी भी मंडियों में है। पिछले साल की तुलना में इस बार 27 अप्रैल तक की अवधि में करीब साढ़े छह लाख मीट्रिक टन अधिक गेहूं आया है। पिछले साल मंडियों में 71 लाख मीट्रिक टन के करीब गेहूं की खरीद हुई थी।
इस बार यह आंकड़ा 72 लाख मीट्रिक टन को पार कर सकता है। मंडियों में केंद्र द्वारा निर्धारित न्यूनत समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर गेहूं खरीदा जा रहा है। इस वर्ष गेहूं का एमएसपी 2425 रुपये प्रति क्विंटल है। पिछले साल एमएसपी 2235 रुपये प्रति क्विंटल थी। माना जा रहा है कि इस बार गर्मी समय से पहले आने की वजह से गेहूं की आवक मंडियों में पहले और अधिक हुई है। नायब सरकार ने 24 से 72 घंटों के बीच किसानों को उनकी फसल का भुगतान करने का प्रबंध किया हुआ है। अभी तक 6 लाख के करीब किसानों के बैंक खातों में 9 हजार करोड़ रुपये से अधिक ट्रांसफर किए जा चुके हैं। केंद्र व हरियाणा सरकार की विभिन्न एजेंसियों द्वारा मंडियों में गेहूं की खरीद की जा रही है।
हालांकि विपक्षी दलों द्वारा अनाज मंडियों में व्यवस्था सही नहीं होने के साथ-साथ किसानों का समय पर भुगतान और मंडियों से गेहूं का उठान नहीं होने के मुद्दे पर सरकार को घेरा जा रहा है। आमतौर पर गेहूं खरीद सीजन के दौरान मंडियों में किसानों द्वारा विरोध-प्रदर्शन किए जाने की खबरें भी आती रही हैं, लेकिन इस वर्ष इस तरह की कोई बड़ी शिकायत प्रदेश की किसी भी मंडी या परचेज सेंटर से नहीं आई है। प्रदेश में गेहूं का उत्पादन क्योंकि सबसे अधिक होता है, इसलिए कई बड़े गांवों में भी परचेज सेंटर बनाए गए हैं।
किस एजेंसी ने कितना खरीदा
प्रदेश में खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के अलावा हैफेड, हरियाणा वेयर हाउसिंग कार्पोरेशन तथा एफसीआई (फूड कार्पोरेशन ऑफ इंडिया) द्वारा गेहूं की खरीद की जाती है। खाद्य एवं आपूर्ति विभाग द्वारा अभी तक प्रदेशभर की मंडियों से लगभग 19 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद की है। हैफेड ने 30 तथा हरियाणा वेयर हाउसिंग कार्पोरेशन ने 14 लाख मीट्रिक टन से अधिक गेहूं खरीदा है। इसी तरह से एफसीआई की ओर से 5 लाख मीट्रिक टन से अधिक गेहूं की खरीद की गई है।
इस तरह होता है भुगतान
किसान मंडी में फसल लेकर पहुंचता है तो उसका एंट्री गेट पास कटता है। इसके बाद उसके लाए गेहूं की तुलाई होती है और ‘जे-फार्म’ कटता है। ‘जे-फार्म’ कटने के बाद मंडी से गेहूं का एग्जिट गेट पास जारी होता है। यह पास जारी होने के बाद ही मंडियों से गेहूं का उठान होता है। गेहूं का उठान होने के 24 घंटे से 72 घंटों के भीतर किसानों के बैंक खातों में सीधे फसल का पैसा ट्रांसफर किया जाता है। डीबीटी (डायरेक्ट बैंक ट्रांसफर) की शुरुआत पूर्व की मनोहर सरकार के समय शुरू हुई थी। अब किसानों को यह व्यवस्था पसंद आने लगी है।
कॉट्स
प्रदेश की मंडियों में गेहूं की खरीद सुचारू रूप से हो रही है। सरकार ने समय रहते खरीद प्रबंध कर लिए थे। किसानों को उनकी फसलों का भुगतान भी समय पर डीबीटी के जरिये किया जा रहा है। मंडियों से गेहूं उठान में तेजी लाने के निर्देश अधिकारियों को दिए हैं। मोटे तौर पर गेहूं की खरीद हो चुकी है। अब कम ही मंडियों में गेहूं की आवक हो रही है। हालांकि अभी मंडियों चलती रहेंगी।
-राजेश नागर, खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री
जानिए कहां कितना उठान
जिला उठान प्रतिशत
अंबाला 71.34
भिवानी 58.27
दादरी 68.48
फरीदाबाद 84.56
फतेहाबाद 56.04
गुरुग्राम 74.65
हिसार 58.79
झज्जर 70.57
जींद 47.40
कैथल 41.19
करनाल 79.34
कुरुक्षेत्र 70.18
महेंद्रगढ़ 73.43
मेवात 93.18
पलवल 81.18
पंचकूला 40.08
पानीपत 75.28
रेवाड़ी 92.33
रोहतक 50.84
सिरसा 50.31
सोनीपत 61.54
यमुनानगर 71.77
कुल 61.50