भिवानी, 13 जुलाई (हप्र)
जिले में मुंढाल क्षेत्र के लो-लाइन एरिया में जलभराव की समस्या से निजात के लिए यमुना जल सेवाएं मंडल द्वारा 2 प्रोजेक्ट पूरे कर लिए गए हैं। इनसे इस इलाके की 1500 एकड़ से अधिक भूमि को अब जलभराव से बचाया जा सकेगा। उल्लेखनीय है कि अक्सर मानसून के दौरान जिला में लो-लाइन एरिया में करीब पांच हजार एकड़ भूमि पर जलभराव की समस्या बनती थी। कृषि मंत्री जेपी दलाल के प्रयास से करीब 100 करोड़ रुपए की एक विशेष योजना को मंजूरी प्रदान करवाई गई, जिसके तहत खेतों से पाइप लाइन के माध्यम से बरसाती पानी की निकासी होगी। लो-लाइन एरिया में मुंढाल कलां, मुंढाल खुर्द व बांडाहेडी, मिताथल, घुसकानी, गुजरानी, लोहारी जाटू, तिगड़ाना, तिगड़ी, तालू, खरक, कलिंगा, सैय, प्रेमनगर, कुंगड, चांग आदि गांवों की खेती योग्य भूमि मुख्य रूप से शामिल है। यमुना जल सेवाएं मंडल द्वारा खेतों से बरसाती पानी की निकासी का स्थाई प्रबंध किया गया है, जिसमें मुख्य रूप से हिसार-दिल्ली रोड पर बनाए गए संफवैल और मुंढाल से हांसी-पुठ्ठी-मुंढाल लिंक ड्रेन के पानी को सुंदर नहर तक ले जाना भी शामिल है। सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने एडीसी अनुपमा अंजलि व एसडीएम दीपक बाबू लाल करवा को जानकारी देते हुए अवगत करवाया कि मानसून के दौरान सिंघवा खास, मदनहेड़ी क्षेत्र से बारिश का पानी मुंढाल में दिल्ली-हिसार रोड के नीचे से व अत्यधिक बारिश होने पर रोड के उपर से होकर मुंढाल के आबादी वाले क्षेत्र व खेतों के साथ-साथ जींद रोड़ पर खड़ा हो जाता था। इससे क्षेत्र की करीब 600 एकड़ भूमि जलभराव से प्रभावित होती थी।
उपायुक्त बोले- िनर्देश्ा दिए जा चुके
उपायुक्त नरेश नरवाल ने कहा कि मानसून के दौरान खेतों के साथ-साथ आबादी वाले क्षेत्र में बारिश के पानी की निकासी को लेकर सिंचाई विभाग, जन स्वास्थ्य विभाग और पंचायत विभाग के अधिकारियों को जरूरी निर्देश दिए जा चुके हैं। सभी विभागों के अधिकारी अपने-अपने स्तर पर कार्य करने में लगे हुए हैं। इसके अलावा नागरिकों की सुविधा के लिए जिला मुख्यालय पर कमरा नंबर 75 में बाढ़ नियंत्रण कक्ष भी स्थापित किया गया है, जहां पर नागरिक जलभराव की सूचना दे सकते हैं।
कार्यकारी अभियंता ने कहा
सिंचाई विभाग के कार्यकारी अभियंता जितेन्द्र मान ने बताया कि डीसी नरेश नरवाल के आदेशानुसार जिले में लो-लाइन एरिया में किसानों को जलभराव की समस्या से निजात दिलाने के लिए युद्ध स्तर पर काम किया गया था। यमुना जल सेवाएं परिमंडल द्वारा खेतों से बारिश के पानी की निकासी के पुख्ता प्रबंध किए गए हैं।