Tribune
PT
About the Dainik Tribune Code Of Ethics Advertise with us Classifieds Download App
search-icon-img
Advertisement

परिजनों को टिकट के लिए भाजपा-कांग्रेस के 6 सांसद कर रहे भागदौड़

हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024
  • fb
  • twitter
  • whatsapp
  • whatsapp
Advertisement

दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू

चंडीगढ़, 22 अगस्त

Advertisement

कांग्रेस में परिवारवाद को भाजपा अकसर मुद्दा बनाती रही है। लेकिन भाजपा के मौजूदा सांसद भी अपने परिवार के लोगों की टिकट के लिए भागदौड़ कर रहे हैं। हरियाणा में लोकसभा के दस सांसदों में से छह सांसद परिवार के सदस्यों को चुनाव लड़वाने के मूड में हैं। इस बार लोकसभा चुनावों में पांच सीटों पर भाजपा और पांच पर कांग्रेस ने जीत हासिल की थी। माना जा रहा है कि प्रदेश के राजनीतिक हालात को देखते हुए भाजपा इस बार सांसदों की पसंद-नापंसद को लेकर काफी सीरियस रहेगी।

लगातार चौथी बाद केंद्र में मंत्री और हरियाणा में अभी तक सबसे अधिक बार सांसद बनने वाले केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह अपनी बेटी आरती राव को राजनीति में स्थापित करने की कोशिश में हैं। 2019 के विधानसभा चुनावों में भी वे आरती राव को टिकट दिलवाना चाहते थे लेकिन भाजपा ने परिवार में एक ही टिकट के फार्मूले की दुहाई देते हुए आरती को टिकट नहीं दिया। पांच वर्षों के इस गेप में आरती राव राजनीतिक तौर पर काफी एक्टिव हो चुकी हैं।

यही नहीं, आरती राव दो-टूक कह भी चुकी हैं कि इस बार वे विधानसभा का चुनाव जरूर लड़ेंगी। भाजपा उन्हें टिकट देती है तो भी ठीक। टिकट नहीं मिलने की स्थिति में आरती राव निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर भी चुनावी रण में आ सकती हैं। सूत्रों का कहना है कि भाजपा नेतृत्व आरती राव को अटेली से चुनाव लड़वाने को लेकर लगभग तैयार हो गया है। हालांकि अंतिम और अाधिकारिक तौर पर इसका फैसला भाजपा की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में ही होगा।

फरीदाबाद से तीसरी बार सांसद और केंद्र में मंत्री कृष्णपाल गुर्जर 2019 की तरह इस बार भी अपने बेटे देवेंद्र चौधरी की टिकट के लिए भागदौड़ कर रहे हैं। बताते हैं कि वे देवेंद्र चौधरी को तिगांव से चुनाव लड़वाना चाहते हैं। वर्तमान में राजेश नागर तिगांव से भाजपा के मौजूदा विधायक हैं। तिगांव से टिकट नहीं मिलने की सूरत में कृष्णपाल गुर्जर अपने बेटे को बड़खल से भी चुनाव लड़वाने के लिए तैयार हैं। राव इंद्रजीत सिंह की तरह गुर्जर भी अपने बेटे की विधानसभा में एंट्री करवाने की कोशिश कर रहे हैं।

इसी तरह भिवानी-महेंद्रगढ़ से लगातार तीसरी बार भाजपा टिकट पर सांसद बने धर्मबीर सिंह अपने बेटे मोहित चौधरी को विधानसभा चुनाव लड़वाना चाहते हैं। धर्मबीर सिंह की बेटे की टिकट के लिए पहली पसंद सोहना हलका है। विकल्प के तौर पर दूसरा हलका उन्होंने चरखी दादरी को चुना है। सोहना से वर्तमान में भाजपा के संजय सिंह विधायक हैं और वे नायब सरकार में राज्य मंत्री हैं। मोहित के लिए धर्मबीर सिंह ने सोहना को इसलिए चुना है क्योंकि वे खुद भी यहां से विधायक रह चुके हैं।

पत्नी की एंट्री चाहते हैं वरुण

अंबाला से कांग्रेस सांसद वरुण चौधरी अपनी पत्नी पूजा को मुलाना हलके से विधानसभा चुनाव लड़वाना चाहते हैं।

मुलाना से वरुण के पिता तथा हरियाणा के पूर्व शिक्षा मंत्री फूलचंद मुलाना विधायक बनते रहे हैं। 2019 में वरुण ने पहली बार कांग्रेस की टिकट पर मुलाना से जीत हासिल की। हालिया लोकसभा चुनावों में अंबाला पार्लियामेंट से जीत हासिल करने के बाद अब वरुण अपनी पत्नी पूजा चौधरी की टिकट के लिए लॉबिंग कर रहे हैं।

समर्थकों के लिए लड़ेंगे ये सांसद

हरियाणा में तीन सांसद ऐसे हैं, जो परिवार की बजाय अपने समर्थकों की टिकट के लिए लड़ाई लड़ेंगे। पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय बिजली व शहरी विकास मंत्री मनोहर लाल खट्टर करनाल से सांसद हैं। वे अपने समर्थकों को टिकट दिलवाने की कोशिश में जुटे हैं। रोहतक सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा भी परिवार के किसी सदस्य की बजाय कांग्रेस के ही उन चेहरों की टिकट के लिए वकालत करेंगे, जो उनके विश्वासपात्र हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री व सिरसा सांसद कुमारी सैलजा भी अपने समर्थकों की टिकट के लिए भागदौड़ करेंगी। सोनीपत से पहली बार सांसद बने सतपाल ब्रह्मचारी परिवार के किसी भी सदस्य के लिए टिकट नहीं मांग रहे हैं।

कमल गुप्ता को झटका देंगी सावित्री !

नायब सरकार में स्वास्थ्य मंत्री डॉ. कमल गुप्ता की टिकट पर तलवार लटकी है। गुप्ता के खिलाफ स्थानीय स्तर पर एंटी-इन्कमबेंसी को भाजपा हुए भाजपा नेतृत्व हिसार शहर की सीट पर बदलाव के मूड में है। सूत्रों का कहना है कि भाजपा यहां से कुरुक्षेत्र सांसद नवीन जिंदल की माता सावित्री जिंदल को चुनाव लड़वा सकती है। सावित्री जिंदल अपने पति और हरियाणा के भूतपूर्व कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश जिंदल के निधन के बाद 2005 में पहली बार हिसार से विधायक बनी थीं। वे 2009 में भी विधायक बनीं और हुड्डा सरकार में मंत्री भी रहीं।

बेटे के जुगाड़ में जेपी

हिसार से कांग्रेस सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री जयप्रकाश ‘जेपी’ भी अपने बेटे विकास ‘जेपी’ को विधानसभा चुनाव लड़वाना चाहते हैं। जेपी कलायत से विधायक रह चुके हैं और वे कलायत से ही बेटे की टिकट के लिए भागदौड़ कर रहे हैं। पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के करीबियों में शामिल ‘जेपी’ को उम्मीद है कि इस बार के विधानसभा चुनावों के जरिये उनके बेटे की भी राजनीति में एंट्री हो जाएगी। विकास सहारण पेशे से वकील हैं और सुप्रीम कोर्ट में प्रेक्टिस कर रहे हैं।

Advertisement
×