फरीदाबाद, 29 नवंबर (हप्र)
वायु प्रदूषण बढ़ाने वाली गतिविधियों को लेकर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड हरकत में आ गया है। सोमवार को हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (एचएसवीपी) को 50 लाख रुपये जुर्माने का नोटिस और भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण को 10 लाख रुपये जुर्माने वाला नोटिस भेज दिया गया। एचएसवीपी पर सेक्टर-16ए में हीवो अपार्टमेंट के निर्माण का आरोप है जबकि एनएचएआई पर दिल्ली-वड़ोदरा-मुंबई एक्सप्रेस निर्माण के दौरान पानी का छिड़काव न करने का आरोप है। दोनों प्राधिकरण को हिदायत भी दी गई है कि वायु प्रदूषण को ध्यान में रखते हुए एहतियात बरतें। दोनों ही नोटिस निर्माणकर्ता ठेकेदारों को आगे दिए जाएंगे। बाईपास पर दिल्ली-वड़ोदरा-मुंबई एक्सप्रेस वे का निर्माण कार्य चल रहा है। पूरी बाईपास की हालत खराब हो गई है। निर्माण शुरू करने से पहले वाहन चालकों के लिए अलग सर्विस रोड नहीं बनाई गई। इस वजह से जहां से वाहन आवागमन कर रहे हैं, वह सडक़ टूट चुकी है। इससे दिनभर मिट्टी उड़ती रहती है। पिलर्स बनाने के लिए खुदाई के बाद मिट्टी के ढेर बाईपास किनारे लगे हुए हैं।
वहीं, सोमवार को दिनभर धूप निकली और हल्की हवा भी चल रही थी। इसका सीधा असर वायु गुणवत्ता सूचकांक पर पड़ा। सोमवार को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की वेबसाइट पर दर्ज आंकड़ों में जिले का पीएम 2.5 का स्तर 276 दर्ज किया गया।
आयोग की टीम ने जताई थी नाराजगी
रविवार को वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की टीम ने यहां औचक निरीक्षण किया था। सूचना मिलने पर हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी भी टीम के साथ आ गए। इस दौरान कई जगह टीम गई और देखा कि आखिर यहां क्यों इतना प्रदूषण बढ़ रहा है। टीम ने बाईपास सहित शहर में कई जगह मिट्टी के ढेर देखे। इतना ही नहीं ऐसी जगह पानी का छिडक़ाव भी नहीं किया जा रहा था। इस पर टीम के सदस्यों ने नाराजगी जाहिर की। उन्होंने यहां बोर्ड के अधिकारियों को इस मामले में सख्त कार्रवाई के लिए कहा। सोमवार को टीम ने अपने कार्यालय के पास ही हीवो अपार्टमेंट का काम चलते हुए पाया।
क्या कहते हैं अधिकारी
हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी दिनेश कुमार का कहना है कि बढ़ते वायु प्रदूषण के स्तर को देखते हुए सभी विभागों का सहयोग करना बेहद जरूरी हो गया है। नियमानुसार सभी काम कराएंगे तो हालात काबू रहेंगे। सडक़ों पर पानी का छिडक़ाव जरूरी है। सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार कंस्ट्रक्शन पर पाबंदी है। इसलिए सभी विभागों के अधिकारियों से अपील है कि वह ऐसा कोई काम न होने दें जिससे वायु प्रदूषण का स्तर बढ़े।