भिवानी, 27 जून (हप्र)
आजादी के संघर्ष में अपना सर्वस्व न्योछावर करने वाला जिले का गांव रोहणात के ग्रामीण आजादी के बाद भी आज तक रोहणात को शहीद गांव का दर्जा दिलाने एवं अंग्रेजों द्वारा ग्रामीणों की नीलाम की गई जमीन को वापस लेने की मांग को लेकर संघर्ष कर रहे हैं, जो कि न सिर्फ रोहणावासियों का, बल्कि उन शहीदों का भी अपमान है, जिन्होंने देश की आजादी के लिए बलिदान दिया था। यह बात कामरेड भूप सिंह व वेदप्रकाश ने स्वतंत्रता संग्राम में गांव रोहणातवासियों की नीलाम की गई जमीन वापस दिलवाने की मांग को लेकर स्थानीय लघु सचिवालय के समक्ष डा. बीआर अंबेडकर शहीद सम्मान मोर्चा शहीद गांव रोहणात के बैनर तले जारी धरने को संबोधित करते हुए कही।
इस बीच, गांव रोहणात के ग्रामीणों की मांगों के प्रति सरकार के रवैये से गुस्साये 5 ग्रामीणों ने मुंडन करवा लिया। उन्होंने कहा कि संयुक्त पंजाब में तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रताप सिंह कैरों के गांव को हिसार बीड़ के अंदर 57 प्लॉट, जिसमें कि एक प्लॉट साढ़े 12 एकड़ का था, वह जमीन कागजों में अलॉट दर्शाए जाने के बावजूद उन्हें जमीन का कब्जा नहीं दिलवाया गया। इसके अलावा मकान बनवाने के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री ओपी चौटाला ने 10 लाख रुपये व भूमि देने की घोषणा की थी, जो भी आज तक नहीं मिली है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल वर्ष 2018 में यहां आए थे, तब उन्होंने रोहणातवासियों को उनका हक देने का वादा किया था, लेकिन वो भी आज तक पूरा नहीं हो पाया। उन्होंने कहा कि सरकार को चाहिए कि स्वतंत्रता संग्राम में अपना सर्वस्व न्योछावर करने वाले शहीदों के गांव रोहणातवासियों को उनके अधिकार देकर शहीदों का सम्मान बरकरार रखा जाए, लेकिन सरकार उनकी अनसुनी कर रही है।
इस अवसर पर ओमप्रकाश, दरिया सिंह, दीपक, रामकुमार, बलवान रसिंह, रामप्रसाद, कर्मवती, लीछो, रामरती, खजानी, सलोचना सहित अनेक ग्रामीण मौजूद रहे।