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हरियाणा में 5 साल में प्रतिदिन 5 अवैध खनन के मामले

सरकार का एक्शन : हर दिन हुए सात वाहन जब्त । ~345.74 करोड़ जुर्माना वसूला, 10,676 मामले दर्ज
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भरतेश सिंह ठाकुर/ट्रिन्यू

चंडीगढ़, 21 मार्च

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हरियाणा में पिछले पांच सालों में प्रतिदिन अवैध खनन के पांच मामले सामने आए हैं। सरकार ने 28 अगस्त, 2019 से 30 नवंबर, 2024 तक 13,118 वाहन जब्त किए। यानी राज्य में प्रतिदिन करीब सात वाहन हुए। इसके अलावा 185.81 करोड़ रुपये का जुर्माना वसूला गया। सबसे ज्यादा 2,815 वाहन यमुनानगर से जब्त किए गए, इसके बाद गुरुग्राम और नूंह (1,637), फरीदाबाद और पलवल (1,366), महेंद्रगढ़ (1,309), पंचकूला (1,054) और अंबाला (979) का स्थान रहा।विधानसभा में 17 मार्च को आर्थिक सर्वेक्षण-2024-25 पेश किया गया।

इसके अनुसार प्रदेश में 1 अप्रैल, 2019 से प्रतिदिन पांच से अधिक अवैध खनन के मामले सामने आए। इस दौरान 345.74 करोड़ रुपये का जुर्माना वसूला गया। एक अप्रैल, 2019 से 31 अक्तूबर, 2024 तक कुल 10,676 मामले दर्ज किए गए। सबसे अधिक मामले 2020-21 और 2021-22 में सामने आये। इस अवधि में क्रमशः 3,515 और 2,192 मामले दर्ज किए गए।

सर्वेक्षण में कहा गया है कि वर्तमान में केवल 42 खदानें चालू हैं जबकि सात लाइसेंस निलंबित किए गए हैं। इनमें यमुनानगर में चार, पंचकूला, भिवानी और चरखी दादरी में एक-एक लाइसेंस निलंबित किया गया है। सर्वेक्षण के अनुसार विभाग का राजस्व संग्रह कम होता जा रहा है। 2019-20 में यह 702.25 करोड़ रुपये था, जो 2020-21 में बढ़कर 1,019.94 करोड़ रुपये हो गया।

2021-22 में यह घटकर 838.34 करोड़ रुपये और 2022-23 में 837.02 करोड़ रुपये रह गया। विधानसभा में एक प्रश्न के सरकार द्वारा दिए गए जवाब के अनुसार, 2020-21 से 2024-25 तक जिला खनिज फाउंडेशन फंड से 126.71 करोड़ रुपये एकत्र किए गए, लेकिन केवल 80.63 करोड़ रुपये ही खर्च किए गए। पंचकूला में एकत्र किए गए 6.91 करोड़ रुपये में से मात्र 1.21 करोड़ रुपये खर्च किए गए और 2021-22 से 2024-25 तक कुछ भी खर्च नहीं किया गया। पलवल, अंबाला और रेवाड़ी में एक भी पैसा खर्च नहीं किया गया।

'फंड का नहीं हो रहा उचित उपयोग'

अंबाला से कांग्रेस सांसद वरुण चौधरी ने कहा कि 110 खनन ब्लॉकों में से केवल 62 की ही नीलामी की गई थी। नीलामी न होने वाले ब्लॉकों से न केवल राजस्व का नुकसान होता है, बल्कि अवैध खनन भी होता है। मौजूदा प्रावधानों के अनुसार, चालू खदानों को खान एवं खनिज पुनरुद्धार एवं पुनर्वास कोष में अतिरिक्त 7.5 प्रतिशत का योगदान देना होता है, जबकि राज्य भी 2.5 प्रतिशत का भुगतान करता है। इस कोष का उपयोग खनन से प्रभावित लोगों और क्षेत्रों की मदद के लिए किया जाता है।

चौधरी ने कहा, राज्य को राजस्व मिलता है और खननकर्ता को खनिज मिलते हैं, लेकिन जिन गांवों में खनन होता है, उन्हें धूल, खराब सड़कें आदि जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। यह ध्यान देने वाली बात है कि फंड का पूरा उपयोग नहीं किया जा रहा है और प्रशासन सिर्फ बैंकों में एफडी बना रहा है।

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