पानीपत, 4 जुलाई (निस)
नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी के मामले में पानीपत पुलिस ने बड़ी कामयाबी हासिल की है। पुलिस ने गिरोह के मुख्य सरगना मोहम्मद सहवार व उसके तीन अन्य साथियों से 48 लाख रुपए, नकली रेपर व डिब्बे बरामद किये हैं। आरोपी मोहम्मद शहवार, शाह आलम व मोहम्मद अरसद को पंजाब की रोपड़ जेल से पानीपत पुलिस प्रोडक्शन वारंट पर लेकर अाई थी। इनके साथी अखलद उर्फ अली को सहारनपुर से गिरफ्तार किया गया था।
एसपी शशांक कुमार सावन ने रविवार को यहां पत्रकारों को इसकी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि पुलिस टीम ने पानीपत में दो माह पहले चार नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन के साथ गौरव जैन को पकड़ा था, इसके बाद कड़ी से कड़ी जुड़ती गई और पुलिस कालाबाजारी के मुख्य सरगना मोहम्मद शहवार तक पहुंच गई। वहीं पानीपत में नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी का मुख्य आरोपी सनौली रोड पर हैदराबादी अस्पताल में मेडिकल स्टोर चलाने वाला प्रदीप निकला और उसने ही पानीपत में अन्य सभी लोगों को नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन दिये थे।
जबकि मोहम्मद सहवार निवासी मुज्जफरनगर, यूपी ही पानीपत के प्रदीप को इंजेक्शन की सप्लाई देता था। एसपी ने बताया की सीआईए थ्री प्रभारी इंस्पेक्टर अनिल छिल्लर की टीम आरोपी मोहम्मद शहवार को पंजाब की रोपड़ जेल से प्रोडक्शन वारंट पर पानीपत लेकर आई और सात दिन के रिमांड के दौरान पूछताछ में मोहम्मद शहवार ही इस नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी का मुख्य सरगना निकला।
ऐसे बनाए नकली इंजेक्शन
मोहम्मद शहवार ने पुलिस को बताया कि रेमडेसिवर इंजेक्शन की भारी मांग को देखते हुए उसने इसका बिजनेस करके मुनाफा कमाने की सोची और अपनी रजिस्टर्ड फार्मा फर्म से असली रेमडेसिविर इंजेक्शन बनाने वाली हैदराबाद की हिटरो कंपनी को मेल द्वारा 2 हजार रुपए रेट के अनुसार 30 हजार असली रेमडेसिविर इंजेक्शन का आॅर्डर दिया। लेकिन कंपनी ने आॅर्डर कैंसिल कर दिया। इसके बाद उसने नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन तैयार करने की योजना बनाई। इसी प्रकार की शीशी की साइज में मिलने वाले एंटीबायोटिक इंजेक्शन के 30 हजार इंजेक्शनों क ऑर्डर अपनी रजिस्टर्ड फर्म से काला अम्ब की फर्म को दिया और वहां से 12 हजार इंजेक्शन मिल गये। ये एंटीबायोटिक इंजेक्शन बुखार व न्यूमोनिया में दिए जाते हैं। इस दौरान इंटरनेट से रेमडेसिविर इंजेक्शन का रेपर व डिब्बी के प्रिंट डाउनलोड कर प्रिंटिंग प्रेस मे तैयार करवाए। उन 12 हजार एंटीबायोटिक इंजेक्शनों को घर लाकर पानी के टब में डाल दिए और फिर बुआ के लड़के शाह आलम व शहनजर के साथ मिलकर उन इंजेक्शनों का लेबल उतार कर उसकी जगह प्रिंट करवाए गए रेमडेसिविर के लेबल चिपका कर डिब्बों मे पैक कर दिया। इनमें से करीब 10 हजार इंजेक्शनों को हरियाणा, पंजाब, उत्तराखंड व हिमाचल में होल विक्रेताओं को 5 हजार रुपए प्रति इंजेक्शन के हिसाब से बेच दिया। उन्होंने नकली इंजेक्शनों को बेचकर करीब 5 करोड़ रुपए कमाए। वहीं पुलिस कार्रवाई के डर से उसने दो हजार इंजेक्शनों को भाखड़ा नहर में फेंक दिया।