पंचकूला,16 फरवरी(ट्रिन्यू)
हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा मंगलवार को अकादमी परिसर में बसंत पंचमी के उपलक्ष्य में सरस्वती वंदन कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम के शुरू में चंडीगढ़ तथा पंचकूला से पधारे लेखकों द्वारा सरस्वती प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं सरस्वती वंदन किया गया। पहले सत्र में शब्द की महिमा पर विचार-विमर्श करते हुए अकादमी निदेशक डाॅ. चन्द्र त्रिखा ने बताया कि शब्द को ब्रह्म कहा गया है। शब्द सर्वशक्तिमान एवं कालजयी है। उन्होंने कहा कि लेखकों का दायित्व बनता है कि अपने रचनाक्रम में शब्द के महत्व तथा उसकी असीम सम्भावनाओं को ध्यान में रखते हुए समाज के लिए मार्गदर्शक साहित्य का निर्माण करें। चर्चा में भाग लेते हुए डाॅ. विजय कपूर ने कहा कि अच्छे शब्दों के चयन से अच्छी भाषा एवं एक अच्छे समाज का निर्माण होता है। इसी प्रकार जसविन्दर शर्मा, प्रेम विज, संगीता बेनीवाल, संतोष गर्ग एवं नीरू मित्तल ने भी शब्द की महिमा पर विचार प्रकट किए। दूसरे सत्र में कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसकी शुरुआत नीरू मित्तल ने सरस्वती वन्दना से की। अकादमी निदेशक डाॅ. चन्द्र त्रिखा ने नये रचनाकारों को सम्बोधित करते हुए कहा-लिख औरों की खातिर लिख, भले राग दरबारी लिख/क्यों गोदान न हो पाया धनिया की लाचारी लिख। डाॅ. विजय कपूर ने आन्तरिक संघर्ष को कुछ इस तरह ब्यान किया- बार-बार लगती है आग/जलता है जंगल बार-बार/घर से कोई भागे तो भागे/भीतर से कैसे निकले आग। जितेन्द्र परवाज की रचना के बोल थे-नज़र का चश्मा उतर गया है चमक उठी हैं हमारी आंखें/निगाह अपनी तो बढ़ गई है जब से देखी तुम्हारी आंखें।
अकादमी निदेशक डाॅ. चन्द्र त्रिखा ने कार्यक्रम में पधारे सभी लेखकों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया।