भिवानी, 28 नवंबर (हप्र)
शिक्षा की विषयवस्तु में आज के समय में इंसानियत पढ़ाने की नितांत आवश्यकता है, यह उद्गार आदर्श महिला महाविद्यालय में एक दिवसीय राष्ट्रीय संस्कृत संगोष्ठी में आए प्रो. सुधीर कुमार ने कहे। उन्होंने गीता की प्रासंगिकता के विभिन्न पक्षों को छात्राओं के साथ साझा करते हुए कहा कि हमें विषयों का त्याग करना चाहिए और अपने जीवन का आदर्श कोई न कोई अवश्य बनाना चाहिए। जिससे हम अपने जीवन निर्माण के सूत्र निर्धारित कर सकें।
मुख्य अतिथि डॉ. जितेन्द्र कुमार भारद्वाज ने मोह और प्रेम का अंतर बताते हुए कहा कि छोटी काशी, भिवानी केवल मंदिरों के लिए प्रसिद्ध नहीं है, अपितु अपने विद्वतजनों के लिए भी प्रसिद्ध है। उन्होंने गीता के पहले शब्द ’धर्म’ व अंतिम शब्द ’मम्’ की सविस्तार व्याख्या की। संगोष्ठी के अध्यक्षीय भाषण में डॉ. दिनेश शास्त्री ने गीता की वर्तमान प्रासंगिकता पर चर्चा की। गीता की प्रासंगिकता की व्याख्या करते हुए परिवार के मुखिया का दायित्व बताया कि वह परिवार में किसी भी सदस्य की गलती होने पर उसका विरोध करे।
आदर्श महिला महाविद्यालय में हरियाणा संस्कृत अकादमी, पंचकूला एवं आदर्श महिला महाविद्यालय, भिवानी के संयुक्त तत्वावधान में एकदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन ‘श्रीमद्भगवतगीता की वर्तमान में प्रासंगिकता’ विषय पर किया गया। जिसमें कार्यक्रम अध्यक्ष डॉ. दिनेश शास्त्री निदेशक हरियाणा संस्कृत अकादमी, पंचकूला, मुख्य अतिथि डॉ. जितेन्द्र कुमार भारद्वाज रजिस्ट्रार, सी.बी.एल.यू, भिवानी, मुख्य वक्ता प्रो. ललित कुमार गौड़ कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र, सारस्वत वक्ता प्रो. सुधीर कुमार जे.एन.यू., दिल्ली, विशिष्ट वक्ता डॉ अशोक कुमार मिश्र अम्बाला से रहे। महाविद्यालय महासचिव अशोक बुवानीवाला ने सभी अतिथिगण का स्वागत किया और कहा कि भगवान श्री कृष्ण में अनेक कलाएं थी। कार्यक्रम मेें मुरलीधर शास्त्री, सुनील शास्त्री, हरि शर्मा, जयपाल शास्त्री, मुकेश पांडेय, प्रीतम अग्रवाल के साथ-साथ सभी शिक्षक वर्ग एवं गैर-शिक्षक वर्ग उपस्थित रहे।