अम्बाला शहर, 23 मई (हप्र)
महिला काव्य मंच अम्बाला इकाई द्वारा आयोजित मासिक गोष्ठी में कवयित्रियों ने गीतों, गजलों और कविताओं से अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। राज्य महासचिव अंजलि सिफर की अध्यक्षता में आयोजित गोष्ठी का मंच संचालन सवीना वर्मा सवी एवं मनीषा भसीन नारायण ने किया। गोष्ठी में अंजलि ने बूढ़े मां-बाप को वृद्धाश्रम छोड़कर जाने पर कटाक्ष किया ‘छोड़ के मां को वृद्धाश्रम जाते हैं बुतखाने लोग’। सवीना ने जिंदगी की खूबसूरती व परीक्षा को लेकर ये पंक्तियां कहीं ‘उम्र ख़ुशियों की है मुखतसर जिंदगी तू न ले इम्तिहां इस कदर जिंदगी’। कवयित्री मनीषा ने अपनी रचना की प्रस्तुति यूं की ‘ ये जिंदगी मिली थी इबादत के वास्ते तस्बीह हाथ ली तो तेरा नाम आ गया’। इसी तरह किरण जैन की प्रस्तुति रही ‘पांव शबनम पे जिनके जलते हैं जाने वो घर से क्यों निकलते हैं, उनसे मिल कर भरम ये टूट गया पत्थरों के भी दिल पिघलते हैं’। डॉ. रेखा शर्मा की रचना यूं शुरू हुई ‘ऐ मेरे दिल अगर तू ये ख़ुद ठान ले टूटे रिश्तों को तू अगर ठान ले बात बन जाएगी रार थम जायेगी’। गोष्ठी को आगे बढ़ाते हुए मनजीत तुर्का ने चाय की खासियत को यूं उकेरा ‘चाय तेरा जायका है कमाल सबके दिलों पर है तेरा राज कुछ ही पलों में तू बन जाती है खुदा कसम सबको दिलों से जोड़ जाती है’। इसी प्रकार नीरजा ने ये पंक्तिया कहीं ‘भर जाता जीवन का खालीपन गर लौट आता बचपन’। डॉ. सुमन जैन लूथरा ने यादों के महत्व को इन पंक्तियों से बताने का प्रयत्न किया ‘तेरा नाम न हो सका फिर भी तेरी यादों से मैंने घर अपना शादाब कर लिया’।