हिसार, 5 दिसंबर (निस)
विश्व मृदा दिवस पर मृदा विभाग की ओर से आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीआर काम्बोज ने कहा कि भूमि लवणता आज हरियाणा की ही, नहीं बल्कि विश्व स्तर पर गंभीर समस्या है। कम वर्षा, खारे जल से सिंचाई, भूमिगत जल स्तर का ऊपर आना तथा उर्वरकों का अंधाधुंध उपयोग भूमि लवणता बढ़ने के मुख्य कारण हैं। आज समय कि मांग है कि इन लवणीय भूमियों को सुधारा जाये जो मृदा वैज्ञानिकों के प्रयासों से संभव हो सकता है। यदि हमारी मृदा स्वस्थ रहेगी, तो ही हम स्वस्थ रहेंगेे। उन्होंने कहा कि किसान कई बार अपने खेतों में पौधों में आवश्यक पोषक तत्वों की पूर्ति न कर पाने के कारण बेहतर उत्पादन हासिल नहीं कर पाते। इसलिए उन्हें समय-समय पर अपने खेत की मिट्टी की जांच अवश्य करवानी चाहिए। यदि मिट्टी में किसी तत्व की कमी हो तो उसकी पूर्ति उर्वरकों के साथ-साथ देसी खादों द्वारा की जानी चाहिए। वहीं डॉ. पूजा जांगड़ा ने मिट्टी व पानी की जांच के महत्व के साथ-साथ मिट्टी व पानी के नमूने लेने के सही तरीकों की जानकारी दी। डॉ. देव राज व डॉ. कृष्ण भारद्वाज ने समन्वित पोषक तत्व प्रबंधन के बारे में बताया। इस मौके पर मृदा विज्ञान विभाग द्वारा एक वाद-विवाद प्रतियोगिता कराई गई, जिसमें गरिमा दहिया प्रथम, विजेंद्र द्वितीय तथा पंकज तृतीय रहे। इस अवसर पर मृदा विज्ञान विज्ञान विभाग के डॉ. दिनेश, डॉ. सुशील, डॉ. सुनीता, डॉ. उषा, डॉ. हरदीप, डॉ. नरेंद्र, डॉ. मूली देवी व डॉ. धीरज आदि उपस्थित रहे।