दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 20 फरवरी
हरियाणा की जेलों में बंद बेकसूर ‘मासूम’ अब खुले में सांस ले सकेंगे। सजा काट रही अपनी मां के साथ जेल में रह रहे 6 साल से कम उम्र के बच्चों को जेल प्रशासन नियमित रूप से बाहर घुमाएगा। ऐसे बच्चों की स्कूली पढ़ाई का पूरा प्रबंधन जेल प्रशासन करेगा। इन बच्चों को स्कूल लेकर जाने और लाने का काम जेल की वैन करेगी। इतना ही नहीं, सप्ताह-दस दिन में कम से कम एक बार बच्चों को सिटी विजिट करवाया जाएगा।
इतना ही नहीं, विशेष परिस्थिति और जनहित में सरकार कैदियों खासकर महिलाओं की सजा सस्पेंड करने पर भी विचार कर ही है। 432 सीआरपीसी में इस तरह के प्रावधान है। इसके तहत सरकार के पास विशेषाधिकार है कि वह किसी भी कैदी की सजा को सस्पेंड कर सकती है। इसका खुलासा हरियाणा के डीजीपी रहे सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी डॉ़ केपी सिंह ने किया। केपी सिंह लंबे समय तक जेल विभाग के महानिदेशक भी रहे हैं।
सीएम ने हाल ही में जेलों में सुधार को लेकर सभी जेल अधिकारियों के साथ 6 घंटे की मैराथन बैठक की थी। इस बैठक में गेस्ट लेक्चर के लिए डॉ़ केपी सिंह को विशेष रूप से आमंत्रित किया था। इसी दौरान उन्होंने एक वाक्या सभी के सामने रखा। दरअसल, एक गर्भवती महिला को सजा होने के चलते उसकी डिलीवरी जेल में ही हुई। उसके बच्चे ने जेल वार्ड में केवल महिलाओं को ही देखा। एक बार जब जेल सुपरिटेंडेंट ने महिला वार्ड का निरीक्षण किया तो वह बच्चा उन्हें देखकर बुरी तरह से डर गया।
उनके सुझाव को मानते हुए सीएम ने बैठक में ही जेल अधिकारियों को आदेश दिए कि जेलों में अपनी माताओं के साथ रह रहे बच्चों को बाहर लेकर जाया जाए, जिससे वे सोसायटी में घुल-मिल सकें। उन्हें अलग-अलग टूरिस्ट स्थलों पर भी लेकर जाया जाएगा। साथ ही, उन्हें मार्केट, चिड़ियाघर तथा गांवों व शहरों में भी घुमाया जाएगा। जेलों में बच्चों के मनोरंजन व उनके खेलने के भी प्रबंध करने के आदेश सरकार ने दिए हैं। प्रदेश की 16 जेलों में 700 के करीब महिलाएं हैं। इनके साथ 32 बच्चे भी रह रहे हैं। जींद, हिसार-।, पलवल और रेवाड़ी की जेल में एक भी महिला कैदी या बंदी नहीं है। केपी सिंह ने सुझाव दिया कि सीआरपीसी 432 में सरकार के पास सजा को सस्पेंड करने के अधिकार हैं। जिन महिला कैदियों के बच्चे छोटे हैं, उनकी सजा को सरकार एक से तीन साल तक के लिए सस्पेंड कर सकती है। बच्चों की उम्र छह वर्ष पूरी होने के बाद उन्हें वापस जेल में बुलाया जा सकता है। किसी केस में अगर परिवार के सभी सदस्यों को सजा हो जाती है तो सरकार इस 432 के तहत परिवार के किसी एक सदस्य की सजा को सस्पेंड कर सकती है ताकि वह खेतों व पशु आदि की देखरेख कर सके। बेशक, बाद में उसे अपनी सजा को पूरा करना होगा। सीएम ने इस सुझाव पर संज्ञान लेते हुए जेल विभाग के महानिदेशक मोहम्मद अकील से विस्तृत रिपोर्ट देने को कहा है। अकील की रिपोर्ट के बाद सरकार इस पर नीतिगत फैसला करेगी।
कैदियों की होगी काउंसलिंग
प्रदेश की सभी जेलों में कैदियों व बंदियों की काउंसलिंग करवाई जाएगी। इसके लिए साइकोलॉजिकल काउंसलर बुलाए जाएंगे, जिससे कैदियों को डिप्रेशन में जाने से रोका जा सके। योग व व्यायाम की गतिविधियां भी होंगी। काउंसलिंग के जरिये कैदियों व बंदियों को अपराध से दूर करने की कोशिश होगी ताकि वे सोसायटी का हिस्सा बन सकें।
धर्मगुरुओं के होंगे प्रवचन
प्रदेश की जेलों में स्वामी ज्ञानानंद, अवधेशानंद जैसे धर्मगुरुओं को बुलाया जाएगा, जिससे वे कैदियों को धार्मिक रूप से जाग्रत कर सकें। धर्मगुरुओं के प्रवचन के लिए प्रदेश के सभी जेल अधीक्षकों को कहा गया है कि वे ऐसे लोगों से संपर्क करें और उनके विशेष शिविर का आयोजन करवाएं।
जेलों में सुधार के लिए मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने विभाग की अधिकांश प्रपोजल को मंजूरी दे दी है। महिला कैदियों और उनके साथ जेलों में रहे मासूम बच्चों को लेकर विभाग अब नयी शुरुआत करेगा। बच्चों को जेलों से बाहर ले जाया जाएगा, जिससे वे सोसायटी में घुल-मिल सकें। धर्मगुरुओं के प्रवचन जेलों में होंगे। कैदियों व बंदियों को डिप्रेशन में जाने से रोकने के लिए उनकी काउंसलिंग करवाई जाएगी।
-चौ़ रणजीत सिंह, जेल मंत्री