चंडीगढ़, 21 जुलाई (ट्रिन्यू)
राजनीतिक इच्छाशक्ति के अभाव तथा अधिकारियों की कथित लालफीताशाही के चलते हरियाणा शिक्षा विभाग की अच्छी तबादला नीति दम तोड़ने लगी है। एक ओर जहां देश के दूसरे राज्य हरियाणा प्रदेश की नीति का अध्ययन करके अपने यहां लागू कर रहे हैं, वहीं अपेक्षित दूरदृष्टि के अभाव में प्रदेश सरकार इस नीति को ठंडे बस्ते में डालती जा रही है। यह पहलू बेहद चिंतनीय एवं दुर्भाग्यपूर्ण है। यह मानना है हरियाणा स्कूल लेक्चरर्ज एसोसिएशन (हसला) के पूर्व राज्य प्रधान दयानंद दलाल का। बृहस्पतिवार को उन्होंने कहा कि 2016 में ऑनलाइन ट्रांसफर पॉलिसी पहली बार लागू हुई थी। इसको लागू करने के लिए हसला संगठन ने आगे बढ़कर इसका न केवल समर्थन किया था अपितु इसके लिए हर मोर्चे पर सरकार का साथ भी दिया था। उस समय सरकार ने संगठन को आश्वासन दिया था कि इस नीति के लागू होने के बाद तबादलों को वार्षिक फीचर बनाया जाएगा तथा प्रतिवर्ष इसमें अपेक्षित संशोधन किए जाएंगे। गत 6 वर्षों में मात्र तीन बार इस नीति से तबादले हो पाए हैं। संगठन द्वारा जोन प्रारूप, कैप्ट वेकेंट पोस्ट आदि मुद्दों को लेकर दिए गए सुझावों को लागू नहीं किया गया है।