रोहतक, 24 अक्तूबर (हप्र)
किसान सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अशोक धवले ने कहा कि सभी देशभक्त, लोकतांत्रिक ताकतों, मेहनतकश-उत्पीड़ित समुदाय को अपनी ऐतिहासिक भूमिका अदा करते हुए किसान आंदोलन को सफल बनाना होगा।
डॉ. धवले रविवार को शहीद जसवीर सिंह स्मृति व्याख्यान में बोल रहे थे। व्याख्यान की अध्यक्षता समिति के उपाध्यक्ष सुरेंद्र सिंह ने की और मंच संचालन समिति के सचिव वीरेंद्र सिंह मलिक ने किया। जसबीर सिंह की 35 वीं बरसी पर आयोजित स्मृति व्याख्यान के विषय मौजूदा किसान आंदोलन और वैकल्पिक कृषि नीतियों का सवाल पर बोलते हुए डॉ धवले ने कहा कि पिछले 11 महीने से दिल्ली के बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन की मुख्य ताकत किसान मजदूर एकता है। उन्होंने कहा कि 2014 में सत्ता हासिल करने के बाद मोदी सरकार ने किसानों से वादा किया था कि 2022 तक किसानों की आमदनी दुगनी की जाएगी, जबकि वास्तविकता यह है कि 2013 में किसान की मासिक आय 3181 रुपए थी, जो वर्ष 2019 में घटकर 2645 रुपए रह गई है। कार्यक्रम के दौरान वरिष्ठ सर्जन डॉक्टर रणबीर सिंह दहिया द्वारा नेताजी सुभाष चंद्र बोस पर लिखी पुस्तक रागनियों के किस्से का विमोचन भी किया गया। स्मृति व्याख्यान में शहीद जसबीर सिंह के पिता चौधरी देवी सिंह, निगम पार्षद कदम सिंह अहलावत, महिला नेत्री सविता और रिटायर्ड प्रिंसिपल राजकुमारी दहिया, सीटू नेता जयभगवान, सतबीर सिंह मौजूद रहे।
‘लोकतंत्र को फासीवाद से बचाने का निर्णायक संघर्ष’
धवले ने कहा कि किसानों का यह ऐतिहासिक प्रतिरोध हमारे कृषि क्षेत्र को कार्पोरेट कब्जे से और हमारे लोकतन्त्र को फासीवाद के शिकंजे से बचाने का निर्णायक संघर्ष है। कृषि पर कार्पोरेट कब्जे से हमारी विराट मेहनतकश आबादी की आजीविका के लिए परिणाम प्रलयंकारी होंगे और साम्प्रदायिक, फासीवाद एकताबद्ध राष्ट्र के तौर पर हमारे अस्तित्व पर ही प्रश्नचिह्न लगा देगा। उन्होंने कहा कि पिछले तीन दशक से चल रही निजीकरण, उदारीकरण की नीतियों को बदलकर भी देश में खेती, रोजगार और लोकतंत्र को बचाया जा सकता है। किसान-आंदोलन की परिणति पर ही हमारे लोकतंत्र का भविष्य और हमारे गणतंत्र के पुनर्जीवन की उम्मीदें टिकी हुई हैं।