दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 21 फरवरी
हरियाणा सरकार पहली मार्च से तीसरी से पांचवीं तक के विद्यार्थियों को स्कूल बुलाने पर सहमत हो गई है। हालांकि इस समय मौजूदा शैक्षणिक सत्र में बहुत अधिक समय नहीं है, लेकिन फिर भी सरकार इसके लिए तैयार हो गई है। सूत्रों का कहना है कि प्राइवेट स्कूलों द्वारा की जा रही लॉबिंग के चलते यह प्रस्ताव सिरे चढ़ा है।
इससे पहले भी सरकार ने प्राइमरी स्कूलों को खोलने का फैसला लिया था। पहली फरवरी से छठी से आठवीं तक के स्कूल शुरू किए जा चुके हैं। प्राइमरी स्कूल 15 फरवरी से खुलने थे, लेकिन इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया। शिक्षा विभाग ने नये सिरे से इन स्कूलों को खोलने का प्रस्ताव बनाकर शिक्षा मंत्री कंवरपाल गुर्जर के पास भेजा। शिक्षा मंत्री की मंजूरी के बाद अब सीएमओ ने भी इस पर मुहर लगा दी है।
इसके बाद स्कूलों को पहली मार्च से खोलने का निर्णय लिया गया है। स्कूलों को खोलने की रणनीति तय करने के लिए सोमवार को विभाग के आला अफसरों की अहम बैठक होगी। तीसरी से पांचवीं तक प्राइवेट व सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों की संख्या 12 लाख के लगभग है। माना जा रहा है कि अगर पहली मार्च से स्कूल खुलते हैं तो एक से डेढ़ माह नियमित पढ़ाई हो सकती है। हालांकि बड़ी संख्या में स्कूलों द्वारा एग्जाम शैड्यूल जारी किया जा चुका है।
यह दी गई दलील
शिक्षा विभाग ने अपनी प्रपोजल में दलील दी कि कोरोना काल की वजह से विद्यार्थियों की पढ़ाई काफी प्रभावित हुई है। बेशक, ऑनलाइन कक्षाएं चलती रही, लेकिन फिर भी पाठ्यक्रम पूरा नहीं हो पाया। इसलिए स्कूलों को खोलने का निर्णय लिया गया। प्रस्ताव में मिली मंजूरी के हिसाब से आॅफलाइन परीक्षाएं हो सकेंगी। शिक्षा विभाग ने पहले भी प्राइमरी स्कूलों को खोलने को लेकर शिक्षा मंत्री के पास फाइल भेजी थी। इसे शिक्षा मंत्री कंवर पाल गुर्जर ने रिजेक्ट कर दिया था। मंत्री ने कहा था कि अब समय काफी कम रह गया है। ऐसे में प्राइमरी स्कूलों को नहीं खोला जाएगा।
प्राइवेट स्कूल संघ उठा रहा था मांग
हरियाणा प्राइवेट स्कूल संघ काफी दिनों से स्कूलों को खोलने की मांग उठा रहा है। संघ प्रदेशाध्यक्ष सत्यवान कुंडू का कहना है कि कोरोना काल के चलते लंबे समय तक स्कूलों के बंद रहने से जहां बच्चों की शिक्षा काफी प्रभावित हुई है। अनुमान के अनुसार, सरकारी और प्राइवेट स्कूलों में कुल मिलाकर लगभग 52 लाख विद्यार्थी पढ़ते हैं। कोरोना के कारण प्रदेश में पढ़ाई काफी बाधित रही है। न तो सरकारी और न ही निजी स्कूल खुल पाए। ऐसे में पिछले दिनों सरकार ने छठी से 12वीं कक्षा तक विद्यार्थियों की पढ़ाई शुरू हो चुकी है। इसमें अब विद्यार्थियों की संख्या बढ़कर 72 फीसदी तक हो चुकी है।
बच्चाें के माता-पिता नहीं समर्थन में
अहम बात यह है कि इस समय स्कूलों को खोलने के फैसले से अधिकांश अभिभावक सहमत नहीं हैं। उनका कहना है कि जब एक महीने बाद नया सत्र ही शुरू हो जाएगा तो अब स्कूल खोलने का कोई औचित्य नहीं है। अभिभावकों को यह भी डर है कि अगर अब स्कूल खुलते हैं तो प्राइवेट स्कूल कई तरह के खर्चों का बोझ उन पर डालेंगे। कोरोना की वजह से बिगड़ी वित्तीय स्थिति का असर हर किसी पर पड़ा है।