कुरुक्षेत्र (हप्र) :
ढैंचा की बिजाई को प्रोत्साहित करने के लिए अब कृषि वैज्ञानिक भी आगे आए हैं। वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डा. सी.बी. सिंह ने किसानों को परामर्श दिया कि गेहूं की कटाई के उपरांत अविलम्ब अपने खेतों में ढैंचा की बिजाई कर अपनी जमीन की उर्वरा शक्ति को बढ़ाएं तथा रसायनिक खाद पर निर्भरता को कम करें। डा. सिंह किसानों को ढैंचे के बीज पर सरकारी अनुदान का भी स्वागत किया है। उन्होंने बताया कि ढैंचा एक कम अवधि की हरी खाद की फसल है। गर्मियों के दिनों में 5-6 सिंचाई करके ढैंचा की फसल को तैयार कर लेते हैं तथा इसके बाद धान की फसल की रोपाई की जा सकती है। ढैंचा की फसल से प्रति हेक्टेयर भूमि में 80 किलोग्राम नाइट्रोजन इकट्ठी हो जाती है।