चंडीगढ़, 17 मार्च (ट्रिन्यू)
हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत सिंह चौटाला ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे राज्य के सभी नेशनल-हाईवे से ‘रोड एक्सीडेंट ब्लैक-स्पॉट’ को हटाने के लिए उचित कदम उठाएं ताकि लोगों को उनके जान-माल का नुकसान होने से बचाया जा सके। एक माह में सभी ब्लैक-स्पॉट चिह्नित कर प्राथमिक रिपोर्ट उन्होंने भेजने के निर्देश अधिकारियों को दिए हैं। वे चंडीगढ़ में ‘नेशनल हाईवेज पर रोड एक्सीडेंट ब्लैक-स्पॉट निराकरण’ को लेकर बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे।
उपमुख्यमंत्री ने केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के ‘रोड एक्सीडेंट ब्लैक-स्पॉट’ की परिभाषा से संबंधित बिंदुओ पर चर्चा करते हुए कहा, राज्य सरकार द्वारा अपने स्तर पर भी ‘रोड एक्सीडेंट ब्लैक-स्पॉट’ के निराकरण के लिए प्रयास किए जाएंगे ताकि प्रदेश के जन-धन की हानि न हो। उन्होंने कहा कि नेशनल हाइवे के विभिन्न स्थानों पर सड़क पर कट होने से लोग जब वहां से गुजरते हैं तो एक्सीडेंट होने की संभावना बनी रहती है।
उन्होंने फतेहाबाद समेत अन्य शहरों का उदाहरण देते हुए बताया कि कई जगह तो ऐसे खतरनाक ‘रोड एक्सीडेंट ब्लैक-स्पॉट’ बने हुए हैं कि प्रति वर्ष वहां दर्जनों लोगों की जान चली जाती है। दुष्यंत चौटाला ने हरियाणा पुलिस, परिवहन विभाग तथा लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे परस्पर समन्वय स्थापित करके राज्य के सभी नेशनल हाइवेज के ‘रोड एक्सीडेंट ब्लैक-स्पॉट’ को चिन्हित करें और प्राथमिक रिपोर्ट बनाकर एक माह में उनके समक्ष प्रस्तुत करें।
ऐसे पता चलता है ब्लैक स्पॉट का
बैठक में बताया गया कि नेशनल हाईवे का निर्माण सभी ‘सेफ्टी इंजीनियरिंग मेजर्स’ को ध्यान में रखकर किया जाता है। इसमें ‘रोड सेफ्टी’ का मानक सर्वोच्च स्थान पर रखा जाता है। इसके बावजूद भी जब कुछ स्थानों पर ज्यादा एक्सीडेंट होते हैं तो 500 मीटर के एरिया को इकाई मानकर वहां पिछले तीन वर्षों के दौरान हुए एक्सीडेंट का डाटा एकत्रित किया जाता है। इसके आधार पर ही किसी स्थान को ‘रोड एक्सीडेंट ब्लैक-स्पॉट’ की संज्ञा दी जाती है। एक्सीडेंट की अधिकता के कारण प्रतिवर्ष नेशनल हाइवे द्वारा ‘ट्रांसपोर्ट रिसर्च विंग’ को डाटा भेजा जाता है।