चंडीगढ़, 3 जुलाई (ट्रिन्यू)
मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के ड्रीम प्रोजेक्ट ‘मेरा पानी-मेरी विरासत’ योजना के प्रति अब किसानों का रुझान बढ़ने लगा है। पानी बचाने के लिए शुरू की गई इस योजना के तहत न केवल धान की खेती की बजाय किसान दूसरी खेती की ओर रुख कर रहे हैं बल्कि धान की सीधी बुआई यानी डीएसआर (डायेक्टर सीडेड राइस) तकनीक को भी अपना रहे हैं। पिछले साल के मुकाबले इस साल सीधी बुआई करने वाले किसानों की संख्या डबल हो गई है।
पिछले साल कुल 16 हजार किसानों ने 72 हजार एकड़ से अधिक में धान की सीधी बुआई की थी। इस तकनीक में पानी कम इस्तेमाल होता है। वहीं इस साल 34 हजार से अधिक किसानों ने ढाई लाख एकड़ से अधिक भूमि पर सीधी बुआई के लिए पंजीकरण करवाया मुख्यमंत्री ने धान बाहुल्य इलाकों में इस योजना की शुरुआत की थी। 2022 में इस योजना के तहत साढ़े 41 लाख एकड़ भूमि में सीधी बुआई से धान की खेती हुई।
दरअसल, पहाड़ों से मैदानी इलाकों में सालभर बहने वाला पानी का लगातार घट रहा है। भूजल स्तर भी दिन-प्रतिदिन गिर रहा है। इसी को ध्यान में रखते हुए मेरा पानी-मेरी विरासत योजना शुरू की गई। इस साल ढाई लाख एकड़ में धान की सीधी बुआई से ही सरकार को तीस प्रतिशत से अधिक पानी की बचत होगी। धान की रोपाई के लिए डीएसआर विधि यानी सूखी भूमि में ड्रिल के माध्यम से धान की बुवाई करना इसके पारंपरिक कद्दू करके रोपाई करने से बिल्कुल अलग तरीका है। पौध तैयार करके धान लगाने की सदियों पुरानी विधि ने भूजल स्तर को 120 फीट से 170 फीट तक नीचे गिरा दिया। आज जमीन से पानी खींचने के लिए 30 से 35 हॉर्स पावर की मच्छी मोटरें लगानी पड़ती हैं। ट्यूबवैल सुराख को 375 फीट से 750 फीट गहरे तक खोदना पड़ता है। इतना गहरा छेद बनाने और उसमें सामान डालने में 3.50 लाख रुपये से लेकर सात लाख रुपये तक का खर्च आता है। इतनी बड़ी राशि की व्यवस्था करना अब छोटी जोत वाले किसानों के लिए संभव नहीं रह गया है।
हरियाणा शुगरफेड के पूर्व चेयरमैन सरदार हरपाल सिंह चीका का कहना है कि मेरा पानी-मेरी विरासत योजना में पंजीकरण करवाने वाले किसानों को सरकार 4 हजार रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से प्रोत्साहन भी दे रही है। साथ ही, पराली जलाए बिना इसका अन्य तरीकों से निपटारा करने पर 1,000 रुपये प्रति एकड़ की प्रोत्साहन राशि समेत कुल पांच हजार रुपये देने का वादा किया है। मिशन के लिए सरकार ने 80 करोड़ रुपये से अधिक का बजट आरक्षित किया है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने सीधी बुवाई से धान बोने वाले किसानों को हरसंभव वित्तीय सहायता का वादा किया है।
फसल विविधीकरण से जमीन होगी उपजाऊ
हरियाणा शुगरफेड के पूर्व चेयरमैन सरदार हरपाल सिंह चीका ने कहा कि फसल विविधीकरण से जहां जमीन को उपजाऊ बनाने में मदद मिलेगी, वहीं पानी के उपयोग में कमी आने से भूमि के नीचे पानी का स्तर भी अधिक ऊंचा उठ जाएगा। चीका का कहना है कि पानी बचाने की जिम्मेदारी अकेले किसानों पर नहीं डाली जा सकती है। वैज्ञानिकों और शोध संस्थानों को पानी का खुला इस्तेमाल करने वाले कारखानों, निर्माण कार्यों, पार्कों, कार्यशालाओं, वाहन धोने की दुकानों, घर की रसोई और गुसलखाने और भट्टों पर खर्च होने वाले पानी की अत्यधिक मात्रा को बचाने के लिए नई खोजें करनी होंगी। जिस तरह डीजल पेट्रोल का विकल्प एथेनॉल मिल गया है और सोलर पावर या बैटरी से चलने वाले वाहनों को बाजार में लाया गया है, उसी तरह खेती की व्यवस्था में भी नए बदलाव लाने होंगे।